सवेरा ग्रुप ने संगीत के माध्यम से बुजुर्गों के जीवन में खुशहाली लाने की तरफ बढ़ाया कदम
द्वारका का सवेरा ग्रुप संगीत के माध्यम से न सिर्फ युवाओं में उम्मीद व आशा की किरण भरने का प्रयास कर रहा है
नई दिल्ली, [मनीषा गर्ग]। संगीत ब्रह्मांड की आत्मा है, जीवन में ऊर्जा का संचार स्रोत है। लेकिन आज के बदलते परिवेश में संगीत भी अब मात्र पैसे कमाने का जरिया बनता जा रहा है। बदलते समय के साथ इसकी असल पहचान गुम होती जा रही है। ऐसे में द्वारका का सवेरा ग्रुप संगीत के माध्यम से न सिर्फ युवाओं में उम्मीद व आशा की किरण भरने का प्रयास कर रहा है, बल्कि वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों के दुखों को कम कर उन्हें नए सिरे से जीने के लिए प्रेरित भी कर रहा है। सवेरा ग्रुप का मानना है कि संगीत लोगों को आपस में जोड़ने का एक बेहतरीन जरिया है और आज के व्यस्त दौर में यह बहुत जरूरी है। वृद्धाश्रम में जाकर बेसहारों का करते हैं
मनोरंजन
सवेरा ग्रुप की सदस्य सारा शर्मा बताती हैं कि उनके ग्रुप का उद्देश्य लोगों में सकारात्मक बदलाव व चेहरे पर खुशी लाना है। दरअसल, भागदौड़ भरी जिंदगी में आज लोगों के पास खुश होने के कारण बेहद सीमित हो गए हैं। अकेले में गाना सुनकर वे अपनी दुख-तकलीफ को कुछ समय के लिए कम करने का प्रयास तो करते हैं, पर जो आनंद सबके साथ संगीत सुनने में है वह अकेले में कहां। इस बात को ध्यान में रखकर ग्रुप के सदस्य महीने में तीन से चार बार इहबास, अनाथ आश्रम व वृद्धाश्रम में जाकर मुफ्त में संगीत की प्रस्तुति देते हैं। ग्रुप में सारा के साथ प्रिया उपाध्याय, मास्टर तरुण, रीना सक्सेना, टाटा वेंकट, वत्सर्ला सिंह, निकिता श्रीवास्तव व एसके
आजाद शामिल हैं। सारा ने बताया कि वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्ग अपने परिवार से अलग होने के बाद तनाव
में रहते हैं। उन्हें अकेलापन महसूस होता है। वहां उनके मनोरंजन के कई साधन उपलब्ध होते है, पर संगीत से आज भी बुजुर्गों को विशेष लगाव है। खासकर पुराने संगीत आज भी उन्हें उमंग व उत्साह से भर देते हैं। सवेरा ग्रुप के सदस्य वृद्धाश्रम में जाकर बुजुर्गों से मिलते हैं और उनके बीच 15 से 20 पुराने गानों व भजनों की प्रस्तुति
देकर उनका मनोरंजन करते हैं।
शुरू में करनी पड़ी मशक्कत
बीते दो साल से सवेरा ग्रुप इस दिशा में काम कर रहा है। संगीत के माध्यम से ग्रुप के सदस्य लोगों से जुड़ते हैं
और इससे उनके मन में अपनेपन की भावना पैदा होती है। अभी इस ग्रुप के सदस्य द्वारका व रोहिणी स्थित वृद्धाश्रमों में जाते हैं। हाल ही में इन्होंने झुग्गी में रहने वाले बच्चों को मेहनत कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया था। सारा कहती हैं कि यह भले ही सराहनीय सोच रही हो, पर यहां तक पहुंचला इतना आसान नहीं था। शुरुआत में हमलोग छोटे-बड़े मंच पर प्रस्तुति देते थे। यहां हमें सराहना मिली पर संतुष्टि नहीं।
ऐसे में काफी सोचने विचारने के बाद हमने तय किया कि हम अपने संगीत के माध्यम से लोगों को तनाव से उबारने का प्रयास करेंगे, क्योंकि संगीत में वो ताकत है जो व्यक्ति को अंदर से झकझोर देता है। हमने शुरुआत में वृद्धाश्रम में जाकर प्रस्तुति देने की योजना बनाई, पर यहां संचालकों को लगता था कि इसके लिए हम पैसों की मांग करेंगे, जो देने में वे सक्षम नहीं हैं। संचालकों को यह समझाने में ही हमें काफी समय लग जाता था कि हम ये काम मुफ्त में करना चाहते हैं। शुरुआत हुई, लोगों ने सराहा और ये करवा आगे बढ़ता गया।
दिल्ली-एनसीआर की खबरों को पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक