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यूपी का वह गांव जहां भगत सिंह ने बनाया था बम, सेंट्रल असेंबली के सभागार में फेंका तो ब्रिटेन तक मचा था हड़कंप

Bhagat Singh Jayanti 2022 शहीद-ए-आजम भगत सिंह आजादी के वह मतवाले थे जिन्होंने महज 23 साल की उम्र को खुद को देश के लिए कुर्बान कर दिया था। देश भगत सिंह की कुर्बानी को कभी नहीं भूलेगा।

By Jp YadavEdited By: Published: Wed, 28 Sep 2022 12:44 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 12:44 PM (IST)
यूपी का वह गांव जहां भगत सिंह ने बनाया था बम, सेंट्रल असेंबली के सभागार में फेंका तो ब्रिटेन तक मचा था हड़कंप
शहीद ए आजम भगत सिंह की फाइल फोटो।

नई दिल्ली/नोएडा, जागरण डिजिटल डेस्क। Bhagat Singh Jayanti 2022 : शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर में लोग अपने वीर सपूत को याद कर रहे हैं। आजादी की लड़ाई के सबसे मजबूत सिपाहियों में शुमार सरदार भगत सिंह ने  8 अप्रैल 1929 को नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश हुकूमत की तत्कालीन सेंट्रल असेंबली के सभागार में फेंककर भारत से लेकर इंग्लैंड तक तहलका मचा दिया था। 

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नोए़डा में बना था सेंट्रल एसेंबली में फेंका गया बम

दिल्ली से चंद किलोमीटर की दूरी पर बसा नोएडा शहर के नलगढ़ा गांव वह ऐतिहासिक स्थल है, जहां सरदार भगत सिंह ने अपने क्रांतिकारी साथियों सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर बम बनाए थे। इस दौरान यहां पर यानी नलगढ़ा गांव में कई दिन भी गुजारे थे।

नहीं लगी थी अंग्रेजी शासन को भनक

दिल्ली से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर भगत सिंह अपने साथियों संग मिलकर बम बना रहे थे, लेकिन अंग्रेजी शासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। इसके बाद ​​​​​भगत सिंह ने नलगढ़ा में बनाए बम से अंग्रेजी हुकूमत को सकते में ला दिया। दरअसल, भगत सिंह ने यह बम नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश हुकूमत की तत्कालीन सेंट्रल असेंबली के सभागार में फेंका था, जिसके बाद चले मुकदमे के बाद उन्हें फांसी दे दी गई थी।

ना डरे और ना भागे

सेंट्रल असेंबली के सभागार में बम फेंकने के बाद भगत सिंह वहीं खड़े रहे। इस दौरान भगत सिंह ने भागने की कोशिश नहीं की। बम फेंकने के बाद यह तय था कि वे अपने साथियों संग पकड़ लिए जाएंगे, लेकिन वह डरे नहीं। एक तरह से उन्होंने आत्मसमर्पण किया। भगत सिंह को यह भी पता था कि पकड़े गए तो उन्हें अंग्रेजी शासन से कड़ी सजा मिलेगी और हुआ भी ऐसा ही। बावजूद इसके वह डरे नहीं।

लोगों को याद हैं भगत सिंह से जुड़े किस्से

नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे बसा नलगढ़ा गांव अब ऐतिहासिक हो चुका है। आसपास के ग्रामीण बड़ी शान से बताते हैं कि भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर यहीं पर बम बनाया था। भगत सिंह को देखने वाले बुजुर्ग अब दुनिया में नहीं हैं, लेकिन यहां पर भगत सिंह से जुड़े किस्सों को लोग आज भी याद करते हैं।

बम फेंकेने के चलते दी गई फांसी

8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने नलगढ़ा गांव में बनाए गए बम नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश हुकूमत की तत्कालीन सेंट्रल असेंबली के सभागार में फेंके थे। बम फेंकने के लिए ही 23 मार्च 1931 को तीनों क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था। 

दिल्ली से नजदीक होने से बनाया था ठिकाना

बम बनाने के लिए बारूद और अन्य सामग्री को जिस पत्थर पर रखकर मिलाया जाता था, वह आज भी नलगढ़ा गांव के एक गुरुद्धारे में मौजूद है। पत्थर में दो गड्ढे हैं, जिसमें बारूद को मिलाया जाता था। कहा जाता है कि दिल्ली से नजदीक होने के चलते भगत सिंह ने गांव को अपना ठिकाना बनाया। 

भगत सिंह की मूर्ति लगी है गांव में

नलगढ़ा गांव से सिर्श किमी दूर नोएडा सेक्टर-150 में नोएडा प्राधिकरण ने 23 करोड़ रुपये की लागत से 28 एकड़ में एक पार्क बनवाया है। इस पार्क में भगत सिंह की 12 फुट ऊंची प्रतिमा लगाई गई है।

शहीद वाटिका का भी निर्माण

इस पार्क में सुखदेव और राजगुरु के स्मारक स्तंभ एवं शिलालेख और शहीद वाटिका भी बनाई गई है। बावजूद इसके नोएडा सेक्टर-145 स्थित नलगढ़ा गांव में शहीद स्मारक नहीं बन पाया है। 


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