शहरीकरण पर विशेषज्ञों ने जताई चिंता, संरक्षित होंगे सरस्वती नदी के खोदाई स्थल
सरस्वती नदी को लेकर गठित की गई विशेषज्ञों की सब कमेटी ने सुझाव दिया है कि खोदाई स्थलों को संरक्षित किया जाना जरूरी है।
नई दिल्ली [वी.के.शुक्ला]। सरस्वती नदी के प्रमुख खोदाई स्थल संरक्षित किए जाएंगे। बढ़ रहे शहरीकरण के कारण खोदाई स्थलों के गायब होने का खतरा है। सरस्वती नदी को ढूंढने की इस परियोजना से जुड़े विशेषज्ञों को चिंता है कि यदि खोदाई स्थलों को संरक्षित नहीं किया गया तो भविष्य में इस परियोजना पर असर पड़ सकता है।
खोदाई स्थलों को संरक्षित करना जरूरी
सरस्वती नदी को लेकर गठित की गई विशेषज्ञों की सब कमेटी ने सुझाव दिया है कि खोदाई स्थलों को संरक्षित किया जाना जरूरी है। वहीं प्रमुख खोदाई स्थलों पर निर्वचन केंद्र (स्थल व प्राप्त जानकारी) स्थापित किए जाएंगे। जहां सरस्वती नदी और खोदाई स्थलों के बारे में जानकारी दी जाए।
गंभीर है केंद्र सरकार
सब कमेटी अपने सुझाव केंद्रीय संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा की अध्यक्षता में गठित मुख्य कमेटी में भेजेगी। सरस्वती नदी को ढूंढने के लिए किए जा रहे कार्यों को लेकर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने 2016 में कमेटी बनाई थी। केंद्र सरकार इस मामले को लेकर अधिक गंभीर है। मार्च 2018 में केंद्रीय संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने मुख्य कमेटी की बैठक बुलाई थी। इसमें उन्होंने कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए थे।
सरस्वती नदी को लेकर दी गई प्रस्तुति
विशेषज्ञों का मानना है कि सरस्वती नदी को ढूंढने के लिए नई के साथ-साथ पुरानी खोदाई पर भी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कराई जाए। शुक्रवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) मुख्यालय में सब कमेटी की बैठक हुई। बैठक में जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआइ) की ओर से सरस्वती नदी को लेकर प्रस्तुति दी गई। इस बैठक में हरियाणा सरकार व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की ओर से भी विशेषज्ञ शामिल थे।
सरस्वती नदी का इतिहास
गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के नाम हम सदियों से लेते आ रहे हैं। ऐसी मान्यता है की इलाहाबाद के पास ये तीनों नदियां मिल जाती हैं, लेकिन भौतिक रूप से सिर्फ गंगा और यमुना ही दो नदिया हैं। सरस्वती नदी अदृश्य रूप में है। सरस्वती नदी की चर्चा वेदों में भी है।
नदी के होने के प्रमाण
सरस्वती की खोज के लिए पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक पिछले कुछ सालों में कई स्थानों पर खोदाई हो चुकी है। जिसमें इस नदी के होने के प्रमाण मिले हैं। कुछ माह पहले एएसआइ के मुख्यालय के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सरस्वती नदी की खोज के लिए चल रहे प्रयासों की सराहना की थी।