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नौकरी का झांसा देकर ठगी करने वाले गिरोह का फंडाफोड़, गिरफ्तार

आरोपितों की पहचान बुलंदशहर ओलेढ़ा गांव निवासी राहुल सिंह बिजनौर स्थित पैजनिया निवासी अजय पाल सिंह और महोबा स्थित कुलपहाड़ निवासी कृष्ण मोहन सिंह के रूप में हुई है। इनके कब्जे से आठ मोबाइल पांच कंप्यूटर राउटर डेबिट कार्ड व कई दस्तावेज बरामद हुए हैं।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Sun, 30 Jan 2022 10:23 AM (IST)Updated: Sun, 30 Jan 2022 10:23 AM (IST)
नौकरी का झांसा देकर ठगी करने वाले गिरोह का फंडाफोड़, गिरफ्तार
पूछताछ में सामने आया कि राहुल गिरोह का सरगना है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नौकरी दिलाने का झांसा देकर युवाओं से ठगी करने वाले गिरोह का पूर्वी जिला साइबर थाना पुलिस ने भंडाफोड़ कर तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। ये नोएडा सेक्टर-62 में फर्जी काल सेंटर चला रहे थे। आरोपितों की पहचान बुलंदशहर ओलेढ़ा गांव निवासी राहुल सिंह, बिजनौर स्थित पैजनिया निवासी अजय पाल सिंह और महोबा स्थित कुलपहाड़ निवासी कृष्ण मोहन सिंह के रूप में हुई है। इनके कब्जे से आठ मोबाइल, पांच कंप्यूटर, राउटर, डेबिट कार्ड व कई दस्तावेज बरामद हुए हैं।

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जांच में पता चला कि आरोपित पूर्वी दिल्ली के पश्चिमी विनोद नगर में रहने वालीं कविता नेगी के अलावा महाराष्ट्र, उत्तराखंड, पंजाब, गुजरात, आंध प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के नौ लोगों से ठगी कर चुके हैं।

पूर्वी जिला पुलिस उपायुक्त प्रियंका कश्यप ने बताया कि कविता नेगी ने 20 जनवरी को साइबर थाने में ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप लगाया था कि नौकरी दिलाने वाले पोर्टल से एक व्यक्ति ने फोन कर उनसे 1.72 लाख रुपये ठग लिए। उसने विश्वास दिलाने के लिए बायजूस कंपनी में योगा शिक्षक के पद पर नियुक्ति का पत्र भी भेजा था।

इस मामले में एसीपी आपरेशंस सुनील कुमार की निगरानी में इंस्पेक्टर सतेंद्र खारी के नेतृत्व में टीम को जांच सौंपी गई। टीम ने सबसे पहले डिजिटल साक्ष्य के रूप में उन यूपीआइडी का रिकार्ड खंगाला, जिनके जरिये रुपये लिए गए थे। उनसे माध्यम से आरोपितों को चिह्नित किया। उनके मोबाइल नंबर मिलने पर सर्विलांस के जरिये नोएडा सेक्टर-62 स्थित फर्जी काल सेंटर तक पहुंची। वहां से आरोपित राहुल सिंह, अजय पाल सिंह और कृष्ण मोहन सिंह को दबोच लिया। पूछताछ में सामने आया कि राहुल गिरोह का सरगना है।

ऐसे करते थे ठगी

गिरोह के सरगना राहुल ने नौकरी प्रदाता के रूप में पंजीकरण करा रखा था। इसके लिए वह वेबसाइट को 20 से 22 हजार रुपये शुल्क अदा करता था। वह नौकरी चाहने वालों का डेटा निकालने के लिए ऐसा करता था। डेटा मिलने के बाद वह अपने साथियों के साथ प्रोफाइल के आधार पर आवेदकों में से लोगों को चिह्नित करता था। ऐसे युवा उनके निशाने पर होते थे, जो शिक्षक या नर्स की नौकरी तलाश रहे होते थे। जब वह अपने शिकार को नौकरी का झांसा देकर फंसा लेता था, तो उससे जाब आइडी, बांड, लैपटाप देने आदि के नाम पर रुपये ऐंठ लेता था।


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