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Maulana Saad, Nizamuddin Markaz: शूरा जमात ने दिखाई समझदारी, पर मौलाना साद कर गए चूक

Maulana Saad Delhi Nizamuddin Markaz दिल्ली में दो तब्लीगी मरकज हैं। इसमें एक लोगों की जान के लिए आफत बना हुआ है तो वहीं दूसरा नजीर बना हुआ है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 09:26 AM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 01:52 PM (IST)
Maulana Saad, Nizamuddin Markaz: शूरा जमात ने दिखाई समझदारी, पर मौलाना साद कर गए चूक

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Maulana Saad, Delhi Nizamuddin Markaz :  देश की राजधानी दिल्ली में दो तब्लीगी मरकज हैं। इसमें एक लोगों की जान के लिए आफत बना हुआ है तो वहीं दूसरा नजीर बना हुआ है, यदि इस मरकज की राह पर मौलाना मुहम्मद साद चले होते तो आज देश में कोरोना का वायरस इस तरह पैर नहीं पसार रहा होता।

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3 वर्ष पहले पड़ी थी फूट, बन गए 2 गुट

बता दें कि मौलाना साद ने खुद को निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी मरकज से संचालित होनी वाली जमात का स्वघोषित अमीर घोषित किया हुआ है। तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों की मानें तो जमात में फूट तीन वर्ष पहले पड़ी, जब तत्कालीन अमीर ए जमात मौलाना जुबैर का निधन हुआ। मौलाना जुबैर के समय तक जमात में काम शूरा (कमेटी) से होता था, जमात को एक नया अमीर चुनना था।

जुबेर की निधन के बाद हाथिया ली तब्लीगी जमात

मौलाना जुबैर के निधन के पहले से ही उनके और मौलाना साद के बीच जमात के कामों को लेकर असहमति बनी रहती थी। मौलाना जुबैर के निधन के बाद मौलाना साद ने जमात का सारा काम अपने हाथों में ले लिया। इससे मौलाना जुबैर के अनुयायी नाराज हो गए और उन्होंने आपत्ति जाहिर की।

मौलाना साद और मौलाना जुबैर के समर्थकों में हुआ था संघर्ष

मौलाना साद और मौलाना जुबैर के अनुयायियों के बीच खूनी संघर्ष भी हुआ। इसके बाद तब्लीगी जमात दो हिस्सों में बंट गई, एक जमात का मरकज निजामुद्दीन में है, जबकि दूसरी जमात का मरकज पुरानी दिल्ली स्थित दरगाह फैज-ए-इलाही तुर्कमान गेट पर है, इसे शूरा जमात के नाम से जाना जाता है। इसका नेतृत्व वर्तमान में मौलाना जहीरुल हुसैन, मौलाना इब्राहिम और मौलाना अहमद करते हैं। यह तीनों ही मौलाना अब जबैर के समर्थकों में शामिल हैं।

शूरा जमात ने दिखाई समझदारी

दरगाह फैज ए इलाही के मरकज में शूरा से हर एक कार्य किया जाता है, इस जमात ने कोरोना वायरस के कहर को देखते हुए डेढ़ माह पहले ही अपने मरकज को बंद करने के साथ ही जमातों पर रोक लगा दी थी।

इसके लेकर शूरा जमात से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर मौलाना साद ने भी ऐसा किया होता तो आज इतने जमाती कोरोना से पीड़ित न होते। उनकी जिद की वजह से कई लोगों की जिंदगी दांव पर लगी हुई है।

नसीहत देने के बजाय जमातियों को बरगला रहे थे मौलाना साद

यहां पर बता दें कि दक्षिण दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी मकरज में देश-विदेश के हजारों जमाती इकट्ठा था, जब कोराना वायरस पूरी दुनिया में कहर बरपा रहा था। वहीं, इस सबसे बेपरवाह तब्लीगी मकरज के मुखिया मौलाना साद वहां मौजूद लोगों को कोरोना से नहीं डरने की नसीहत दे रहे थे।

20,000 लोग क्वारंटाइन

नतीजा यह हुआ कि मार्च महीने में ही मरकज से निकले लोग देश के 20 से अधिक राज्यों में गए और जहां भी गए वहां पर कोरोना वायरस फैलाया। अब स्थिति यह है कि देश भ में 30 फीसद मामले तब्लीगी जमात से जुड़े हुए मिले हैं। इतना ही नहीं, देशभर में 20,000 से अधिक लोगों को सतर्कता बरतते हुए क्वारंटाइन किया गया है। क्वांरटाइन लोग जमातियों के संपर्क में आए थे।


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