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DU: आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज के छात्रों ने बांधा समां, प्राचार्य डॉ. ज्ञानतोष कुमार झा ने की तारीफ

मंच पर आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज के छात्रों ने इतिहास की प्राचीनता में वर्तमान काल की समस्या को बहुत अच्छे से प्रस्तुत किया।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 07:25 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 09:18 AM (IST)
DU: आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज के छात्रों ने बांधा समां, प्राचार्य डॉ. ज्ञानतोष कुमार झा ने की तारीफ
DU: आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज के छात्रों ने बांधा समां, प्राचार्य डॉ. ज्ञानतोष कुमार झा ने की तारीफ

नई दिल्ली [रितु राणा]। Delhi University: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज की नाट्य समिति रंगायन द्वारा हिंदी के रंगशीर्ष आलोचक डॉ. जयदेव तनेजा के सम्मान में छठे तीन दिवसीय "रंगशीर्ष जयदेव नाट्य उत्सव' का आयोजन हुआ। मंडी हाउस स्थित श्रीराम सेंटर में नाट्योत्सव के पहले दिन प्रसिद्ध हिंदी कवि नाटककार जयशंकर प्रसाद के नाटक ध्रुवस्वामिनी का मंचन हुआ। मंच पर विद्यार्थियों ने इतिहास की प्राचीनता में वर्तमान काल की समस्या को बहुत अच्छे से प्रस्तुत किया। नाटक के माध्यम से छात्रों ने स्त्री समस्याओं को मंच पर उसकी संपूर्णता में प्रस्तुत करने का प्रयास किया।

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नाटक का मंचन कॉलेज के पूर्व छात्रों ने किया

इस नाटक का मंचन काॅलेज के पूर्व विद्यार्थियों ने ही किया। छात्रों ने अपने प्रदर्शन से सभागार में उपस्थित दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम का संचालन कॉलेज की पूर्व छात्रा सुनीता चौहान ने किया। इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. ज्ञानतोष कुमार झा ने कहा कि रंगायन आज जहां जिस मुकाम पर पहुंचा है उसका श्रेय डॉ .जयदेव तनेजा को ही जाता है।

यह संपूर्ण नाटक उत्सव उन्हीं के सम्मान में आयोजित है। हिंदी नाटक और रंगमंच के अकेले प्रेक्षक-आलोचक हैं जिसने लगभग चालीस वर्षों तक नाट्य-प्रस्तुतियां देखी और उन पर लगातार अपनी कलम चलाई है। नाटक युवाओं को जागरूक करने का सबसे सशक्त माध्यम है। जो बात नारों और विचारों से नहीं समझाई जा सकती उसे नाटक सफलतापूर्वक संप्रेषित कर देता है।

डीयू के पूर्व कुलपति पद्मश्री दिनेश सिंह ने कहा कि इस तरह के नाटक हमें आत्मिक शुद्धिकरण का अवसर देते हैं। वहीं, रंगशीर्ष जयदेव ने कहा कि अनावश्यक संवाद, तेज रफ्तार और बाहरी आडंबरों के नाटक में बढ़ते हस्तक्षेप से मंचन सिर्फ मनोरंजन बनकर रह गया है।

यह रंगकर्म के लिए गहरे चिंता का विषय है। नई पीढ़ी के रंगकर्मियों को प्रशिक्षण देकर नाटक में ‘मौन’ को फिर से स्थापित करने की जरूरत है जो दर्शक को सोचने का स्पेस देता है। इस दौरान जयदेव तनेजा द्वारा संपादित व मोहन राकेश द्वारा लिखित उपन्यास कांपता हुआ दरिया और एक रंगायन ब्रॉशर का विमोचन भी हुआ। कार्यक्रम में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक सुरेश शर्मा, प्रसिद्ध नाट्य लेखिका मीराकांत व प्रोफेसर उमेश राय भी मौजूद रहे।


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