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RIP Indira Hridayesh: आखिरी सांस तक आंखों में था उत्तराखंड में कांग्रेस की वापसी का सपना: देवेंद्र यादव

देंवेंद्र यादव के मुताबिक बैठक के बाद हम सभी ने साथ खाना था। 80 साल से अधिक उम्र होने के बावजूद युवाओं जैसा जोश रखने वाली मैडम ने आइसक्रीम भी खाई और रात साढ़े 12 बजे काफी भी मंगवाई।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 02:55 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 02:55 PM (IST)
RIP Indira Hridayesh: आखिरी सांस तक आंखों में था उत्तराखंड में कांग्रेस की वापसी का सपना: देवेंद्र यादव
उत्तराखंड की नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश का आकस्मिक निधन

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। उत्तराखंड की नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश का आकस्मिक निधन कांग्रेस की राज्य इकाई के लिए तो बड़ा झटका है ही, राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी के लिए एक अपूरणीय क्षति हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की वापसी के लिए वह जिस शिद्दत और रणनीति के साथ जुटी हुई थीं, उसे भी अब धक्का लगने की प्रबल संभावना है। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रभारी देवेंद्र यादव की मानें तो उनके निधन से राज्य इकाई में एक शून्य सा उत्पन्न हो गया है।

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जागरण से बातचीत में यादव ने बताया कि शनिवार को दिल्ली के उत्तराखंड भवन में डा. इंदिरा हृदयेश की अध्यक्षता में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक देर रात तक चली। बैठक का मुख्य एजेंडा 2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड में पार्टी की सरकार बनाना ही था। बकौल देवेंद्र, डा. इंदिरा का कहना था कि हमारी तैयारी ऐसी होनी चाहिए कि कहीं कोई चूक न रह जाए। मैडम का कहना था कि उत्तराखंड में हम सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे क्योंकि हर नेता का अपना रोल है, अपना योगदान है। उत्तराखंड में आने वाले दिनों में कैसे कांग्रेस पार्टी का कार्य हो? कैसे आंदोलन हो? तमाम मुद्दों पर वरिष्ठ नेताओं से सलाह कर रणनीति बनाने की बात थी। लाकडाउन हटते ही उत्तराखंड में जन जन तक पहुचने की सोच थी।

देंवेंद्र यादव के मुताबिक, बैठक के बाद हम सभी ने साथ खाना था। 80 साल से अधिक उम्र होने के बावजूद युवाओं जैसा जोश रखने वाली मैडम ने आइसक्रीम भी खाई और रात साढ़े 12 बजे काफी भी मंगवाई। रविवार को उन्होंने हम लोगों के साथ अलग से एक बैठक करने को कहा था। लेकिन किसे पता था कि अब उनके साथ बैठक करना तो दूर, मिलना भी न हो पाएगा। देवेंद्र ने कहा कि बेशक डा. इंदिरा हृदयेश की जगह कोई नहीं ले सकता और उनके इस तरह चले जाने से पार्टी को नुकसान भी बहुत हुआ है। लेकिन राज्य में कांग्रेस की वापसी का जो सपना उनकी आंखों में आखिरी सांस तक बसा था, उसे उनके बाद भी पूरा करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।

मालूम हो कि देंवेंद्र यादव दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और समयपुर बादली से कई बार विधायक भी रह चुके हैं। उत्तराखंड के प्रभारी होने के साथ-साथ वह दिल्ली कांग्रेस के भी वरिष्ठ नेता है।


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