Single Use Plastic Ban: दिल्ली में पानी की छोटी बोतलों और सॉस के पाउच पर भी जल्द लग सकती है पाबंदी
Single Use Plastic Ban प्लास्टिक बनाने के लघु उद्योगों को सपोर्ट करने के लिए सीपीसीबी देश भर में वर्कशाप का आयोजन कर रही है। इसमें यह बताया जा रहा है कि कैसे वह अन्य विकल्प अपना सकते हैं।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। राजधानी दिल्ली में पानी की छोटी बोतलों और केचप व सॉस के छोटे सैशे पर भी जल्द पाबंदी लग सकती है। सिंगल यूज प्लास्टिक के तहत पहले से अधिसूचित 19 वस्तुओं से इतर छह अन्स वस्तुओं की भी पहचान की गई है, जिनसे प्लास्टिक प्रदूषण की मात्रा बढ़ती है।
बता दें कि इन छह वस्तुओं की पहचान दिल्ली नगर निगम की ओर से की गई है। इनमें पानी की 250 मिलीमीटर से छोटी बोतलें, पानी के पाउच, प्लास्टिक के बैनर-पोस्टर, खाद्य पदार्थों पर की जाने वाली पैकेजिंग, केचप और सास के छोटे सैशे, कई परतों वाले एकल उपयोग प्लास्टिक और थर्माकोल से बनी हुई कटलरी आइटम शामिल हैं। प्लास्टिक कचरे पर पाबंदी के क्रम में अगले चरण में इन आइटमों पर भी पाबंदी लगाई जा सकती है।
हर दिन निकलता है छह सौ टन से ज्यादा प्लास्टिक कचरा
राजधानी दिल्ली में हर दिन छह सौ 44 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। इसका बड़ा हिस्सा ऐसी प्लास्टिक चीजों का होता है जो सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी होती हैं। इन्हें रिसाइकिल करना बहुत मुश्किल और खर्चीला होता है। इसलिए माना जा रहा है कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगने वाली पाबंदी से प्लास्टिक कचरे की तादाद में भारी कमी आएगी
क्या दावे किए गए थे
- बाजारों में काउंटर बनाने थे जहां लोगों को कपडे़ के बैग या विकल्प मिले
- कई मार्केट में नहीं बने
- एनजीओ के जरिये पुराने अखबारों से पेपर बैग बनाने थे
- अब तक अधिकांश जगहों पर उपलब्ध नहीं
- केंद्रीय भंडार और मार्केट में रिफिल स्टोर सेट करना
- ज्यादातर जगहों पर नहीं-स्कूलों और चेरिटेबल इंस्टीट्यूट में बर्तन भंडार बनाना
- अब तक शुरुआत नहीं
अब तक क्या है सरकार की तैयारी
1 से 3 जुलाई तक त्यागराज स्टेडियम में दिल्ली सरकार की तरफ से सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्पों का मेला लगेगा- लोग प्लास्टिक के प्रतिबंधित आइटमों की आसानी से शिकायत कर सकें इसके लिए सीपीसीबी ने एक एप लांच किया है।
प्रतिदिन निकलने वाला प्लास्टिक कचरादेश भर में प्लास्टिक कचरा - 25950 टन
दिल्ली में - 689.8 टन
कोलकाता - 429.5 टन
चैन्ने - 429.4 टन
स्त्रोत- सीएसई की स्टेट आफ इंडियाज एनवायरमेंट-2022
गौरतलब है कि बीते 28 सालों में प्लास्टिक का उपयोग 20 गुना तक बढ़ा है, इसमें 60 प्रतिशत हिस्सेदारी ¨सगल यूज प्लास्टिक की है
क्या क्या प्रतिबंधित हो रहा है एक जुलाई से
- प्लास्टिक स्टिक
- प्लास्टिक स्टिक वाले ईयरबड्स
- प्लास्टिक के झंडे
- कैंडी स्टिक
- आइसक्रीम स्टिक
- थराकॉल या पॉलिस्ट्रियन के सजावटी सामान
- गुब्बारों में लगने वाली प्लास्टिक स्टिककटलरी के सामान
- प्लास्टिक कप
- प्लास्टिक ग्लास
- प्लास्टिक के कांटे
- प्लास्टिक के चम्मच, स्ट्रा
- ट्रे और चाकूपैकेजिंग आइटम
- मिठाई के डिब्बों को पैक करने वाला प्लास्टिक
- इनविटेशन कार्ड में प्लास्टिक और सिगरेट के पैकेट में प्लास्टिक
- 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक/पीवीसी बैनर
कैरी बैग पर नहीं पड़ेगा अभी कोई असर
एक जुलाई से होने वाले प्रतिबंधित आइटमों का असर अभी कैरी बैग पर नहीं पड़ेगा। 30 सितंबर 2021 को 75 माइक्रोन से पतले कैरी बैग प्रतिबंधित किए गए थे। अब इसके अगले चरण में 31 दिसंबर 2022 को 120 माइक्रोन से पतले कैरी बैग को प्रतिबंधित किया जाना है।
आम लोगों के लिए पहचानना मुश्किल प्लास्टिक की मोटाई
हालांकि एक जुलाई से प्लास्टिक कैरी बैग को लेकर किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। लेकिन आमतौर पर लोग भ्रमित रहते है कि जो कैरी बैग वह इस्तेमाल कर रहे हैं वह मानकों के अनुरूप है या नहीं। इस समय 75 माइक्रोन से पतले कैरी बैग प्रतिबंधित है। विशेषज्ञों के अनुसार आम लोगों के लिए मोटाई के हिसाब से कैरी बैग की पहचान बहुत ही मुश्किल है। एक्सपर्ट भी इसे पहचानने में गलती कर सकते हैं।
हालांकि यह नियम है कि हर प्लास्टिक कैरी बैग पर उसकी मोटाई अंकित हो, लेकिन इसमें भी कई बार गलत स्टैंप के यूज के मामले सामने आए हैं। लेकिन इस बार मैन्युफेक्सजिंग और स्टोरेज पर भी प्रतिबंध है ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले समय में इसका असर जरूर दिखेगा।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
गैर सरकारी संगठन टाक्सिक लिंक की चीफ प्रोग्राम कॉर्डिनेटर प्रीति महेश के अनुसार पहली बार प्लास्टिक को लेकर देशव्यापी प्रतिबंध लगने जा रहा है। निश्चित तौर पर यह अच्छा कदम है। इस बार मैन्युफेक्चरिंग और स्टोरेज पर भी बैन है। अब तक जो बैन लग रहे थे वह राज्य व्यापी होते थे, ऐसे में दूसरो राज्यों से प्लास्टिक वहां पहुंच ही जाते थे। इस बैन को प्रभावी बनाने के लिए इसे कड़ाई से लागू करना जरूरी होगा।
इस बार कई राज्य प्लास्टिक के विकल्पों को लेकर अच्छा प्रयास कर रहे हैं। उन पर फोकस किया जा रहा है। लघु उद्योगों को विकल्प दिए जा रहे हैं। लेकिन इसमें बहुत छोटे विक्रेताओं को आर्थिक मदद की जरूरत भी होगी। उन्हें कुछ टैक्स छूट या आर्थिक मदद की जरूरत होगी। ऐसा नहीं है कि यह प्रतिबंध एक जुलाई को ही असर दिखाना शुरू कर देगा, इसके लिए कुछ इंतजार तो करना होगा।