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Shaheen Bagh Protest: प्रदर्शनकारियों से मिलने आज शाम को जाएंगे तीनों वार्ताकार

प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जिन तीन मध्यस्तों को नियुक्त किया है उनकी आज बैठक होने जा रही है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 10:25 AM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 12:43 PM (IST)
Shaheen Bagh Protest: प्रदर्शनकारियों से मिलने आज शाम को जाएंगे तीनों वार्ताकार
Shaheen Bagh Protest: प्रदर्शनकारियों से मिलने आज शाम को जाएंगे तीनों वार्ताकार

नई दिल्ली, एएनआइ/जेएनएन। प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जिन तीन मध्यस्तों को नियुक्त किया है वे आज शाम को शाहीन बाग में जाएंगे। इससे पहले वार्ताकारों की आज बैठक भी हो रही है। ये मीटिंग वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े के घर पर होगी। सोमवार को देर शाम पुलिस के अधिकारियों ने तीनों वार्ताकारों से मुलाकात की थी। सूत्रों के अनुसार, पुलिस अधिकारियों ने धरने से संबंधित जानकारियों दी गई थी।

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दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए तीन वार्ताकारों को नियुक्त किया था।

कोर्ट ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े से कहा है कि वह शाहीन बाग जाकर प्रदर्शनकारियों से मिलें और बातचीत कर मामले का हल निकालें। प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक जगह पर भी विचार हो सकता है। कोर्ट ने वकील संजय हेगड़े को वकील साधना रामचंद्रन और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला का सहयोग लेते हुए शाहीन बाग जाकर लोगों से बातचीत कर हल निकालने का समय देते हुए सुनवाई की अगली तारीख 24 फरवरी तय की है।

सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने फिर दोहराया है कि सार्वजनिक स्थल या सड़क को बाधित करके विरोध-प्रदर्शन नहीं किया जा सकता। लोगों को विरोध-प्रदर्शन का मौलिक अधिकार है लेकिन ये सड़क या सार्वजनिक स्थल पर कैसे हो सकता है। इससे अव्यवस्था पनपती है। प्रदर्शन के अधिकार और सड़क प्रयोग करने वाले आम आदमी के अधिकार के बीच संतुलन की जरूरत है।

कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी

इससे पहले सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सड़क को कैसे बंद किया जा सकता है। यह उनकी सबसे बड़ी चिंता है। जस्टिस कौल ने कहा कि आज एक समूह इस कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शन कर रहा है और सड़क बाधित है। कल को हो सकता है कि कोई दूसरा वर्ग किसी दूसरी चीज को लेकर विरोध और असहमति जताते हुए दूसरी सड़क या गली बंद कर दे। कहीं तो इसका अंत होगा। कोर्ट की यही सबसे बड़ी चिंता है। प्रदर्शन करने का मौलिक अधिकार है लेकिन लोगों के आने-जाने और परिवहन के भी अधिकार हैं। ऐसे में दोनों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है। कोर्ट ने साफ किया कि इस मामले में वह बहुत सीमित दायरे में यानी सिर्फ सड़क बाधित करने के पहलू पर ही विचार कर रहा है।

बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में सैंकड़ों लोग, विशेषकर महिलाएं यहां के शाहीन बाग में डेरा डाले हुए हैं, एक धमनियों के रास्ते को अवरुद्ध कर दिया है जिसके कारण जाम से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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