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Nirbhaya Case Latest News: पढ़िए- चारों दोषियों को कैसे दी गई फांसी, न चीख सके और न चिल्लाए

2012 Delhi Nirbhaya Case फांसी के मद्देनजर बृहस्पतिवार रात से ही मीडिया कर्मियों के साथ तिहाड़ जेल के बाहर आम लोगों का भी जमावड़ा लगा रहा।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 02:31 AM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 06:53 AM (IST)
Nirbhaya Case Latest News: पढ़िए- चारों दोषियों को कैसे दी गई फांसी, न चीख सके और न चिल्लाए

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। 2012 Delhi Nirbhaya Case : निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दोषियों विनय कुमार शर्मा (Vinay Kumar Sharma), पवन कुमार गुप्ता (Pawan Kumar Gupta), मुकेश सिंह (Mukesh Singh) और अक्षय कुमार सिंह (Akshay Kumar Singh) को शुक्रवार सुबह ठीक 5:30 बजे फांसी दे दी गई। इस मौके पर जेल प्रशासन से जुड़े 50 से अधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान वहां मौजूद जेल अधिकारियों ने ऐसी पुख्ता व्यवस्था की थी, जिसके चलते दोषियों को चीखने-चिल्लाने का कोई मौका नहीं मिला।

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सबसे पहले दोषियों को नहलाया गया 

इससे पहले फांसी के मद्देनजर तिहाड़ जेल में पूरी तैयारी कर ली गई थी। फांसी देने की कड़ी में सुप्रींटेंडेंट और डिप्टी सुप्रींटेंडेंट दोनों ने निर्भया के चारों दोषियों से मुलाकात कर ली थी। इससे पहले चारों दोषियों को नहलाया गया फिर उन्हें कपड़े पहनाए गए।  

फांसी के लिए 3 बजकर 15 मिनट पर चारों को जगाया गया

इससे पहले शुक्रवार तड़के 3:15 बजे ही निर्भया के दोषियों को उनके सेल में जगा दिया था। दैनिक क्रियाकलाप के बाद उन्हें नहलाया गया। इसके बाद उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें चाय के साथ हल्का नाश्ता दिया गया। इसके बाद उन्हें सेल से बाहर फांसी घर की ओर ले जाने की प्रक्रिया शुरू की गई।

किसी ने चाय पी तो किसी ने किया इनकार

नहाने के बाद काले कपड़े पहना कर चारों को तिहाड़ जेल संख्या-3 के फांसी घर में ले जाया गया। इससे पहले चारों को सुबह की चाय भी मिली, लेकिन सभी दोषियों ने चाय नहीं पी।

ऐसे लगाई जाती है दोषी को जेल में फांसी

फांसी के तख्त पर पहुंचने से पहले कैदियों के हाथ पीछे से बांध दिए जाते हैं। फिर जल्लाद मुंह पर कपड़ा डालता है और दोषियों के गले में फांसी का फंदा डाल देते हैं। इसके बाद जल्लाद झटके से लीवर खींच देता है। भारत में लॉन्ग ड्राप के जरिये फांसी दी जाती है। इसमें दोषियों के वजन के हिसाब से रस्सी की लंबाई तय की जाती है, ताकि झटका लगते ही कैदी की गर्दन के साथ उसकी रीढ़ की हड्डी टूट जाए। यहां पर बता दें कि पूर्व में दिल्ली की तिहाड़ जेल में वर्ष, 2013 में अफजल गुरु को फांसी दी गई थी।  

इसलिए सुबह-सुबह दी जाती है फांसी की सजा

भारत में कैदी को सुबह ही फांसी देने का प्रावधान है, लेकिन फांसी का समय महीने के हिसाब से अलग-अलग होता है। ज्यादातर सुबह 6 से 7 बजे के बीच फांसी दी जाती है। निर्भया मामले में कोर्ट ने डेथ वांरट जारी करते हुए सुबह 5:30 बजे फांसी का वक्त मुकर्रर किया है। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि जहां जेल में बंद अन्य कैदी सो रहे होते हैं वहीं सुबह फांसी पर चढ़ने वालों को पूरे दिन का इंतजार नहीं करना पड़ता, इसलिए मुंह अंधेरे फांसी दी जाती है।

फांसी से पहले होता है यह जरूरी काम

फांसी के लिए मुकर्रर समय पर संबंधित कैदी या कैदियों को फांसी के तख्त के पास ले जाया जाता है। नियमों के मुताबिक, इस दौरान जल्लाद के अतिरिक्त 3 अफसर जेल सुप्रीटेंडेंट, मेडिकल ऑफिसर और मजिस्ट्रेट अनिवार्य रूप से साथ होते हैं। फांसी से ठीक पहले मजिस्ट्रेट दोषियों को पहचानने की बात बताने के बाद डेथ वारंट सुनाता है, जिस पर पहले से ही दोषी या दोषियों के हस्ताक्षर होते हैं।

तिहाड़ के बाहर मीडिया के साथ आम लोगों का जमावड़ा

फांसी के मद्देनजर बृहस्पतिवार रात से ही मीडिया कर्मियों के साथ तिहाड़ जेल के बाहर आम लोगों का भी जमावड़ा लगा रहा। भीड़ के बेकाबू होने की आशंका के मद्देनजर रात से ही भारी संख्या में पुलिस के जवान तैनात थे।


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