स्वच्छता मुकाबला : जरा संभल कर साहब, कहीं आपकी कमी से हार ना जाएं हम
अधूरी तैयारी के साथ इस बार भी स्वच्छता के मुकाबले में शहर कई स्तर पर पिछड़ सकता है। 4 जनवरी से 31 जनवरी तक चार सप्ताह में स्वच्छ सर्वेक्षण किया जाएगा, लेकिन उससे पहले सर्वेक्षण की प्रक्रिया इसी माह से शुरू हो जाएगी। सर्वे में एक माह का भी वक्त नहीं बचा है, ऐसे में टॉप रैं¨कग के लिए ज्यादा मेहनत करनी होगी। करोड़ों रुपये के सालाना बजट और करीब तीन हजार सफाईकर्मियों की फौज के बावजूद शहर कहीं से भी स्वच्छ नजर नहीं आ रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2016 में 73 शहरों को शामिल किया गया था। 2017 के सर्वेक्षण में
गुरुग्राम [संदीप रतन]। अधूरी तैयारी के साथ इस बार भी स्वच्छता के मुकाबले में शहर कई स्तर पर पिछड़ सकता है। 4 से 31 जनवरी तक चार सप्ताह में स्वच्छ सर्वेक्षण किया जाएगा, लेकिन उससे पहले सर्वेक्षण की प्रक्रिया इसी माह से शुरू हो जाएगी। सर्वे में एक माह का भी वक्त नहीं बचा है। ऐसे में टॉप रैंकिंग के लिए ज्यादा मेहनत करनी होगी। करोड़ों रुपये के सालाना बजट और करीब तीन हजार सफाईकर्मियों की फौज के बावजूद शहर कहीं से भी स्वच्छ नजर नहीं आ रहा है। इसलिए शहरवासियों को रैकिंग में आगे आने के लिए ज्यादा ईमानदार तरीके से पहल करनी होगी।
73 शहरों के बीच हो रहा मुकाबला
स्वच्छ सर्वेक्षण 2016 में 73 शहरों को शामिल किया गया था। 2017 के सर्वेक्षण में 434 शहर और 2018 के सर्वेक्षण में 4203 शहरों को रैकिंग दी गई थी। 2018 में गुरुग्राम को 105 रैकिंग हासिल हुई थी। देश के टॉप 10 स्वच्छ शहरों की सूची में शुमार होने के लिए और ज्यादा प्रयास करने की जरूरत है।
ये अंक तय करेंगे रैकिंग
-2018 में चार हजार अंकों पर आधारित था स्वच्छ सर्वेक्षण।
2019 सर्वेक्षण में शामिल होंगे सभी निकाय।
इस बार पांच हजार अंकों के आधार पर स्वच्छता का आंकलन किया जाएगा।
4 जनवरी से शुरू होगा सर्वेक्षण
ऑनलाइन अपलोड करने होंगे डॉक्यूमेंट
20 प्रतिशत स्टार रैकिंग और 5 फीसद अंक ओडीएफ, ओडीएफ प्लस व ओडीएफ प्लस-प्लस के निर्धारित किए गए हैं। सर्वेक्षण को 25-25 प्रतिशत में विभाजित कर दिया गया है और प्रत्येक स्तर 1250 अंकों के होंगे। ओडीएफ के साथ-साथ इस बार शौचालयों में सफाई और सुविधाओं पर जोर दिया जाएगा।
ये कमियां दूर हों तो सुधरेगी रैकिंग
डोर टू डोर कचरा कलेक्शन - इको ग्रीन कंपनी ने अभी तक पूरे शहरों के घरों से कूड़ा उठाना शुरू नहीं किया है। सेग्रीगेशन -गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग नहीं किया जा रहा है।
कूड़े का निपटान - शहर से निकलने वाले करीब 800 मीट्रिक टन के निपटाने के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट अभी बना नहीं है।
कंपोस्ट - कूड़े से कंपोस्ट बनाने के लिए प्लांट नहीं लगाए गए हैं। बल्क गारबेज जनरेटर -रेस्टोरेंट, होटल, अस्पतालों सहित बड़े संस्थानों ने अपने यहां कंपोस्ट यूनिट नहीं लगाई है।
एेप - स्वच्छता एप का नहीं हो रहा उपयोग। ज्यादातर लोगों को नहीं है इस ऐप की जानकारी।
प्लांट - 2013 बंद पड़ा है बंधवाड़ी प्लांट। 2019 में नया बंधवाड़ी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनकर तैयार होने की उम्मीद। पब्लिक व कम्यूनिटी टॉयलेट बना दिए, लेकिन स्वच्छता की है कमी।
गीला-सूखा कचरा - घरों में गीले व सूखे कचरे को नहीं रखा जा रहा है अलग-अलग। -शहर में जगह-जगह लगे हैं कचरे के ढ़ेर, नियमित रूप से नहीं होती सफाई।
मैकेनिकल स्वीपिंग -मशीनों से सड़कों की सफाई के नाम पर हो रही है खानापूर्ति।