खतरनाक है सेल्फी का क्रेज, महिलाएं हो रही हैं अधिक प्रभावित
यदि कोई व्यक्ति दिन में अधिक संख्या में सेल्फी लेता है तो वह मानसिक व्याग्रता से पीड़ित माना जाता है। इससे पीड़ित लोग अधिकतर समय सेल्फी लेने और उसे सोशल साइट्स पर अपलोड करने में गंवाते है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। सेल्फी लेने का क्रेज लोगों में मानसिक विकार को भी जन्म दे रहा है। मनोचिकित्सक इस क्रेज को सेल्फीसाइड का नाम दे रहे हैं। इससे प्रभावित लोग हमेशा अपने शरीर की सुंदरता के बारे में जानने के इच्छुक रहते हैं। बार-बार अपनी छवि को निहारना उन्हें खूब भाता है। इससे सबसे अधिक युवा वर्ग पीड़ित है। सेल्फीसाइड कई बार हादसे का कारण भी बनता है।
इस संबंध में दिल्ली सरकार के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. दिनेश त्यागी का कहना है कि दिन में बार-बार सेल्फी लेना और इसकी लालसा रखना शारीरिक और मानसिक विकार है। इससे पीड़ित लोग तरह-तरह के पोज बनाकर तस्वीरें खींचने को आतुर रहते हैं।
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यदि कोई व्यक्ति दिन में अधिक संख्या में सेल्फी लेता है तो वह मानसिक व्याग्रता से पीड़ित माना जाता है। इससे पीड़ित लोग अधिकतर समय सेल्फी लेने और उसे सोशल साइट्स पर अपलोड करने में गंवाते है। साथ ही ये लाइक और कमेंट का इंतजार करते रहते हैं। यदि कोई इनकी तस्वीर को लाइक या कमेंट करता है तो उन्हें काफी खुशी होती है।
जल्द खो जाती है चेहरे की रंगत
अधिक सेल्फी का क्रेज स्किन पर भी असर डालता है। अंबेडकर अस्पताल के त्वचा रोग विषेषज्ञ डॉ. विवेक सागर के अनुसार, सेल्फी लेना चेहरे की दमक को भी फीका कर सकता है। उनका कहना है कि स्मार्टफोन के फ्लैश लाइट से निकलने वाले इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन के चेहरे की त्वचा पर झुर्रियां पड़ने का खतरा रहता है। इस कारण समय से पहले चेहरे की रंगत खो जाती है।
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महिलाएं हो रही हैं अधिक प्रभावित
सेल्फी लेने का क्रेज आमतौर पर महिलाओं में अधिक दिखाई देता है। अक्सर महिलाएं खुद के रोमांचकारी व विभिन्न प्रकार के आकर्षक पोज बनाकर तस्वीरें खीच कर सोशल साइट्स पर अपलोड कर देती है। साथ ही अपलोड की गई तस्वीरों पर कमेंट पाने के चक्कर में उलझी रहती हैं।
संभव है बचाव
डॉ. दिनेश त्यागी के अनुसार युवाओं में मानसिक व्यग्रता रोग का इलाज कांउसलिंग के जरिये संभव है। यदि कुछ सावधानियां बरती जाएं तो काफी हद तक सेल्फीसाइड से बचाव किया जा सकेगा। सेल्फी का क्रेज ठीक है, लेकिन लोगों को सेल्फी से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक होना भी बहुत जरूरी है। यह न हो कि क्रेज के चक्कर में जान पर ही बन आए।