Nirbhaya verdict : फांसी से पहले सिर्फ 15 मिनट मिलेंगे दोषियों को, 5 बजे से शुरू हो जाएगी प्रक्रिया
Nirbhaya verdict जेल सूत्रों के अनुसार जिस दिन फांसी दी जाती है उस दिन सुबह पांच बजे उसे जगा दिया जाता है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Nirbhaya verdict : निर्भया के दोषियों के नाम जारी डेथ वारंट के मुताबिक अक्षय, विनय, पवन व मुकेश को 22 जनवरी को सुबह सात बजे फंदे पर लटकाया जाना है। जेल सूत्रों के अनुसार, जिस दिन फांसी दी जाती है, उस दिन सुबह पांच बजे उसे जगा दिया जाता है। नहाने के बाद दोषी को फांसी घर के सामने खुले अहाते में लाया जाता है। यहां जेल अधीक्षक, उप अधीक्षक, मेडिकल ऑफिसर, सबडिविजनल मजिस्ट्रेट व सुरक्षा कर्मचारी मौजूद रहते हैं। यदि दोषी इच्छा जाहिर करे तो वहां एक धार्मिक व्यक्ति भी रह सकता है। अहाते में मौजूद मजिस्ट्रेट दोषी से उसकी आखिरी इच्छा के बारे में पूछते हैं। इस दौरान आमतौर पर संपत्ति किसी के नाम करने या किसी के नाम पत्र लिखने की बात सामने आती है। करीब 15 मिनट का वक्त दोषी के पास रहता है। इसके बाद जल्लाद वहीं कैदी को काले कपड़े पहनाता है। उसके हाथ को पीछे कर उसे रस्सी या हथकड़ी से बांध दिया जाता है। यहां से फांसी घर पर कैदी को ले जाने की प्रक्रिया शुरू होती है। फांसी घर पहुंचने के बाद सीढ़ियों के रास्ते दोषी को छत पर ले जाया जाता है। यहां जल्लाद दोषी के मुंह पर काला कपड़ा बांधता है और उसके गले में फंदा डाल दिया जाता है। फंदा डालने के बाद दोषी के पैरों को रस्सी से बांध दिया जाता है। जब जल्लाद अपने इंतजाम से संतुष्ट हो जाता है, तब वह जेल अधीक्षक को बताता है कि उसके इंतजाम अब पूरे हो चुके हैं। इसके बाद जल्लाद जेल अधीक्षक के आदेश की प्रतीक्षा करता है। जेल अधीक्षक जैसे ही जल्लाद को इशारा करते हैं, वह लीवर खींच देता है। एक ही झटके में दोषी फंदे पर झूल जाता है। इसके दो घंटे बाद मौके पर मौजूद मेडिकल ऑफिसर फांसी घर के अंदर जाकर यह सुनिश्चित करते हैं कि फांसी पर झूल रहे शख्स की मौत हुई है या नहीं।
तिहाड़ में पहली बार एक साथ चार दोषियों को लटकाया जाएगा
तिहाड़ जेल में आखिरी बार 2013 में आतंकी अफजल गुरू को फांसी दी गई थी। इससे पूर्व तिहाड़ में इंदिरा गांधी के हत्यारे सतवंत सिंह और केहर सिंह को 1989 में फांसी के फंदे पर लटकाया गया। जेल अधिकारियों का कहना है कि तिहाड़ के इतिहास में पहली बार एक साथ चार दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा। अब तक एक बार में अधिकतम दो दोषियों को ही फांसी पर लटकाया गया है। सतवंत सिंह व केहर सिंह ही दो वो दोषी थे, जिन्हें एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया।
तिहाड़ जेल से सेवानिवृत्त सुनील गुप्ता ने अपनी पुस्तक ब्लैक वारंट में लिखा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में एक दो नहीं बल्कि आठ दोषियों को फांसी पर लटकते देखा। 1982 में बिल्ला व रंगा नामक दोषी को तिहाड़ में ही फांसी पर लटकाया गया था। जसबीर सिंह उर्फ बिल्ला व कुलजीत सिंह उर्फ रंगा दिल्ली की एक नाबालिग लड़की के अपहरण व हत्या का दोषी था। यह मामला देश में काफी चर्चित हुआ था। रंगा व बिल्ला के बाद तिहाड़ में अलगाववादी मकबूल बट्ट को 1984 में फांसी पर लटकाया गया था। इसके बाद 1985 में विद्या जैन हत्या मामले के दोषी करतार सिंह व उजागर को फांसी पर लटकाया गया था।
जब दरिंदों के चेहरे पर छाया मौत का खौफ
पटियाला हाउस कोर्ट की ओर से जारी डेथ वारंट के साथ ही तिहाड़ में बंद निर्भया के चारों दोषियों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। जब कोर्ट के आदेश के बाद चारों को पेशी के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष में ले जाया जा रहा था, तब उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें दिख रही थीं। इनके चेहरों पर उभरी चिंता की लकीरें तब मौत के खौफ में बदल गई, जब इन्हें पता चला कि उनके नाम डेथ वारंट जारी कर दिया गया है। जेल सूत्रों के अनुसार, वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष में दोषी करीब सवा घंटे तक रहे। अक्षय, पवन व मुकेश जेल संख्या-दो के वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष में और विनय जेल संख्या चार के वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष से कोर्ट की कार्रवाई से जुड़ा रहा।