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दुनिया के हर कोने से आ रही एक ही आवाज, पता लगे आखिर कहां से पैदा हुआ कोरोनावायरस

पिछले 15 महीनों से दुनियाभर में तबाही मचा रहे कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर उठे विवाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी अब कूद गया है। हाल में किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि वायरस चीन के ही वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी में उत्पन्न हुआ था।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 03:11 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 03:11 PM (IST)
वायरस चीन के ही वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी में उत्पन्न हुआ था।

नई दिल्ली, [नेमिष हेमंत]। पिछले 15 महीनों से दुनियाभर में तबाही मचा रहे कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर उठे विवाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी अब कूद गया है। हाल ही में किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि यह वायरस चीन के ही वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी में उत्पन्न हुआ था। इसी तरह नए लेखों में इस मामले में चीन व अमेरिका के संस्थानों और व्यक्तियों की भागीदारी की बात भी सामने आ रही है।

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संघ के सहयोगी संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने कहा है कि हर किसी को यह जानने का अधिकार है कि इसकी उत्पत्ति कहां हुई है और यह वायरस लैब से बाहर कैसे आया। इसमें कुछ उच्च पदस्थ लोगों के नाम भी सामने आ रहे हैं, जिन्होंने इसमें वुहान इंस्टीट्यूट की मदद की। मंच ने इस मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) व बिल गेट्स फाउंडेशन की भूमिका संदिग्ध बताते हुए देश-दुनिया के विज्ञानियों व वैश्विक नेताओं का आह्वान किया है। विज्ञानियों को इसकी जड़ तक पहुंचकर इसके प्रसार में शामिल लोगों व देश की जिम्मेदारी को तय करना चाहिए, ताकि इस स्थिति में इससे हुए नुकसान के मुआवजे की भरपाई का रास्ता साफ होने के साथ सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसी भयावह स्थिति दोबारा उत्पन्न न हो सके।

मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्वनी महाजन ने कहा कि शुरू से ही यह वैश्विक बहस के केंद्र में है कि चीन के वुहान स्थित लैब से बाहर आया है। इसलिए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इसे बार-बार 'चीनी वायरस' बताते रहे। अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुफिया एजेंसियों को 90 दिनों में उत्पत्ति का पता लगाने को कहा है।

महाजन ने कहा कि डब्ल्यूएचओ को चीन, गेट्स फाउंडेशन व इसके अन्य संगठनों से बड़ा पैसा आता है। यही कारण है कि यह संगठन चीन और गेट्स फाउंडेशन के दबाव में है। हालांकि, चीन को क्लीनचिट देने की उसकी जांच रिपोर्ट को दुनिया भर के ज्यादातर विशेषज्ञों ने सिरे से खारिज कर दिया है। सभी का कहना है कि डब्ल्यूएचओ ने उन मुद्दों की जांच नहीं की, जो उसे करना चाहिए था। इसके वैज्ञानिकों द्वारा विकसित करने के तथ्य को नजरअंदाज किया गया।


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