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Delhi News: 32 साल पुराने विवाद में Noida को 844 भूखंड मालिकों को SC ने दिया फ्लैट देने का निर्देश, पढ़ें नियम व शर्ते

Delhi News प्राधिकरण का कहना था कि इस हस्तांतरण उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम 1950 के प्रावधानों का उल्लंघन है और इसीलिए यह राज्य सरकार के अंतर्गत आती है। दूसरा सीमा निर्धारण (सी¨लग) कानून है जिसके तहत 12.5 एकड़ से अधिक जमीन राज्य सरकार की होगी।

By AgencyEdited By: Pradeep Kumar ChauhanPublished: Fri, 23 Sep 2022 06:05 AM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2022 06:38 AM (IST)
Delhi News: 32 साल पुराने विवाद में Noida को 844 भूखंड मालिकों को SC ने दिया फ्लैट देने का निर्देश, पढ़ें नियम व शर्ते
Delhi News: पीठ ने कहा कि 'नोएडा' अपार्टमेंट की कीमत अपनी नीति और नियमों के अनुसार तय करेगा।

नई दिल्ली, एजेंसी। जमीन आवंटन को लेकर 32 साल से जारी कानूनी लड़ाई का पटाक्षेप करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) को निर्देश दिया कि वह केंद्र सरकार के कर्मचारियों की ग्रुप हाउसिंग सोसायटी 'केंद्रीय कर्मचारी सहकारी गृह निर्माण समिति' के 844 सदस्यों को शहर के सेक्टर-43 में 1,800 वर्ग फीट के फ्लैट उपलब्ध कराए।

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प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि 'नोएडा' सेक्टर-43 के एक हिस्से का फिर से तैयार करने और 844 व्यक्तियों लिए बहुमंजिला फ्लैटों का आवंटन करने के लिए सहमत है। उन फ्लैटों में से प्रत्येक 1,800 वर्ग फीट का होगा। पीठ ने कहा कि 'नोएडा' अपार्टमेंट की कीमत अपनी नीति और नियमों के अनुसार तय करेगा।

शीर्ष अदालत ने कहा, 'यह मामला पिछली सदी के आखिरी दशक में शुरू हुआ और तब से यह विभिन्न अदालतों में लंबित रहा। तीन रिट याचिकाएं और पहली अपील अभी भी हाई कोर्ट में विचाराधीन है।' पीठ ने कहा, 'हमारे विचार में इस पूरे विवाद का निपटान इस आधार पर हो सकता है कि प्रतिवादी सोसायटी के 844 सदस्यों को लगभग 1,800 वर्ग फीट के अपार्टमेंट प्रदान किए जाएंगे।

नोएडा ने कोर्ट के 23 अगस्त, 2021 के आदेश पर अपने हलफनामे में यह बात कही है।' इससे न केवल लंबे समय से जारी कानूनी विवाद पर विराम लगेगा, बल्कि 844 लोगों को घर मिलेगा।पीठ ने केंद्रीय कर्मचारी सहकारी गृह निर्माण समिति की इस बात पर गौर किया कि दावा 977 सदस्यों तक सीमित था। इसमें 133 लोगों ने 'नोएडा' से जरूरी मंजूरी के बिना उसे बेच दिया। '

नोएडा' के अनुसार ये लोग कोई दावा नहीं कर सकते। इस पर अदालत ने 'नोएडा' से इन 133 लोगों के दावों पर गौर करने को कहा। साथ ही सोसायटी को निर्देश दिया कि वह दो हफ्ते के भीतर 844 लोगों की सूची उपलब्ध कराए।शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश पर 'नोएडा' की तरफ से दायर अपील पर उक्त आदेश जारी किया।

हाई कोर्ट ने ग्रुप हाउ¨सग सोसायटी की रिट याचिका पर अंतरिम आदेश दिया था। रिट याचिकाओं में सी¨लग कार्रवाई के दौरान जारी आदेश को चुनौती दी गई थी, उसमें कहा गया था कि सोसायटी के पास अतिरिक्त जमीन है जो राज्य की है।कुछ जमीन हाउ¨सग सोसायटी ने व्यक्तिगत भूमि मालिकों से खरीदी थी, लेकिन प्राधिकरण के अनुसार सोसायटी के पक्ष में जमीन का हस्तांतरण अवैध था।

प्राधिकरण का कहना था कि इस तरह के हस्तांतरण उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम, 1950 के प्रावधानों का उल्लंघन है और इसीलिए यह राज्य सरकार के अंतर्गत आती है। दूसरा सीमा निर्धारण (सी¨लग) कानून है, जिसके तहत 12.5 एकड़ से अधिक जमीन राज्य सरकार की होगी।

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हाउसिंग सोसायटी ने इसका विरोध किया था। उनका तर्क था कि संबंधित प्राधिकरण द्वारा गठित एक समिति की सिफारिशों के अनुसार जब भी किसी सहकारी समिति की भूमि 'नोएडा' अधिग्रहण करता है तो अधिगृहीत भूमि का 40 प्रतिशत भूखंडों के रूप में संबंधित सोसायटी के सदस्यों को आवंटित किया जाएगा।


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