दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में आधे से ज्यादा मरीज यूपी और हरियाणा के, AAP ने भाजपा सरकारों पर लगाए गंभीर आरोप
आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheme) के मामले पर दिल्ली सरकार उपराज्यपाल पलटवार किया है। दिल्ली सरकार ने कहा कि उपराज्यपाल जमीनी हकीकत से अनजान हैं। दिल्ली के अस्पतालों में आधे मरीज भाजपा शासित पड़ोसी राज्यों के होते हैं जहां आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) लागू है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पीएमजेएवाई में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheme) के मामले पर दिल्ली सरकार उपराज्यपाल पलटवार किया है। दिल्ली सरकार ने कहा कि उपराज्यपाल जमीनी हकीकत से अनजान हैं। दिल्ली के अस्पतालों में आधे मरीज भाजपा शासित पड़ोसी राज्यों के होते हैं, जहां आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) लागू है।
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पीएमजेएवाई में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है और कहा कि हाल ही में कैग रिपोर्ट में योजना में अपात्र परिवारों को लाभार्थियों के रूप में पंजीकृत करने की बात कही गई है। इन परिवारों ने योजना के तहत 0.12 लाख से 22.44 करोड़ रुपये तक का फायदा उठाया था।
एक ही मोबाइल नंबर से कई लोगों को मिल रहा लाभ
इस योजना के तहत एक ही मोबाइल नंबर पर कई लाभार्थियों का पंजीकरण किया गया। एक मोबाइल नंबर पर तो 7.49 लाख लोगों को पंजीकृत करने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि वह उपराज्यपाल को दिल्ली से सटे उतर प्रदेश के अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना की जमीनी हकीकत जानने के लिए आमंत्रित करते हैं। जहां योजना सिर्फ कागजों तक सिमट गई है।
यूपी-हरियाणा से मरीज पहुंच रहे दिल्ली
उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बॉर्डर से सटे दिल्ली के अस्पतालों में राष्ट्रीय राजधानी के मरीजों की संख्या उन पड़ोसी राज्यों के मरीजों के बराबर ही होती है। जीबी पंत अस्पताल में 50 प्रतिशत सर्जरी उन राज्यों के मरीजों की होती है, जहां आयुष्मान भारत योजना चालू है। निजी अस्पताल
सीजीएचएस (केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना) की दरों पर काम करना नहीं चाहते हैं। आयुष्मान भारत योजना के नियम ऐसे हैं कि दिल्ली के अधिकतर लोग इसका लाभ नहीं उठा सकते हैं। जैसे कि जिस व्यक्ति के पास पक्की छत या दोपहिया वाहन हो। जबकि, दिल्ली सरकारी की दिल्ली आरोग्य कोष योजना के तहत तीन लाख रुपये तक सालाना आय वाला व्यक्ति भी निजी अस्पतालों इलाज करा सकता है।
उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी और बकाया भुगतान की समस्या का जल्द सुलझाएं। ताकि लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा सकें। साथ ही स्वास्थ्य सचिव को स्वास्थ्य मंत्री द्वारा किए गए अस्पताल निरीक्षण और बैठक में शामिल होकर इसकी जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए।