Delhi News: किडनी की गांठ की सफल रोबोटिक सर्जरी से मिला नया जीवन
डाक्टरों ने रोबोटिक सर्जरी के जरिए 10 बाई 10 सेंटीमीटर साइज की गांठ (रेनल सिस्ट) को निकाला। इसका आकार टेनिस बाल के बराबर था। अस्पताल में सर्जिकल ओंकोलाजी एवं रोबोटिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. सुरेंद्र डबास ने बताया कि ये आपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण था।
नई दिल्ली [राहुल चौहान]। किडनी की गांठ की सफल रोबोटिक सर्जरी होने से एक 15 साल की बच्ची दीपाली को नया जीवन मिला है। बीएलके- मैक्स अस्पताल के डाक्टरों ने इस सर्जरी को करने में सफलता प्राप्त की है। रोबोटिक सर्जरी का फायदा ये हुआ कि दीपाली ने तुरंत रिकवरी कर ली और ऑपरेशन के चौथे दिन वो अस्पताल से डिस्चार्ज हो गईं। गांठ के कारण पहले ही दीपाली की एक किडनी खराब हो चुकी थी। वह एक ही किडनी के साथ पैदा हुई थी।
डाक्टरों ने रोबोटिक सर्जरी के जरिए 10 बाई 10 सेंटीमीटर साइज की गांठ (रेनल सिस्ट) को निकाला। इसका आकार टेनिस बाल के बराबर था। अस्पताल में सर्जिकल ओंकोलाजी एवं रोबोटिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. सुरेंद्र डबास ने बताया कि ये आपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि गांठ हटाते वक्त ये भी सुनिश्चित करना था कि किडनी या ब्लड वेसल्स और यूरेटर को नुकसान न पहुंचे।
नुकसान पहुंचने से दूसरी किडनी भी खराब हो सकती थी। रेनल वेसल्स और यूरेटर अजीब तरह से गांठ से जुड़े थे, ऐसे में अगर इनमें से किसी भी अंग पर असर पड़ता तो मरीज के लिए मुश्किल हो सकती थी। डाक्टर डबास ने आगे बताया कि आमतौर पर डाक्टर इस तरह की गांठ को निकालने के लिए ओपन सर्जरी करते हैं , लेकिन हमने रोबोटिक सर्जरी का इसलिए इस्तेमाल किया, जिससे शरीर को कम से कम नुकसान पहुंचे।
उन्होंने बताया कि 15 साल की दीपाली का जन्म सामान्य नहीं हुआ था । उसकी दोनों किडनी एक साथ जुड़ी हुई थीं और बाएं हिस्से में थीं। जबकि दाईं किडनी वाला एरिया खाली था । डाक्टर डबास ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी में कम दर्द और कम बल्ड लास होता है । वहीं, जल्दी रिकवरी होती है। आपरेशन के चलते होने वाले संक्रमण का खतरा भी रोबोटिक सर्जरी में बहुत कम रहता है।