स्कूल और कालेज खोले तो जाएं लेकिन कुछ शर्तों के साथ, स्कूल प्रशासन को रहना होगा सतर्क
ऐसे में स्कूल और कालेज को खोलने के लिए यह बिल्कुल सही समय है। कई देशों में स्कूल खुल चुके हैं। वहां के अनुभव के आधार पर ही यह फैसला लिया गया है। स्कूलों में छोटे-छोटे बच्चे आएंगे। उनकी सुरक्षा को लेकर हम कोई जोखिम नहीं उठा सकते हैं।
नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। राजधानी में कोरोना संक्रमण काफी समय से निचले स्तर पर बना हुआ है। ऐसे में स्कूल और कालेज को खोलने के लिए यह बिल्कुल सही समय है। कई देशों में स्कूल खुल चुके हैं। वहां के अनुभव के आधार पर ही यह फैसला लिया गया है। यह भी सही है कि स्कूलों में छोटे-छोटे बच्चे आएंगे। उनकी सुरक्षा को लेकर हम कोई जोखिम नहीं उठा सकते हैं। इसके लिए हमें निगरानी तंत्र को मजबूत बनाए रखने की जरूरत होगी। कोरोना नियमों का पूरी तरह से पालन सुनिश्चित करना होगा।
एक निश्चित अंतराल में जांच के लिए बच्चों के सैंपल लिए जाएं सभी की जांच न भी हो तो कुछ बच्चों की जांच की जा सकती है। इसके साथ स्कूल आने वाले अध्यापकों और कर्मचारियों का भी कम से कम हफ्ते में एक बार कोरोना की जांच होनी ही चाहिए। कक्षाओं में शारीरिक दूरी हो, इसके लिए जरूरी है कि बच्चे एक सीट छोड़कर बैठें। कहीं भी एक जगह पर बच्चे जमा न होने पाएं इन बातों का विशेष ध्यान रखना होगा।
सिखाना होगा कोरोना नियमों का आचरण
बच्चों को कोरोना नियमों के अनुकूल आचरण सिखाना पड़ेगा। उन्हें बताना होगा कि एक साथ बैठकर खाना न खाएं। मास्क का प्रयोग करते रहें। साफ-सफाई का ध्यान रखें। समय समय पर हाथ धोते रहें। इसके अलावा स्कूल में प्रवेश करने वाले हर शख्स के तापमान की जांच की भी व्यवस्था होनी चाहिए। सैनिटाइज करने का भी इंतजाम होना चाहिए। बच्चों के साथ ही शिक्षकों और कर्मचारियों पर निगरानी बनाए रखने की जरूरत है। क्योंकि शिक्षक और कर्मचारी दूर-दूर से सार्वजनिक परिवहन सेवाओं से स्कूल पहुंचते हैं।
वह बच्चों से कहीं ज्यादा भीड़भाड़ वाली जगहों से गुजरते हैं। इसलिए उनकी जांच नियमित अंतराल पर जरूरी है। कई देशों में तो हफ्ते में दो दिन जांच की व्यवस्था है। अपने यहां कम से कम एक बार जांच जरूर होनी चाहिए। ये उनके लिए भी जरूरी है जिनका टीकाकरण हो चुका है। कोविड काल में स्कूलों में आइसोलेशन कक्ष होना भी जरूरी है ताकि अगर किसी बच्चे या शिक्षक में कोई लक्षण दिखाई दें तो उन्हें आइसोलेट किया जा सके।
शर्ते भी हों लागू
समस्या यह है कि हम अधिक समय स्कूल बंद नहीं रख सकते। घर में बैठे-बैठे बच्चों की शिक्षा तो प्रभावित हो ही रही है। साथ ही उनमें मानसिक और शारीरिक समस्याएं भी सामने आ रही हैं। बच्चों की गतिविधियों को बढ़ाने की जरूरत है। अगले कुछ महीनों में बच्चों के लिए भी टीके उपलब्ध हो जाएंगे। फिलहाल संक्रमण दर बहुत कम है। ऐसे में जोखिम कम है। इसलिए यह समय उपयुक्त है। अगर मामले बढ़ते हैं तो स्कूलों को फिर से बंद करने का विकल्प भी सरकार के पास है।
प्रशासन को सतर्क रहना होगा
अभी नर्सरी से पांचवीं की कक्षा शुरू करने का एलान नहीं किया गया है। मुझे लगता है कि इन्हें भी शुरू किया जा सकता है, लेकिन कुछ शर्तो के साथ। प्राथमिक कक्षाओं के स्कूलों में जगह की कमी है। कई स्कूलों में तो क्षमता से दोगुने बच्चे होते हैं। इन स्कूलों में विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूल प्रशासन को सतर्क रहना होगा। स्कूलों में रैपिड जांच के लिए किट उपलब्ध होने चाहिए। क्योंकि अभी कई त्योहार आने वाले हैं। इस दौरान संक्रमण बढ़ने का खतरा रहेगा। बच्चों के पास कक्षा से आनलाइन जुड़ने का भी विकल्प होना चाहिए। अभी हमें हर विकल्प को साथ लेकर चलना होगा।
डा. अजय गंभीर, सचिव, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन।