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विरोध के बीच देश में ई-सिगरेट के कश पर पहला अंतरराष्ट्रीय एक्सपो

इसमें देश विदेश की कंपनियां व डीलर हिस्सा लेंगे। इस एक्सपो में सम्मेलन भी होगा, जिसमें डॉक्टर भी हिस्सा लेने वाले हैं।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 30 Aug 2017 09:45 AM (IST)Updated: Wed, 30 Aug 2017 03:09 PM (IST)
विरोध के बीच देश में ई-सिगरेट के कश पर पहला अंतरराष्ट्रीय एक्सपो

नई दिल्ली [ रणविजय सिंह ] । केंद्र सरकार एक तरफ ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने की बात कही रही है, वहीं अगले महीने देश में ई-सिगरेट के कश पर पहला अंतरराष्ट्रीय एक्सपो होने जा रहा है। यह आयोजन राजधानी में होना था लेकिन दिल्ली के राज्य तंबाकू नियंत्रण सेल की आपत्ति के बाद आयोजकों ने ग्रेटर नोएडा में यह एक्सपो करने का फैसला किया है।

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राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम ने भी इस आयोजन को स्वास्थ्य के लिहाजा से खतरनाक बताया है। इतने विरोध के बावजूद आयोजक इस सम्मेलन के आयोजन की स्वीकृत हासिल करने में कामयाब रहे। ई-सिगरेट कारोबारी भारत को एक बड़े बाजार के रूप में देख रहे हैं और उनकी नजर तंबाकू छोडऩे वाले लोगों पर है।

वे लोगों के हाथ में सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पादों की जगह ई-सिगरेट थमाना चाहते हैं। यही वजह है कि ई-सिगरेट के प्रचार प्रसार के लिए युक्रेन की एक कंपनी ने नौ व 10 सितंबर को दो दिवसीय एक्सपो आयोजित किया है।

इसमें देश विदेश की कंपनियां व डीलर हिस्सा लेंगे। इस एक्सपो में सम्मेलन भी होगा, जिसमें डॉक्टर भी हिस्सा लेने वाले हैं। इस एक्सपो का आयोजन दिल्ली में होने की सूचना मिलने पर राज्य तंबाकू नियंत्रण सेल ने आयोजकों को पत्र लिखकर इसे रोकने का निर्देश दिया।

इस पर आयोजकों ने जवाब दिया कि यह एक्सपो दिल्ली में न होकर ग्रेटर नोएडा में होगा। ग्रेटर नोएडा दिल्ली सरकार के अधिकारी क्षेत्र में नहीं आता। इसके बाद सेल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर इस आयोजन को रोके जाने की मांग की और कहा कि यह आयोजन लोगों के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। इस एक्सपो में ई-सिगरेट का प्रचार होगा और युवा पीडि़त को प्रभावित करने की कोशिश की जाएगी।

इस तरह के आयोजन के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य डिविजन से स्वीकृति लेनी पड़ती है। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के एक अधिकारी ने कहा कि हमने भी यह सुझाव दिया था कि देश पहले से ही तंबाकू का दुष्प्रभाव झेल रहा है।

बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, खैनी सहित कई तरह के तंबाकू उत्पाद मौजूद है। ई-सिगरेट में द्रव्य के रूप में प्रोपाइलिन ग्लाइकोल व निकोटिन इस्तेमाल होता है। कारोबारी ई-सिगरेट में सिंथेटिक निकोटिन इस्तेमाल करने का दावा करते हैं। जबकि सिंथेटिक निकोटिन बहुत महंगा होता है। इसलिए ई-सिगरेट में भी तंबाकू का निकोटिन इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए ई-सिगरेट के रूप में एक और तंबाकू उत्पाद का चलन बढऩा ठीक नहीं है।

क्या है एक्सपो का मकसद

आयोजकों की सोच है कि यदि भारत में धुमपान छोडऩे वाले 10 फीसद लोगों को भी ई-सिगरेट पकड़ा दी जाए। तो यहां इसके इस्तेमाल करने वालों की तादाद एक करोड़ 10 लाख हो जाएगी।

यह है तंबाकू नियंत्रण सेल की चिंता

तंबाकू नियंत्रण सेल की चिंता है कि देश में हर साल करीब 14.50 लाख लोग कैंसर से पीडि़त होते हैं। यहां 40 फीसद लोग तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल के कारण कैंसर से पीडि़त होते हैं। इसके अलावा हृदय की बीमारियों व टीबी का भी एक बड़ा कारण तंबाकू है। एक्सपो के बाबत पूछे जाने पर दिल्ली राज्य तंबाकू नियंत्रण सेल के प्रभारी डॉ. एसके अरोड़ा ने कहा कि एक्सपो को दिल्ली में होने से रोक दिया गया है। साथ ही केंद्र सरकार को भी पत्र लिखा है कि नोएडा में भी इसे न होने दिया जाए।

कारोबारी की दलील

ई-सिगरेट के कारोबारी व एक्सपो में वक्ता के रूम में आमंत्रित अनंत जंगवाल का कहना है कि ई-सिगरेट में तंबाकू नहीं होता। निकोटिन की मात्रा भी बहुत कम होती है। इस वजह से यूरोपीय देशों में इसे तंबाकू का नशा छुड़ाने वाले पदार्थ के रूप में इस्तेमाल होता है।
 



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