स्कूलों में प्रार्थना सभा 11 बजे से दोपहर एक बजे के बीच आयोजित की सकती है, जानें- पूरा मामला
तर्क दिया जा रहा है कि 90 फीसद विटामिन डी सूर्य के प्रकाश से प्राप्त किया जा सकता है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) ने बच्चों में विटामिन डी की कमी को देखते हुए प्रोजेक्ट धूप शुरू किया है। इसके तहत वह स्कूलों में बच्चों को 11 बजे से दोपहर एक बजे के बीच प्रार्थना सभा आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। एफएसएसएआइ ने एनसीईआरटी, उत्तरी निगम और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के स्कूलों के साथ मिलकर यह विशेष पहल शुरू की है।
एफएसएसएआइ के सीईओ पवन अग्रवाल ने कहा कि छात्रों में विटामिन डी की कमी को देखते हुए प्रोजेक्ट धूप की शुरुआत की गई है। एफएसएसएआइ के चेयरमैन आशीष बहुगुणा ने कहा कि इसके जरिये लोगों को सूर्य से विटामिन डी प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। 90 फीसद विटामिन डी सूर्य के प्रकाश से प्राप्त किया जा सकता है। 11 बजे से एक बजे तक की धूप विटामिन सबसे अधिक फायदेमंद है।
सरकारी व निगम स्कूलों के बच्चों को किताब पढ़ने में सक्षम बनाने व आसानी से गणित के प्रश्न हल करने के योग्य बनाने के लिए दिल्ली सरकार ने मिशन बुनियाद कार्यक्रम शुरू किया है। मगर, समग्र कार्ययोजना के अभाव में इस कार्यक्रम की सफलता पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मिशन बुनियाद के तहत सरकार कक्षा तीन से नौ तक के कमजोर छात्रों को विशेष पाठ्यक्रम के जरिये पढ़ने में सक्षम बनाने का प्रयास कर रही है।
अब तक नहीं मिली सामग्री
एक अप्रैल से शुरू हुआ यह कार्यक्रम 30 जून तक चलेगा। इसको सफल बनाने के लिए शिक्षकों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है, लेकिन शिक्षकों व बच्चों को अभी तक पूर्ण पाठ्य सामग्री नहीं मिली है। सरकार के ढुलमुल रवैये से कार्यक्रम औपचारिकता बनकर रह गया है।
राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष सीपी सिंह का कहना है कि शिक्षकों को इंटरनेट व वाट्सएप के जरिये मिशन बुनियाद की कुछ पाठ्य सामग्री भेजी गई है।
इसकी मदद से शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं जबकि बच्चों को पाठ्य सामग्री नहीं दी गई है। अगर बच्चों को समय पर कार्यक्रम से जुड़ी पाठ्य सामग्री दी जाए तो वे इसका घर पर भी दोहराव कर लें, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
वहीं, इस बाबत राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के सचिव अजयवीर यादव का कहना है कि सरकार ने मिशन बुनियाद के जरिये पहल तो अच्छी की है, लेकिन इसको लेकर कोई कार्ययोजना तैयार नहीं की है। इसका खामियाजा शिक्षक व बच्चे उठा रहे हैं।