Study Report: ... तो इस वजह से बढ़ रहा है देश की राजधानी दिल्ली का तापमान
अध्ययन के तहत 1998, 2003, 2011 और 2014 के दौरान दिल्ली के विभिन्न इलाकों के दो से तीन सालों के तापमान को आधार बनाकर तुलना की गई।
नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। दिल्ली के विभिन्न इलाकों के तापमान में अंतर की एक वजह तेजी से बदलता भू उपयोग भी है। खाली पड़ी कृषि भूमि भी तापमान में इजाफा कर रही है। स्कूल ऑफ एनवायरमेंटल स्टडीज (जेएनयू) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआइयूए) द्वारा अर्बन हीट आइलैंड को लेकर विस्तृत अध्ययन किया गया है।
इस अध्ययन के तहत 1998, 2003, 2011 और 2014 के दौरान दिल्ली के विभिन्न इलाकों के दो से तीन सालों के तापमान को आधार बनाकर तुलना की गई। कई साल चले इस अध्ययन को आधार बनाकर तैयार की गई रिपोर्ट के तथ्य पिछले दिनों इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित विश्व सतत विकास सम्मेलन में साझा किए गए। रिपोर्ट के मुताबिक, जिन इलाकों में बड़े पैमाने पर भू उपयोग बदला गया है, वहां का तापमान बढ़ा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भू उपयोग में बदलाव का सर्वाधिक असर पश्चिमी, दक्षिणी और उत्तरी दिल्ली में सामने आया है। नरेला, बवाना, द्वारका, मायापुरी और इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के आसपास हरियाली और कृषि योग्य भूमि काफी थी, लेकिन इन जगहों पर औद्योगिक इकाइयां बसाने, रिहायशी कॉलोनी विकसित करने और विकास संबंधी अन्य कार्यों के कारण भू उपयोग बदल दिया गया। इसी का नतीजा है कि यहां का तापमान अन्य रिहायशी इलाकों की अपेक्षा ज्यादा हो गया। ऐसे इलाकों और रोहिणी, लोधी गार्डन जैसे रिहायशी इलाकों के तापमान में एक से तीन डिग्री का अंतर साफ तौर पर देखा जा सकता है।
तापमान में अंतर की वजह
रिपोर्ट के मुताबिक, पेड़-पौधे, फसलें वातावरण की नमी को सोख लेते हैं और वाष्पीकरण के जरिये ठंडक बनाए रखते हैं, जबकि कंक्रीट और ईंट-टाइलें ऐसा नहीं कर पातीं। इसीलिए गर्मी बढ़ाने में ये सहायक बनती हैं।
क्या है अर्बन हीट आइलैंड
अर्बन हीट आइलैंड ऐसे क्षेत्रों को कहा जाता है जो एक ही शहर का हिस्सा होने के बावजूद कहीं-कहीं ज्यादा गर्म होते हैं। इस गर्मी के लिए भी प्रकृति नहीं बल्कि वहां के लोग खुद जिम्मेदार हैं।
प्रो. पी के जोशी (स्कूल ऑफ एन्वायरमेंटल स्टडीज, जेएनयू का कहना है कि दिल्ली में हरित क्षेत्र तेजी से घट रहा है। कहीं भू उपयोग और कहीं विकास कार्यो के नाम पर पेड़ काटे जा रहे हैं। यह स्थिति चिंताजनक है। इस पर गंभीरता से विचार किए जाने की जरूरत है।
रिचा शर्मा (सीनियर रिसर्च फेलो, नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ अर्बन अफेयर्स) की मानें तो दिल्ली के तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। हर साल गर्मियों में पिछले सालों के रिकार्ड टूट रहे हैं। संबंधित एजेंसियों को इसकी रोकथाम के लिए यथोचित कदम उठाने चाहिए।