Locust Attack: दिल्ली में टिड्डियों से बचने के लिए दवाइयों का छिड़काव
दिल्ली सरकार ने सलाह दी है कि टिड्डी दल शाम के समय समूह में पेड़ों झाडि़यों व फसलों पर बसेरा करते हैं और वहीं पर रात गुजारते हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। टिड्डियों के संभावित हमले से पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने अपने तहत आ रही हरियाली को बचाने के लिए कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव शुरू कर दिया है। सभी स्मारकों में हरियाली पर शुक्रवार को दवाइयों का छिड़काव शुरू कर दिया गया। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने टिड्डियों से पेड़-पौधों को बचाने के लिए निर्देश जारी किए हैं।
निर्देश में कहा गया है कि सड़कों के किनारे आदि जगह जहां भी विभाग द्वारा हरियाली की गई है। सभी पेड़-पौधों पर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करें। फसलों व पेड़-पौधों को बचाने के लिए इन दवाओं का करें छिड़काव-क्लोरोपायरीफास 20 प्रतिशत ईसी 1200 एमएल-क्लोरोपायरीफास 50 प्रतिशत ईसी 500 एमएल -मेलाथियान 50 प्रतिशत ईसी 1850 एमएल -मेलाथ्रीन 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी का 3700 ग्राम प्रति हैक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें। (इन कीटनाशक दवाइयों को 2 हजार लीटर पानी मे मिलाया जाना है।)
रात के वक्त दवाइयों के छिड़कने से होगा फायदा
दिल्ली सरकार ने सलाह दी है कि टिड्डी दल शाम के समय समूह में पेड़ों, झाडि़यों व फसलों पर बसेरा करते हैं और वहीं पर रात गुजारते हैं। इसलिए इन पर इसी समय दवा छिड़काव करना चाहिए। अन्यथा ये रात भर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं और फिर सुबह 8-9 बजे के करीब वहां से निकल जाते हैं।