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दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कैसे बढ़ेगा जलस्तर ? किया गया अध्ययन

सुझाए गए उपाय अपनाने से भूजल स्तर गिरने की रफ्तार सालाना 67 फीसद तक कम हो जाएगी। भूजल का स्तर सुधरेगा तो पेयजल आपूर्ति में भी सुधार हो पाएगा।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 09:34 AM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 09:34 AM (IST)
दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कैसे बढ़ेगा जलस्तर ? किया गया अध्ययन
दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कैसे बढ़ेगा जलस्तर ? किया गया अध्ययन

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली सहित पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के गिरते भूजल स्तर को वैकल्पिक कृषि उपायों से थामा जा सकता है। थोड़ा वक्त लगेगा, लेकिन भूजल स्तर गिरने की रफ्तार सालाना 67 फीसद तक कम हो जाएगी। भूजल का स्तर सुधरेगा तो पेयजल आपूर्ति में भी सुधार हो पाएगा। यह सुखद दावा दरअसल, दिल्ली विश्वविद्यालय के भूगर्भ विभाग, आइआइटी कानपुर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान व डरहम विश्वविद्यालय, ब्रिटेन के शोधार्थियों के संयुक्त दल ने भूजल के गिरते स्तर पर किए अध्ययन के आधार पर किया है।

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दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के 26 जिलों में यह अध्ययन किया गया, जिनमें दिल्ली और राजस्थान का एक-एक, हरियाणा के 16 और पंजाब के 8 जिले शामिल किए गए। केंद्रीय भूविज्ञान मंत्रालय के आर्थिक सहयोग से किया गया यह अध्ययन 2018 तक के आंकड़ों पर आधारित था।

अध्ययन की रिपोर्ट 'साइंटिफिक रिपो‌र्ट्स' नामक जर्नल में प्रकाशित हुई। अध्ययन में बताया गया है कि अधिक सिंचाई वाली कृषि से इन राज्यों के करीब सभी जिलों में भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है, लेकिन 10 जिले ऐसे हैं जहां यह 2.8 मीटर प्रति वर्ष की दर से नीचे जा रहा है। हालांकि, खारे पानी में तो कोई अंतर नहीं पड़ रहा, लेकिन पेयजल की किल्लत बढ़ रही है। इस स्थिति को ध्यान में रखकर सिंचाई को 20 फीसद तक कम करने की केंद्र सरकार की नीति को मॉडलिंग के जरिये परखा गया। इसका अगले दस सालों के लिए आकलन किया गया।

आकलन में सामने आया कि अगर कृषि कार्यों में सिंचाई के दौरान 20 फीसद पानी बचाने की नीति को गंभीरता से क्रियान्वित किया जाए तो 2028 तक भूजल स्तर गिरने की रफ्तार 36 से 67 फीसद तक घट जाएगी। परोक्ष रूप से इसे भूजल स्तर सुधार भी माना जा सकता है, जिससे पेयजल आपूर्ति आसान होगी।

अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं ने तीन सुझाव दिए हैं। पहला, धान सहित अधिक ¨सचाई वाली फसलों का रकबा कम किया जाए व वैकल्पिक फसलों को बढ़ावा दिया जाए। दूसरा, फसलों को बोने में जल संरक्षण वाली तकनीकों का उपयोग किया जाए। तीसरा, खेतों में कुंड आदि बनाए जाएं, जहां जल संग्रहण किया जा सके।

इन 26 जिलों में किया अध्ययन

दिल्ली : दक्षिण-पश्चिमी जिला

हरियाणा : सिरसा, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, जींद, फतेहाबाद, हिसार, सोनीपत, रोहतक, भिवानी, झज्जर, गुरुग्राम, पानीपत, पंचकूला

पंजाब : रोपड़, लुधियाना, फतेहगढ़ साहिब, पटियाला, संगरूर, बठिंडा, मानसा, मुक्तसर

राजस्थान : हनुमानगढ़

इन 10 जिलों में तेजी से गिर रहा भूजल स्तर

पटियाला, संगरूर, फतेहगढ़ साहिब, मानसा, सिरसा, अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद और दिल्ली

डॉ. शशांक शेखर (सहायक प्रोफेसर, भूगर्भ विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) का कहना है कि इस अध्ययन से साबित हुआ है कि भूजल का गिरता स्तर थामने को सरकारी और गैर सरकारी दोनों स्तरों पर प्रयास जरूरी हैं। केंद्र सरकार की नीति बढि़या है, बशर्तें उस पर ढंग से अमल किया जाए। इसके अलावा वैकल्पिक कृषि उपाय भी अपनाए जाने की जरूरत है।


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