करोड़ों बैंक ग्राहकों से जुड़ी अहम खबर, 1 रुपये में बेच देते हैं आपके बैंक खाते की जानकारी
पांचवीं पास युवक इस गिरोह का सरगना है और वह बैंकों का डाटा सिक्योर रखने वाली कंपनी के कर्मचारी से महज एक रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से बल्क में डाटा खरीदता है।
गाजियाबाद, जेएनएन। दिल्ली से सटे यूपी के नोएडा में एसटीएफ ने कविनगर थाना पुलिस की मदद से सोमवार शाम साइबर क्राइम के ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसके बारे में सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। डायमंड आरओबी के पास से पुलिस ने चार आरोपितों को गिरफ्तार किया है। पांचवीं पास युवक इस गिरोह का सरगना है और वह बैंकों का डाटा सिक्योर रखने वाली कंपनी के कर्मचारी से महज एक रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से बल्क में डाटा खरीदता है। इसके बाद लोगों को कॉल कर तरह-तरह के झांसे देकर ओटीपी पूछकर बैंक खाते में सेंधमारी कर लेते। मोबीक्विक के वालेट में पैसे ट्रांसफर कर रकम किराए के बैंक खाते में डालकर निकाल लेते। किराये पर खाता देने वाले को निश्चित कमीशन मिल जाता था।
पहले फूल बेचता था मास्टरमाइंड
सीओ एसटीएफ राजकुमार मिश्रा ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित महेंद्रा एंक्लेव निवासी संजीत उर्फ संदीप, बलदेव व गजेंद्र उर्फ राहुल उर्फ राजवीर और शास्त्रीनगर निवासी राहुल चौधरी उर्फ तपेश्वर को गिरफ्तार किया गया है। इनसे तीन मोबाइल और करीब 50 हजार ग्राहकों के बैंक खाते व क्रेडिट कार्ड का डेटा बरामद किया है। 30 वर्षीय संजीत गिरोह का मास्टरमाइंड है। वह पांचवीं पास है और पहले फूल बेचता था। पड़ोसी उत्सव त्यागी से उसने साइबर क्राइम की क्लास ली और अपना गिरोह बना लिया। उत्सव पहले बैंककर्मी था और इसी तरह ठगी कर चुका था। 20 साल का बलदेव नौवीं पास है और हापुड़ में ¨सह सिक्योरिटी सर्विसेज नाम से उसकी सिक्योरिटी एजेंसी है। बलदेव कॉल करने के लिए सिम उपलब्ध कराता था। तपेश्वर 12वीं पास है और मोबीक्विक पर वालेट बनाने का काम करता है। गजेंद्र इन लोगों को पैसा ट्रांसफर करने के लिए अपना बैंक खाता देता था।
माई मनी मंत्रा का कर्मचारी बेचता है डेटा
सीओ एसटीएफ ने बताया कि पूछताछ में नजफगढ़ निवासी शैलेंद्र कुमार का नाम सामने आया है, जो माइ मनी मंत्रा कंपनी में कर्मचारी है। माइ मनी मंत्रा सिटी बैंक, आरबीएल, आइसीआइसीआइ, इंडसइंड बैंक, एसबीआइ और एक्सिस समेत अन्य बैंकों का डेटा सिक्योर करने का काम करती है। नए डेटा को इनक्रिप्ट करने से पहले ही रॉ-डेटा की कॉपी बना शैलेंद्र हजारों-लाखों लोगों की डिटेल्स एक रुपये प्रति खाते के हिसाब से संजीत को बेच देता था। वसीम भी इसी तरह डेटा बेचता है, हालांकि उसका ¨लक पुलिस को नहीं मिल पाया है।
क्रेडिट कार्ड बनवाने वाले निशाने पर
यह गिरोह अलग-अलग तरीके से ठगी करता है। फिलहाल नया क्रेडिट कार्ड बनवाने वाले करीब 50 हजार लोगों का डेटा संजीत को मिला था। इसी आधार पर संजीत ने स्क्रिप्ट बनाकर ठगी शुरू की। गिरोह में कई लड़कियां भी हैं, जो बैंक एग्जेक्यूटिव बन ग्राहकों से वेरिफिकेशन कॉल के नाम पर संपर्क करतीं। संजीत की लिखी स्क्रिप्ट पढ़कर ग्राहक से कार्ड मिलने के बारे में पूछती और अप्लाई करने की डेट आदि बताकर विश्वास जीत लेतीं। कार्ड को सिक्योर करने और ठगी होने पर 50 फीसद तुरंत लौटाने का आफर बतातीं। ओटीपी सीधे नहीं पूछतीं बल्कि वॉयस रिकगनिशन के नाम पर एक-एक अंक अलग-अलग बुलवाती थीं। कॉल के दौरान बार-बार ग्राहकों से कहा जाता कि कार्ड या बैंक खाते की जानकारी सीक्रेट होती है। इसे किसी को भी नहीं बताना। खास बात यह है कि क्रेडिट कार्ड के नाम पर जो डिटेल्स मिलती हैं, उनसे सीधे बैंक खाते में सेंधमारी की जाती है।
सेना व अर्द्धसैनिक बल के जवानों संग की ठगी
सीओ ने बताया कि इस गिरोह को जो बल्क में डेटा मिला है, उसमें सेना व अर्द्धसैनिक बल के जवानों की संख्या ज्यादा है। बीते कुछ समय में देश भर के करीब 1500 लोगों को ठगा जा चुका है, जिनमें जवानों की संख्या अधिक है। आरोपितों ने आठवीं बटालियन एनडीआरएफ में तैनात दरोगा के खाते से भी इसी तरह 1.7 लाख रुपये निकाल लिए थे। मामले की जानकारी होने के बाद एसटीएफ ने छानबीन शुरू की और गिरोह को धर दबोचा। सीओ राजकुमार मिश्रा ने बताया कि इस गिरोह से जुड़े करीब 10-12 लोगों के बारे में जानकारी मिली है। इनकी लोकेशन ट्रेस करने का प्रयास किया जा रहा है।
सावधानी जरूरी
- यदि कोई बैंक कर्मी बन आपकी अधिक से अधिक जानकारी बता दे तो भी उस पर भरोसा न करें।
- मोबाइल नंबर पर आया कोई भी नंबर बैंककर्मी नहीं पूछते। यदि कोई ऐसा पूछ रहा है तो सावधान हो जाएं क्योंकि वह ठग है।
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