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किसानों की जेब भरेगा मेड़ पर लगा पेड़, कृषि वैज्ञानिक गांवों में जाकर कर रहे प्रेरित

गांवों के किसानों को आजकल कृषि विज्ञानी खेतीबाड़ी के साथ पेड़ पौधे लगाने को प्रेरित कर रहे हैं। किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए विज्ञानी उन्हें प्रेरित कर रहे हैं कि वे खेत के मेड़ों पर ऐसे पेड़ लगाएं

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 18 Jul 2021 03:06 PM (IST)Updated: Sun, 18 Jul 2021 03:06 PM (IST)
किसानों की जेब भरेगा मेड़ पर लगा पेड़, कृषि वैज्ञानिक गांवों में जाकर कर रहे प्रेरित
नजफगढ़ में मेड़ पर पेड़ अभियान के बारे में लोगों को जानकारी देते कृषि विज्ञानी राकेश कुमार

नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्र]। दिल्ली में हरित पट्टी (ग्रीन बेल्ट) के अंतर्गत आने वाले गांवों के किसानों को आजकल कृषि विज्ञानी खेतीबाड़ी के साथ पेड़ पौधे लगाने को प्रेरित कर रहे हैं। किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए विज्ञानी उन्हें प्रेरित कर रहे हैं कि वे खेत के मेड़ों पर ऐसे पेड़ लगाएं, जिनसे उनकी धान- गेहूं की फसल भी होती रहे, मिट्टी की ताकत भी बढ़े और सबसे बड़ी बात आमदनी भी बढ़े। मेड़ पर पेड़ मुहिम के तहत विज्ञानी दिल्ली देहात के अनेक गांवों के किसानों से संपर्क कर चुके हैं। विज्ञानियों को यकीन है कि आने वाले दिनों में कोशिश रंग लाएगी। इससे किसानों की माली हालत के साथ साथ दिल्ली की आबोहवा को भी सुधारने में मदद मिलेगी।

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उजवा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी राकेश कुमार किसानों को आम के आम गुठलियों के दाम वाली कहावत का अर्थ समझाते हुए मेड़ पर पेड़ अभियान का जिक्र करना कतई नहीं भूलते। वे किसानों को समझाते हैं कि आम में गुठली के बारे में कोई नहीं सोचता, वैसे ही खेत के मेड़ पर किसी का ध्यान नहीं जाता, लेकिन अब जमाना बदल चुका है। मेड़ पर यदि पेड़ लगाया जाए तो इसके कई फायदे हैं। इससे लकड़ी मिलेगी, फलदार पेड़ लगाएं तो फल मिलेगा, पेड़ की शाखाओं से जो पत्तियां झड़कर गिरेंगी, वह मृदा में जैविक तत्वों को बढ़ाएगा। मिट्टी की नमी बरकरार रखने में मदद मिलेगी। भूजल की गुणवत्ता सुधरेगी। यानि, आम के आम, गुठलियों के दाम।

ग्रीन बेल्ट में ही क्यों जोर

दिल्ली में ग्रीन बेल्ट के अंतर्गत कांगनहेड़ी, बड़ूसराय, ढांसा, इसापुर, कैर, बाकरगढ़, झाड़ौदा, निजामपुर सहित 47 गांव आते हैं। इन गांवों में खेती योग्य जमीनों का भू उपयोग बदला नहीं जा सकता है। यानि यहां खेतीबाड़ी से किसानों को जुड़ा ही रहना होगा। किसान हर हाल में खेतीबाड़ी से जुड़े रहें इसके लिए खेतीबाड़ी को लाभकारी बनाना अत्यंत जरूरी है। मेड़ पर पेड़ योजना इस उद्देश्य में कारगर साबित होगी।

ऐसे पेड़ लगाते है जो ऊंचाई में बढ़ते हैं

इस योजना के तहत मेड़ पर ऐसे पेड़ लगाने हैं जो ऊंचाई में बढ़ते हैं। इन पेड़ों में अधिक शाखाएं नहीं होती हैं जिससे कि छायादार स्थान काफी कम होता है। ऐसे खेतों में धान- गेहूं की खेती आराम से होती है। पेड़ के नजदीक या दो पेड़ों के बीच किसान हल्दी, अदरक जैसी फसल उगा सकते हैं। 


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