सुनंदा पुष्कर मौत मामला: पटियाला हाउस कोर्ट ने डीसीपी साउथ को भेजा समन
सुनंदा पुष्कर की मौत को 3 साल से ज्यादा हो गए है लेकिन अभी भी जांच के नाम कमरा नंबर 345 को जांच एजेंसी यानी दिल्ली पुलिस ने सील कर रखा है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। पटियाला हाउस कोर्ट ने डीसीपी साउथ को समन भेज 12 सितंबर को कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया है। दरअसल, होटल लीला ने पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि सुनंदा पुष्कर की मौत को 3 साल से ज्यादा हो गए है लेकिन अभी भी जांच के नाम कमरा नंबर 345 को जांच एजेंसी यानी दिल्ली पुलिस ने सील कर रखा है। जिससे उन्हें घाटा हो रहा है।
कमरा नंबर 345 में ही सुनंदा की संदिग्ध मौत हुई थी। कोर्ट में पुलिस की तरफ से कहा गया कि एक सितंबर को सीएफएसएल की टीम जांच के लिए होटल गयी थी अभी कमरे से सील नहीं हटा सकते, उन्हें कुछ और समय चाहिए। इस पर कोर्ट ने डीसीपी साउथ को समन भेज हाजिर होने को कहा है।
हाईकोर्ट ने लगाई थी फटकार
बता दें कि इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनंदा पुष्कर की मौत को लेकर जांच में देरी पर सवाल उठाते हुए दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा था कि 'हम जानना चाहते हैं कि तीन सालों में क्या हुआ' न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह घटना जनवरी 2014 में हुई और अभी तक पुलिस से कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। पीठ ने यह भी कहा था कि 'हम जानना चाहते हैं कि आप कहां तक पहुंचे? आपने चीजों को पेंचीदा बना दिया है। हमारे लिए यह दूसरे मामलों की तरह ही है। हम जानना चाहते हैं कि तीन सालों में क्या हुआ?'
दिल्ली पुलिस की सफाई
दिल्ली पुलिस ने अदालत से कहा था कि जांच में देरी नहीं हुई है और तकनीकी जांच उनके हाथों में नहीं है। मामले की जांच में कुछ एजेंसियों के साथ-साथ एम्स भी शामिल है और इस वजह से थोड़ा समय लग रहा है।पुलिस की तरफ से पीठ के समक्ष पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने कहा, 'मामला वैज्ञानिक जांच पर निर्भर है, एम्स में नमूने तीन बार भेजे गए, अधिकारी लैब रिपोर्ट के लिए अमेरिका भी गए जांच पूरी होने के करीब है' सुनंदा पुष्कर (52) दिल्ली के एक होटल के कमरे में 17 जनवरी, 2014 को मृत पाई गई थीं।
सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई
न्यायालय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने पुष्कर मौत मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो की अगुवाई में विभिन्न विशेषज्ञों की विशेष जांच टीम से न्यायालय की निगरानी में कराने का अनुरोध किया है।
सुनवाई के दौरान स्वामी ने न्यायालय से कहा कि यदि जांच एजेंसियां इस नतीजे पर पहुंचती हैं कि मौत जहर के कारण हुई तो फिर यह मायने नहीं रह जाता कि जहर किस तरह का था। उन्होंने पीठ से कहा कि वह एसआईटी जांच की निगरानी करे, क्योंकि जहर का पता लगाने फैसला मामले में 'देरी की रणनीति' मालूम पड़ती है।
'हम जांच की निगरानी नहीं कर रहे'
न्यायालय ने कहा कि 'हम जांच की निगरानी नहीं कर रहे। हम बस जानना चाहते हैं कि पुलिस कहां तक पहुंची' न्यायालय ने पुलिस से कहा कि दो सप्ताह बाद मामले की जांच की प्रगति पर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे और मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 सितंबर की तिथि निर्धारित की।
स्वामी ने मामले की निर्धारित समय में जांच की मांग करते हुए कहा कि इसमें 'बहुत प्रभावी लोग शामिल हैं और ऐसे में उन्हें बचाने की कोशिश हो सकती है। साथ ही मामले में पहले ही बहुत अनावश्यक देरी हो चुकी है। भाजपा नेता ने दावा कि मौत से कुछ दिन पहले ही पुष्कर ने एक भ्रष्टाचार मामले का पर्दाफाश करने के लिए संवाददाता सम्मेलन बुलाया था।
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