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दिल्ली में बढ़े स्वाइन फ्लू के मामले, विशेषज्ञ से जानें कैसे करें बचाव

इस बार जब सर्दी अधिक थी तो उस वक्त स्वाइन फ्लू का संक्रमण नहीं था। अब मौसम बदलने के कारण वायरस सक्रिय हो गए हैं।

By Neel RajputEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 01:09 PM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 01:09 PM (IST)
दिल्ली में बढ़े स्वाइन फ्लू के मामले, विशेषज्ञ से जानें कैसे करें बचाव
दिल्ली में बढ़े स्वाइन फ्लू के मामले, विशेषज्ञ से जानें कैसे करें बचाव

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। दिल्ली में स्वाइन फ्लू के एच1एन1 वायरस का संक्रमण अचानक बढ़ गया है। 16 फरवरी तक 152 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। इसमें से 109 मामले इस माह ही सामने आए हैं। यह तो सरकारी आंकड़ा भर है। हर मरीज की जांच भी नहीं होती। ऐसे में पीड़ितों की संख्या इससे अधिक हो सकती है। इसके मद्देनजर स्वाइन फ्लू के बढ़ते संक्रमण और उससे बचाव को लेकर गंगाराम अस्पताल के चेस्ट मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. बॉबी भलोत्र से बातचीत के प्रमुख अंश : 

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स्वाइन फ्लू के मामले आ रहे हैं। मरीजों में किस तरह की परेशानी देखी जा रही है?

स्वाइन फ्लू होने पर बुखार के साथ सांस लेने में परेशानी होती है। कई मरीजों को बहुत ज्यादा सांस फूलने लगती है। इस वजह से ऑक्सीजन की भी जरूरत पड़ जाती है। कुछ समय से स्वाइन फ्लू के मामले अचानक अधिक आने शुरू हो गए हैं। राहत की बात यह है कि अभी ऐसे मरीज नहीं आ रहे हैं जिन्हें आइसीयू में भर्ती करने की जरूरत हो। ज्यादातर खांसी, जुकाम व बुखार के साथ पहुंच रहे हैं, जिनमें स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई। हमने दो-तीन मरीज ही देखे, जिन्हें आइसीयू में भर्ती करना पड़ा। इस बीमारी का लक्षण ठंड लगकर बुखार आना, जुकाम, खांसी, गले में खराश व दर्द होना है। यदि मरीज को बुखार हो और दो-तीन दिन में चलने-फिरने व सीढ़ी चढ़ने में सांस फूलने लगे तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। उसे सामान्य कोल्ड समझकर दवा न लें। वह स्वाइन फ्लू की बीमारी हो सकती है।

यह देखा गया है कि स्वाइन फ्लू का संक्रमण सर्दी के मौसम में होता है। अब ठंड भी कम हो गई है। ऐसे में अचानक ये मामले क्यों आने लगे?

इस बार जब सर्दी अधिक थी तो उस वक्त स्वाइन फ्लू का संक्रमण नहीं था। अब मौसम बदलने के कारण वायरस सक्रिय हो गए हैं। इस वजह से पिछले सप्ताह से स्वाइन फ्लू के पॉजिटिव मरीज अधिक आते जा रहे हैं। वैसे भी मौसम बदलने पर वायरल से संबंधित बीमारियां होती हैं। इन दिनों लोग वायरल बुखार से पीड़ित भी हो रहे हैं। स्वाइन फ्लू भी एक तरह का वायरल बुखार ही है, लेकिन इसका एच1एन1 वायरस सीधे फेफड़े पर अटैक करता है। जैसे कोरोना वायरस फेफड़े में अटैक करता है। वायरस के संक्रमण से कई मरीजों का फेफड़ा इतना कमजोर हो जाता है कि वह वेंटिलेटर पर चला जाता है। यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। हालांकि लोगों को डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस बार स्वाइन फ्लू के गंभीर मामले नहीं आ रहे हैं। इसलिए घबराने वाली बात नहीं है।

कोरोना वायरस की चर्चा यहां भी बहुत हो रही है। कहीं ऐसा तो नहीं उसके डर से कोल्ड व फ्लू से पीड़ित मरीज अधिक अस्पताल पहुंचने लगे?

दोनों बीमारियों का लक्षण एक ही तरह का होता है। फिर भी दोनों में कोई लेना-देना नहीं है। स्वाइन फ्लू अब सामान्य फ्लू की तरह ही है, जिसका संक्रमण कुछ वर्षों से हर बार सर्दी में देखा जाता है। यह सामान्य फ्लू से थोड़ा ज्यादा आक्रामक होता है। लोगों के मन में कोरोना का डर बहुत है। कई मरीज जांच से पहले पूछते हैं कि कोरोना का खतरा तो नहीं है।

यदि किसी को स्वाइन फ्लू जैसा लक्षण हो तो उसे क्या करना चाहिए?

ब्लड प्रेशर, मधुमेह, अस्थमा, सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज) से पीड़ित लोगों को बुखार व स्वाइन फ्लू के अन्य लक्षण हों तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना जरूरी है, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।

बुजुर्गो व बच्चों की भी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इस वजह से बुजुर्ग व बच्चों को भी परेशानी होने पर डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ज्यादातर ऐसे लोग इस बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं, जिन्हें मधुमेह है। कई लोग खुद ही दुकान से बुखार व दर्द की दवा लेकर खाते हैं। जब बीमारी थोड़ी बढ़ जाती है तब इलाज के लिए अस्पताल में डॉक्टर के पास पहुंचते हैं, यह गलत है। दो-तीन दिन से बुखार हो तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

फ्लू जैसा लक्षण होने पर क्या हर किसी को जांच कराने की जरूरत है?

स्वाइन फ्लू की जांच महंगी होती है। इसलिए हर किसी को जांच कराने की जरूरत नहीं होती। जांच के लिए सरकार का दिशानिर्देश है। उस दिशानिर्देश के अनुसार डॉक्टर तय करते हैं कि किसे जांच करानी है और किसे नहीं।

मौसम के मौजूदा मिजाज को देखते हुए अभी क्या स्थिति रहने वाली है?

मौसम जिस तरह से अभी ठंडा-गरम हो रहा है उससे अभी मामले बढ़ सकते हैं, लेकिन कुछ भी स्पष्ट कह पाना मुश्किल है। गले में खराश हो तो गरारे करें। सांस लेने में हल्की परेशानी होने पर भाप लें। अस्थमा के मरीज अपनी दवाएं लेते रहें। हैंडवॉश से नियमित हाथ साफ करना चाहिए। खांसी व छींक आने पर नाक व मुंह पर टिश्यू पेपर जरूर रखें। किसी से अभिवादन के लिए हाथ मिलाने से बचें। स्वाइन फ्लू का टीका भी मौजूद है। वैसे तो सर्दी शुरू होने से पहले यह टीका लगवाना बेहतर होता है, क्योंकि टीका लगाने के तीन सप्ताह बाद वह वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है। मधुमेह व हृदय की बीमारियों से पीड़ित लोगों व बुजुर्गो को यह टीका जरूर लगवाना चाहिए।


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