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Delhi News: विद्यार्थियों ने सीखा तकनीक को संस्कार पर हावी न होने देने का संस्कार

स्कूल की शिक्षिका ने कार्यक्रम शुरू करने से पहले जागरण की पहल से परिचय करते हुए बताया कि किस प्रकार दैनिक जागरण कई सालों से छात्रों को कहानियों को जरिए नैतिक मूल्यों का संस्कार देकर शिक्षित कर रहा है और उनकी इन विषयों पर भावनाओं को प्रकाशित भी कर रहा।

By Ritika MishraEdited By: Prateek KumarPublished: Thu, 06 Oct 2022 04:42 PM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 04:42 PM (IST)
Delhi News: विद्यार्थियों ने सीखा तकनीक को संस्कार पर हावी न होने देने का संस्कार
दैनिक जागरण द्वारा न्यू राजेंद्र नगर स्थित मानव स्थली स्कूल में आयोजित संस्कारशाला की कार्यशाला। ध्रुव कुमार।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। छात्रों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा और संस्कार देने के लिए दैनिक जागरण की ओर से बृहस्पतिवार को राजेंद्र नगर स्थित मानव स्थली स्कूल में संस्कारशाला की कार्यशाला का आयोजन किया गया। स्कूल की हिंदी की शिक्षिका रविंदर कौर ने इस दौरान विद्यार्थियों को जागरण में बुधवार को प्रकाशित प्यार और समझदारी है समस्या का हल कहानी सुनाई। इस दौरान स्कूल के छठीं और सातवीं कक्षा के छात्र शिक्षिका को पूरी तल्लीनता के साथ सुनते नजर आए। छात्रों ने पूरी कहानी को ध्यान से सुना और शिक्षिका द्वारा कहानी से संबंधित सवालों का तपाक से जवाब भी दिया।

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दे रहे कहानियों के जरिए नैतिक मूल्यों का संस्कार 

स्कूल की शिक्षिका ने कार्यक्रम शुरू करने से पहले जागरण की इस पहल से परिचय करते हुए बताया कि किस प्रकार दैनिक जागरण बीते कई सालों से छात्रों को कहानियों को जरिए नैतिक मूल्यों का संस्कार देकर शिक्षित कर रहा है और उनकी इन विषयों पर भावनाओं को प्रकाशित भी कर रहा है। उन्होंने बताया कि स्कूल भी बीते तीन सालों से इस कार्यक्रम में प्रतिभागिता भी करता है। इसके बाद शिक्षिका ने रोचक तरीके से छात्रों को कहानी सुनाई।

छात्रों को अच्छी लगी कहानी

छात्रों को कहानी इतनी अच्छी लगी कि एकाग्र होकर कहानी के एक-एक शब्द ध्यान से सुनते रहे। शिक्षिका ने बताया कि कहानी डिजिटल संस्कारों के ईर्द-गिर्द घूमती है। उन्होंने बताया कि कोरोना के बाद से शिक्षा व्यवस्था आनलाइन ही हो गई है। पढ़ाई से लेकर परीक्षाएं भी आनलाइन हो रही हैं। ऐसे में तकनीक का इस्तेमाल तो रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा है। लेकिन, इसका अति इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार अपने माता-पिता की गैरमौजूदगी में अमर घर पहुंच कर टैब लेकर बैठ जाता है और उसके चक्कर में न अपने स्कूल के कपड़े समय पर बदलता है और न ही होमवर्क कर पाता है। बहुत देर तक टैब लिए बैठे अमर को जब दादाजी टोकते हैं तो वो झल्ला जाता है और दादाजी से भी तेज आवाज में बात करता है।

बच्चों ने जाना गैजेट्स के दुष्परिणाम  

शिक्षिका ने विद्यार्थियों को बताया कि किस तरह गुस्सा करने की बजाय संयम बरतते हुए अमर के पिताजी रमेश पूरा मामला जानने के बाद प्यार से अमर को समझाते हैं और दादाजी से माफी मांगने को कहते हैं। इसके साथ ही रमेश अपने बाबूजी को मोबाइल, टैब व अन्य गैजेट्स के दुष्परिणामों की चिंता को जायज ठहराते है और अमर से इसकी बारीकियां भी सिखाने को कहता है।

शिक्षिका ने पूछे प्रश्न

विद्यार्थियों को कहानी में अमर के पिता की भूमिका काफी अच्छी लगी। साथ ही रमेश की समझाइश के बाद अमर और दादाजी के एक साथ टैबलेट इस्तेमाल करने के प्रसंग को सुनकर खुश भी हुए। कहानी पूरी करने के बाद शिक्षिका ने चार प्रश्न छात्रों से पूछे। छात्रों ने भी सभी प्रश्नों के उत्तर दिए। कार्यक्रम संपन्न होने के बाद भी छात्रों के बीच कहानी की चर्चा होती रही। उन्हें संस्कारशाला की कहानी बहुत ही अच्छी लगी है।

दैनिक जागरण के इस कार्यक्रम से स्कूल बीते तीन सालों से जुड़ा हुआ है। जागरण की ओर से समय-समय पर आयोजित इस तरह के कार्यक्रमों और कार्यशालाओं से जुड़कर अच्छा लगता है। छात्रों को भी कुछ नया सीखने की प्रेरणा मिलती है। संस्कारशाला के तहत प्रकाशित कहानियां विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा देने के साथ-साथ उनकी हिंदी की समझ को भी बढ़ाती हैं।

ममता वी भटनागर, निदेशक, मानव स्थली स्कूल, न्यू राजेंद्र नगर


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