दरबार साहिब से जब्त धार्मिक ग्रंथ पर श्वेत पत्र जारी करे एसजीपीसी : जीके
ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान श्री दरबार साहिब के परिसर से जब्त किए गए सिख धार्मिक ग्रंथों को लेकर विवाद शुरू हो गया है।
नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान श्री दरबार साहिब के परिसर से जब्त किए गए सिख धार्मिक ग्रंथों को लेकर विवाद शुरू हो गया है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने इस मामले में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की भूमिका पर सवाल खड़ा किया है।
जीके ने कहा कि अदालत के निर्देश पर जब्त धार्मिक ग्रंथ व साहित्य लौटा दिए गए थे। बावजूद इसके एसजीपीसी व शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) कौम को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने एसजीपीसी से इस मामले में श्वेत पत्र जारी करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी के हस्ताक्षर वाले धार्मिक ग्रंथ बेचे जाने की बात सामने आ रही है जिसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी तक अकाली दल पर पंथ का सौदा करने का आरोप लगता था पर अब तो ग्रंथ को ही बेचने के तथ्य सामने आ गए हैं।
उन्होंने दावा कि जरनैल सिंह भिंडरावाले को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पत्र लिखकर पंजाब की सभी बुनियादी मांगें माने जाने का भरोसा दिया था। इसकी जानकारी मिलने पर अकाली नेताओं को अपनी सियासत की चिंता सताने लगी थी। उन्होंने अपनी सियासत बचाने के लिए भिंडरावाले को देशद्रोही साबित करने का कुचक्र रचा जोकि ऑपरेशन ब्लू स्टार का कारण बना था।
इस ऑपरेशन के दौरान सिख रेफरेंस लाइब्रेरी व अन्य स्थानों से धार्मिक ग्रंथ, साहित्य जब्त किए गए थे। बाद में अदालत के आदेश पर जब्त धार्मिक ग्रंथ व साहित्य एसजीपीसी को वापस कर दिए गए थे। इस बारे में कौम को जानकारी देने के बजाय एसजीपीसी लोगों को गुमराह करने में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि शिअद (बादल) के लोग ही एसजीपीसी के पदाधिकारी बनते रहे हैं, इसलिए वह भी इसके लिए दोषी हैं। उन्होंने कहा कि यह बात सामने आ रही है कि गुरु गोविंद सिंह जी के हस्ताक्षर वाला आदि गुरु ग्रंथ साहिब का एक स्वरूप 12 करोड़ में बेच दिया गया है। इसकी शिकायत अमृतसर पुलिस से भी की जाएगी।
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