Move to Jagran APP

किराए की स्‍कूटी और गुलेल से चोरी, पढ़ें ठक-ठक गिरोह की कहानी

विनोद को 2004 में फर्जी स्टांप मामले में सीबीआइ ने पकड़ा था। दुष्कर्म के एक मामले में भी वह जेल हो गई। जेल से आने के बाद उसने अपना ठक-ठक गिरोह बनाया और लूटपाट में लग गया।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 12:34 PM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 01:11 PM (IST)
किराए की स्‍कूटी और गुलेल से चोरी, पढ़ें ठक-ठक गिरोह की कहानी

नई दिल्ली, जेएनएन। सड़क और पार्किंग में खड़ी कारों का शीशा गुलेल से तोड़ने के बाद सामान चोरी के मामले में एंटी ऑटो थेप्ट स्क्वायड (एएटीएस) की टीम ने दो बदमाशों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से एक लैपटॉप, दस मोबाइल फोन, दो महिला पर्स और ज्वैलरी बरामद की है। बदमाशों की पहचान आरकेपुरम आंबेडकर बस्ती के रहने वाले अरुण कुमार उर्फ राणा और विनोद उर्फ राहुल के रूप में हुई है।

loksabha election banner

चोरी का सामान बेचते समय पकड़े गए
अरुण मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मेरठ का रहने वाला है और विनोद दिल्ली में उसका पड़ोसी है। विनोद गिरोह का सरगना है। डीसीपी देवेंद्र आर्य ने बताया कि दोनों को आरकेपुरम सेक्टर-चार में पार्क के पास से उस समय गिरफ्तार किया गया, जब ये चोरी का सामान बेचने के लिए आए थे।

कार के शीशे को गुलेल से तोड़ कर करते थे चोरी
दोनों स्कूटी से यहां पहुंचे थे। पूछताछ में अरुण ने बताया कि अपने साथी रिंकू के साथ मिलकर घटना को अंजाम देते हैं। व्यस्त मार्केट में खड़ी कारों के शीशे गुलेल से तोड़ने के बाद सामान लेकर भाग जाते थे। मुख्य रूप से ये ऐसी कारों को निशाना बनाते हैं, जिनकी पिछली सीट पर सामान रखा होता है।

चोरी के पैसे का करते थे तीन हिस्‍सा
चोरी का सामान रिंकू अपने पास रखता था और उसे बेचने के बाद पैसे का हिस्सा तीनों में बंटता था। चोरी करने के लिए जाने के लिए एक हजार रुपये प्रतिदिन के किराए पर विनोद अपनी स्कूटी अरुण और रिंकू को देता था। पुलिस ने स्कूटी जब्त कर ली है। पुलिस अब रिंकू की तलाश कर रही है। डीसीपी ने बताया कि विनोद शातिर अपराधी है।

जेल से आने के बाद बेचना शुरू किया फर्जी स्‍टांप
2001 में लूट के मामले में बदरपुर थाना पुलिस के पकड़े जाने पर जेल गया था। वहां से आने के बाद वर्ष 2003 में उसने फर्जी स्टांप पेपर बेचने शुरू कर दिए। 2004 में फर्जी स्टांप मामले में सीबीआइ ने उसे पकड़ा था। दुष्कर्म के एक मामले में भी वह जेल जा चुका है। जेल से आने के बाद उसने अपना ठक-ठक गिरोह बनाया और गैंग में शामिल लोगों को अपनी स्कूटी किराए पर देकर चोरी में मदद करता था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.