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NCR पर ट्रिपल अटैकः ठंड-कोहरे के साथ बढ़ा प्रदूषण, लागू हो सकता है ऑड-ईवन

सीपीसीबी के सदस्य सचिव के सुधाकर ने मौजूदा स्थिति को गंभीर ही नहीं, बल्कि खतरनाक भी माना है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 02 Jan 2018 08:40 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jan 2018 12:58 PM (IST)
NCR पर ट्रिपल अटैकः ठंड-कोहरे के साथ बढ़ा प्रदूषण, लागू हो सकता है ऑड-ईवन
NCR पर ट्रिपल अटैकः ठंड-कोहरे के साथ बढ़ा प्रदूषण, लागू हो सकता है ऑड-ईवन

नई दिल्ली (जेएनएन)। नए साल का आगाज जिस घने कोहरे और स्मॉग से हुआ है, वह अभी कई दिन बने रहने के आसार हैं। स्थिति अभी और विकट हो सकती है। मंगलवार को दिल्ली एनसीआर में ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) का इमरजेंसी प्लान भी लागू हो सकता है।

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने भी मौके की नजाकत भांपते हुए मंगलवार को टास्क फोर्स की आपात बैठक बुला ली है।

सोमवार को नए साल के पहले ही दिन जबरदस्त कोहरा होने और हवा की स्थिति कम होने के कारण कोहरा स्मॉग में बदलता गया।

दोपहर में मिक्सिंग हाइट 1240 मीटर थी, लेकिन 4.31 बजे यह 710 मीटर रह गई। 5 बजे यह 171 मीटर रह गई। यानी कोहरे के साथ जो प्रदूषक तत्व थे वे नीचे आ गए।

उधर, तापमान घटने लगा। 2 बजकर 44 मिनट पर अधिकतम तापमान जो 18.6 डिग्री सेल्सियस था वह 4 बजकर 21 मिनट पर 17.8 डिग्री सेल्सियस और पांच बजकर 44 मिनट पर घटकर 15.7 डिग्री सेल्सियस पर आ गया।

दोपहर में हवा की दिशा दक्षिणपूर्वी थी शाम को उत्तरपूर्वी हो गई और देर शाम तक उत्तरी हो गई। ऐसे में वायु प्रदूषण का स्तर भी बहुत गंभीर हो गया। 4 बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स 398 था, जो शाम 5 बजे 401 पहुंच गया।

हवा की गति लगभग बंद हो गई और मौसम विभाग ने केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड को अपनी सलाह में अगले दो से तीन दिन तक इसी तरह की स्थिति बनी रहने की संभावना जताई है। ऐसे में सीबीसीबी और ईपीसीए दोनों अलर्ट हो चुके हैं। मंगलवार को टास्क फोर्स की आपात बैठक बुला ली गई है।

मंगलवार को इस ही इस स्थिति के 48 घंटे भी पूरे हो जाएंगे। उसके साथ ही दिल्ली में इमरजेंसी प्लान लागू हो सकता है। तमाम भवन निर्माण संबंधी गतिविधियां बंद हो जाएंगी। एनसीआर में ईंट भट्टे, हाट मिक्स प्लांट, स्टोन क्रेशर इत्यादि बंद हो जाएंगे। दिल्ली सहित एनसीआर के छह शहरों में ऑड-इवेन भी स्वत: लागू हो जाएगा।

सनद रहे कि इस बार ऑड-इवेन में इमरजेंसी सेवा को छोड़कर किसी को भी छूट नहीं होगी। यह नियम दोपहिया वाहनों पर भी लागू होगा। सीपीसीबी सूत्रों के मुताबिक कोहरे के साथ बहुत अधिक वायु प्रदूषण बढ़ने की एक वजह जगह-जगह पर हाथ सेंकने के लिए लगाई जा रही आग भी है। लोग ठंड से बचने के लिए प्रतिबंध के बावजूद अलाव का सहारा ले रहे हैं।

लोग लकड़ियां, कूडा, तार और प्लास्टिक का सामान जला रहे हैं। नगर और निगम दिल्ली सरकार के स्तर पर कोई सख्ती देखने को नहीं आ रही है।

जागरण से बातचीत में सीपीसीबी के सदस्य सचिव के सुधाकर ने मौजूदा स्थिति को गंभीर ही नहीं, बल्कि खतरनाक भी माना है। दिल्ली-एनसीआरवासियों को स्वास्थ्य संबंधी तमाम एहतियात बरतने की सलाह दी है।

उन्होंने बताया कि शीतकालीन अवकाश के कारण स्कूल तो बंद हो ही गए हैं। इस समय बच्चे बुजुर्ग व महिलाओं को चाहिए कि वे बाहर कम निकलें। वे घर में अधिक से अधिक समय बिताएं।

श्वास संबंधी रोगों के मरीजों को और एहतियात बरतने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि मंगलवार को स्थिति की नजाकत को देखते हुए आगे की रणनीति तय की जाएगी।

नववर्ष के पहले दिन ही राजधानी कोहरे की चादर से जहां लिपटी रही, वहीं प्रदूषण के स्तर में बेतहाशा वृद्धि के कारण राजधानी गैस के चैंबर में तब्दील हो गई। राजधानी के विभिन्न स्थानों पर प्रदूषण तत्व पीएम 2.5 का स्तर खतरे के निशान से ऊपर दर्ज किया गया।

सबसे अधिक प्रदूषित रहने वाले स्थलों में से एक आनंद विहार में दोपहर 12 बजे से शाम 7 बजे तक प्रदूषण का स्तर 500 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर से अधिक दर्ज किया गया। अन्य कई स्थलों पर यह सामान्य से पांच गुना अधिक दर्ज किया गया।

सिस्टम आफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फारकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के अनुसार राजधानी में औसतन पीएम 2.5 का स्तर 240 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर दर्ज किया गया। यह रविवार की अपेक्षा 8 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर अधिक है। सफर ने यह आंकड़ा बढ़ने की बात कही है।

दो दशक के संघर्ष के बावजूद भारत के रेल एवं हवाई परिवहन क्षेत्र कोहरे पर विजय प्राप्त नहीं कर सके हैं। दावों के बावजूद हर साल दिसंबर-जनवरी में इनकी पोल खुल जाती है। इस साल भी दोनों क्षेत्र कोहरे के आगे घुटने टेकते दिखाई दे रहे हैं। ट्रेनें बीस-बीस घंटे लेट चल रही हैं और उड़ानों का शेड्यूल अस्तव्यस्त हो गया है।

कोहरे के प्रति रेल और विमानन मंत्रालय का रवैया कुछ वैसा ही है, जैसा प्रदूषण को लेकर पर्यावरण मंत्रालय और दिल्ली सरकार का। नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) के भय से प्रदूषण के खिलाफ तो कुछ होता भी है। लेकिन, रेलवे और विमानन मंत्रालय को किसी का डर नहीं। इसलिए यात्रियों की मुश्किलों के बावजूद सिर्फ दुर्घटना रोकने के उपाय होते हैं।

यह अलग बात है कि कोई न कोई रेल हादसा सर्दियों में हो ही जाता है। हमेशा की तरह इस साल भी रेलवे ने कोहरे से निपटने के ‘ट्राइड एंड टेस्टेड’ उपाय किए हैं। लेकिन, इससे पहले से लेटलतीफ ट्रेनें और लेट चलने लगी हैं।

हालात यह है कि यात्री कन्फर्म टिकट कैंसिल कराने को मजबूर हैं। ऐसे में लोग सवाल पूछने लगे हैं कि ट्रेन प्रोटेक्शन एंड वार्निंग सिस्टन, ट्रेन कोलीजन अवाइडेंस सिस्टम, त्रि-नेत्र और फॉग सेफ डिवाइस जैसी बहुप्रचारित प्रणालियों का क्या हुआ? क्या इन्हें केवल ट्रायल के लिए लाया जाता है?

एलईडी फॉग लाइट लगाने की बात भी हो रही है। मगर पायलट से आगे बात अटक जाती है। विमानन क्षेत्र का हाल भी अलग नहीं है। हर साल सर्दियों से पहले डीजीसीए हवाई अड्डों और एयरलाइनों के लिए एडवाइजरी जारी करता है।

वहीं, बैठकें होती हैं। दावे किए जाते हैं कि इस बार कोहरे से निपटने के लिए फलां तकनीक अपनाई जा रही है, अमुक उपकरण लगाए गए हैं। इस बार भी एडवाइजरी के बाद डायल ने दावा किया था कि दिल्ली एयरपोर्ट के तीनो रनवे (28, 29 और 11) कैट-3बी सुविधाओं से लैस हैं, जिन पर इस तकनीक में प्रशिक्षित पायलट 50 मीटर तक की कम दृश्यता पर भी आसानी से लैंडिंग कर सकते हैं।

इसके अलावा 139 पार्किंग स्टैंड को एरोनॉटिकल ग्राउंड लाइटिंग सिस्टम से सुसज्जित कर दिया गया है और एयरक्राफ्ट मूवमेंट के वक्त पायलट के मार्गदर्शन के लिए जीपीएस से लैस वाहनों वाली ‘फॉलो मी सर्विस’ भी शुरू की जा चुकी है। किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए जगह-जगह क्रैश फायर टेंडर भी लगाए गए हैं।


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