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दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण का समाधान खोजने में जुटी केंद्र सरकार

विषयों के अनुरूप केंद्र सरकर के अलग-अलग मंत्रालय भी इन समितियों से जुडे़ हुए हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 22 Nov 2017 07:22 AM (IST)Updated: Wed, 22 Nov 2017 10:02 PM (IST)
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण का समाधान खोजने में जुटी केंद्र सरकार

नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान अब छह अलग- अलग समितियां खोजेंगी। सभी समितियां सीधे केंद्र सरकार के निर्देशन में काम कर रही हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय स्वयं हर सप्ताह इन समितियों के कामकाज की प्रगति पर समीक्षा कर रहा है।

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दरअसल, दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या साल दर साल बढ़ रही है। इस बार भी पिछले वर्ष की ही तरह दिल्ली स्मॉग चैंबर बनी। जब इस दिशा में उच्च स्तर पर बैठकें हुई तो इसके पीछे हर स्तर पर दिल्ली सरकार की लापरवाही एवं बेपरवाह रवैया ही सामने आया।

सुप्रीम कोर्ट के कहने पर भी दिल्ली सरकार सार्वजनिक परिवहन को बेहतर नहीं कर रही। ग्रेडेड एक्शन प्लान के क्रियान्वयन में भी गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। ऐसे में केंद्र सरकार ने इस समस्या का निराकरण स्वयं करने का मन बना लिया है।

जानकारी के मुताबिक पीएमओ के निर्देश पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण सचिव सीके मिश्रा के नेतृत्व में पिछले दिनों सात सदस्यों की एक समिति बनाई है। इसके अलावा वायु प्रदूषण की अलग -अलग वजहों का समाधान खोजने के लिए हर विषय पर अलग समिति बना दी गई है।

मसलन, एक समिति कचरे और लैंडफिल साइट की समस्या का समाधान खोज रही है तो एक थर्मल पावर प्लांट का विकल्प तलाश रही है। यह समिति बदरपुर, दादरी और झज्जर के थर्मल पावर प्लांटों का भविष्य भी तय करेगी।

एक समिति पराली न जलाने के लिए विकल्प तैयार कर रही है तो एक अन्य समिति वाहनों का धुआं कम करने को बेहतर ईधन तैयार करने में जुटी है।

एक समिति पेट कोक और फर्नेस ऑयल पर काम कर रही है तो एक समिति दिल्ली की हवा सुधारने के लिए ठोस उपाय तलाशने में जुटी है। सूत्रों के मुताबिक विषयों के अनुरूप केंद्र सरकर के अलग-अलग मंत्रालय भी इन समितियों से जुडे़ हुए हैं।

वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के सदस्य सचिव ए. सुधाकर का कहना है कि पीएमओ के मार्गदर्शन में अलग-अलग समितियां प्रदूषण स्तर कम करने पर काम कर रही हैं। इन समितियों की रिपोर्ट के आधार पर ही भविष्य में कुछ ठोस निर्णय लिए जाएंगे।


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