खतरे में मुगल बादशाह का फरमान, गलत है जामा मस्जिद के इमाम के आगे लगा टाइटल
अजय गौतम ने हाई कोर्ट में एक याचिका लगाकर कहा था कि जामा मस्जिद के इमाम के आगे लगा शाही टाइटल गलत है। इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अहमद बुखारी के नाम के आगे शाही शब्द के इस्तेमाल को लेकर हाई कोर्ट में दायर याचिका पर मौलाना सैयद अहमद बुखारी ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है। अहमद बुखारी ने हाई कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि शाही इमाम का टाइटल मुगल बादशाह शाहजहां ने तय किया था। जिसमें कहा गया था की ये आदेश आगे तक चलता रहेगा। भविष्य में भी इसी परिवार को लेकर इमाम की परंपरा आगे बढ़ती रहेगी।
31 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान शाही इमाम और याचिकाकर्ता के जवाब सूचीबद्ध किए गए। इससे पहले याचिकाकर्ता अजय गौतम ने कहा कि अगर वास्तव में शाहजहां ने ऐसा कोई आदेश जारी किया था तो सबूत के तौर पर दस्तावेज पेश किया जाना चाहिए। उन्होंने दलील दी कि अगर आजादी से पहले ऐसा था भी तो संविधान लागू होते ही ऐसे सब आदेश निरस्त हो गए। संविधान लागू होने के बाद सब कुछ संविधान के अनुरूप ही होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी। ज्ञात हो कि पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने वक्फ बोर्ड, दिल्ली सरकार, और अल्पसंख्यक मंत्रालय से जवाब मांगा था।
शाही टाइटल गलत है
बता दें कि कार्यकर्ता अजय गौतम ने हाई कोर्ट में एक याचिका लगाकर कहा था कि जामा मस्जिद के इमाम के आगे लगा शाही टाइटल गलत है। इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। याचिका में शाही शब्द के इस्तेमाल पर तुरंत रोक लगाने की माग की गई। अजय गौतम ने कहा कि आर्टिकल 18 के तहत कोई भी भारतीय नागरिक किसी भी ऐसे टाइटल को ग्रहण नहीं कर सकता जो विदेशी सभ्यता की झलक हो और शाही टाइटल मुगल काल की देन है।
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