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नई नीति से लगेंगे औद्योगिक विस्तार को पंख, प्रदूषण रोकने के लिए हो ठोस उपाय

एनसीआर में औद्योगिक विस्तार पर ब्रेक लगने का एक बड़ा कारण यह भी है कि दस सालों में एनसीआर में वायु और जल प्रदूषण काफी बढ़ गया है। इसके कई कारण हैं। मसलन वाहनों की संख्या में लगातार इजाफा होना।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 11 Mar 2021 03:52 PM (IST)Updated: Thu, 11 Mar 2021 03:52 PM (IST)
नई नीति से लगेंगे औद्योगिक विस्तार को पंख, प्रदूषण रोकने के लिए हो ठोस उपाय
मौजूदा समय में औद्योगिक इकाइयों में डीजल ईंधन से बायलर चलाया जाता है

नई दिल्ली। बगैर मूलभूत सुविधाओं के औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना संभव नहीं है। उद्यमियों तथा राज्य सरकार के आपसी सामंजस्य और सहयोग से ही उद्योग को गति मिल सकती है। इसे बढ़ावा देना बेहद जरूरी है। औद्योगिक विस्तार को ब्रेक तब लगते हैं जब कारोबारी सहूलियत (ईज आफ डूइंग बिजनेस) के विभिन्न आयाम फेल होने लगते हैं। यदि शासन और प्रशासन समय रहते कारोबारी सहूलियतों पर ध्यान दे तो निश्चित तौर पर उद्योग को बढ़ावा दिया जा सकता है।

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एनसीआर में औद्योगिक विस्तार पर ब्रेक लगने का एक बड़ा कारण यह भी है कि दस सालों में एनसीआर में वायु और जल प्रदूषण काफी बढ़ गया है। इसके कई कारण हैं। मसलन वाहनों की संख्या में लगातार इजाफा होना, उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का नहीं लगाया जाना और भू-जल का लगातार दोहन होना। ये सब ऐसे कारण हैं जिनको लेकर आमजन में भी जागरूकता है।

जागरूक नागरिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए शीर्ष अदालत ने प्रदूषण नियंत्रण पर खास तौर से ध्यान दिया है। हालांकि राज्यों की सरकारें अभी भी इस मामले में उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं, मगर जब से दिल्ली और हरियाणा की सरकारों ने इस दिशा में सार्थक कदम उठाए हैं तब से आशा की एक नई किरण दिखाई देने लगी है। अब उद्यमी चाहते हैं कि दिल्ली- एनसीआर के लिए एक नई औद्योगिक नीति बने, जो सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी के आदेशों के अनुरूप हो।

इसमें मौजूदा और नए लगने वाले उद्योगों के लिए कम से कम 20 साल तक के लिए एक ही नीति लागू हो। उसी आधार पर औद्योगिक विकास हो। साथ ही उनका यह भी मानना है कि नई औद्योगिक नीति सार्थक व कारगर होने के साथ साथ व्यावहारिक भी हो।

आदेश से पहले हो उचित व्यवस्था

मौजूदा समय में औद्योगिक इकाइयों में डीजल ईंधन से बायलर चलाया जाता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि इसे पीएनजी पर शिफ्ट कर दिया जाए। ऐसे में सबसे पहले उस क्षेत्र में पीएनजी की लाइन आनी जरूरी है जहां उद्योग लगा है। अगर पीएनजी लाइन आ चुकी है तो इस बात का ध्यान रखना होगा कि उस क्षेत्र में कोई भी नया बायलर लगे तो वह पीएनजी आधारित ही हो। या इसके लिए यह भी नीति हो सकती है कि जिस क्षेत्र में पीएनजी लाइन आ चुकी है वहां अब गैस आधारित बायलर ही लगेंगे। लेकिन समस्या यह है कि जहां अभी पीएनजी लाइन है ही नहीं वहां गैसे आधारित बायलर लगाने को कह दिया जाता है। ऐसे में यह कैसे संभव हो सकता है। इसके लिए पहले व्यवस्था दुरुस्त करने की जरूरत है।

कैसी हो नई नीति

  • मौजूदा उद्योगों में वायु व जल प्रदूषण रोकने संबंधी उपाय करने के लिए बने चरणबद्ध कार्यक्रम।
  • लाइसेंस ले चुके उद्योगों को बिजली और पीएनजी आर्पूित के अलावा अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए तय हो सरकार की जिम्मेदारी।
  • पुराने उद्योग नए क्षेत्र में शिफ्ट किए जाने पर उद्यमी को सस्ती दरों पर औद्योगिक जमीन उपलब्ध कराई जाए।
  • बेहतर कनेक्टिविटी के लिए औद्योगिक क्षेत्र से राष्ट्रीय राजमार्ग तक के मार्ग चार मार्गीय बनाए जाएं।
  • जो उद्योग, प्रदूषण नियंत्रण संयंत्र लगाए उन्हें संयंत्र पर आए खर्च का 50 फीसद सरकार की तरफ से सब्सिडी के
  • रूप में दिया जाए।
  • जल प्रदूषण के लिए लगाए जाने वाले संयंत्र के लिए शत प्रतिशत मिले सब्सिडी।
  • मौजूदा उद्योगों में काम करने वाले कर्मियों को नजदीक ही सस्ती दरों पर आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

(आइएमएसएमई आफ इंडिया के चेयरमैन राजीव चावला की संवाददाता बिजेंद्र बंसल से बातचीत पर आधारित।)


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