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2012 Delhi Nirbhaya case : फांसी की सजा से नहीं मिली राहत, 2 दोषियों की क्यूरेटिव पेटिशन SC से खारिज

Nirbhaya case डेथ वारंट जारी होने के बाद चार में से दो दोषियों विनय शर्मा और मुकेश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पेटिशन (सुधारात्मक याचिका) दायर कर राहत की गुहार लगाई थी।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 06:21 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 02:48 PM (IST)
2012 Delhi Nirbhaya case : फांसी की सजा से नहीं मिली राहत, 2 दोषियों की क्यूरेटिव पेटिशन SC से खारिज

नई दिल्ली [माला दीक्षित]। 2012 Delhi Nirbhaya Case: निर्भया के दो दोषियों विनय कुमार शर्मा और मुकेश सिंह की क्यूरेटिव पेटिशन सुधारात्मक याचिका (Curative Petitions) सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान खारिज कर दी। इसी के साथ कोर्ट ने उनकी वह याचिका भी खारिज कर दी, जिसमें दोनों दोषियों ने फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग की थी। ऐसे में 22 जनवरी को दी जाने वाली फांसी का रास्ता साफ हो गया। हालांकि, अब भी इन दोनों के पास सिर्फ राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने का ही एकमात्र विकल्प बचा है। 

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इससे पहले 7 जनवरी को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देने की 22 जनवरी की तारीख तय कर चुकी है। वहीं, डेथ वारंट के बाद फांसी से घबराएं दो दोषियों मुकेश सिंह और विनय शर्मा ने ही सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका डाली थी।

इस बीच सुनवाई से ठीक पहले निर्भया की मां ने अहम बयान में कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि दोषियों की क्यूरेटिव पेटिशन सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो जाएगी। इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आगामी 22 जनवरी की सुबह 7 बजे चारों को फांसी पर लटकाया जाएगा।

दरअसल, डेथ वारंट जारी होने के बाद चार में से दो दोषियों विनय शर्मा और मुकेश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में क्यूरेटिव पेटिशन (सुधारात्मक याचिका) दायर कर राहत की गुहार लगाई थी। इस पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच में सुनवाई हुई, इनमें जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस आर. भानमती और जस्टिस अरुण भूषण शामिल थे।

बता दें कि एक दोषी विनय शर्मा ने क्यूरेटिव पेटिशन में अपनी युवावस्था का जिक्र करने के साथ जेल में अपने आचरण, परिवार में बीमार माता-पिता और आश्रितों का हवाला देते हुए कहा कि उनके साथ  न्याय नहीं हुआ, जिस पर विचार किया जाए।

गौरतलब है कि 7 जनवरी को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के माता-पिता की याचिका पर अहम फैसला देते हुए 22 जनवरी की सुबह 7 बजे चारों दोषियों को तिहाड़ जेल में मौत होने तक फांसी के फंदे पर लटकाने के आदेश के तहत डेथ वारंट जारी किया था।  

क्यूरेटिव पेटिशन में 17 मामलों का जिक्र

दोषियों विनय कुमार शर्मा और मुकेश सिंह ने अपनी क्यूरेटिव पेटिशन में कहा है कि दो साल पहले यानी वर्ष 2017 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद 3 जजों की बेंच ने दुष्कर्म और हत्या से जुड़े 17 केस में दोषियों की फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील की है। 

गौरतलब है कि 16 दिसंबर,  2012 को वसंत विहार इलाके में चलती बस में कुल पांच दरिदों (राम सिंह, नाबालिग, मुकेश सिंह, विनय कुमार शर्मा, पवन कुमार गुप्ता और अक्षय ठाकुर) ने निर्भया के साथ वहशियाना हरकत की थी, जिसके बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। छह में से राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी, जबकि नाबालिग जुवेनाइल कोर्ट में अपनी सजा पूरी कर चुका है। उधर, निचली अदालत के बाद दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी फांसी की सजा पर मुहर चुका है। इस बीच दिल्ली की स्थानीय अदालत बचे चारों दोषियों अक्षय, मुकेश, विनय और पवन के खिलाफ फांसी देने के लिए डेथ वारंट भी जारी कर चुका है, जिसके तहत 22 जनवरी की सुबह 7 बजे तिहाड़ जेल में फांसी दी जानी है।

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