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Delhi University: आपत्तिजनक पोस्ट करने पर गिरफ्तार डीयू प्रोफेसर रतन लाल को दिल्ली की कोर्ट से मिली जमानत

Delhi University सामाजिक कार्यकर्ता शिवम भल्ला की ओर से दी गई शिकायत में आरोप लगाया गया था कि हिंदू कालेज के प्रोफसर डा. रतनलाल ने सोशल मीडिया पोस्ट में शिवलिंग को लेकर मजाक उड़ाया था जिससे एक समुदाय की भावनाएं आहत हुईं।

By Jp YadavEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 12:18 PM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 04:40 PM (IST)
Delhi University: आपत्तिजनक पोस्ट करने पर गिरफ्तार डीयू प्रोफेसर रतन लाल को दिल्ली की कोर्ट से मिली जमानत

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले डीयू प्रोफेसर डा. रतन लाल को दिल्ली की कोर्ट से जमानत मिल गई है। जागरण संवादाता के अनुसार, दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतन लाल को 50 हजार रुपये के मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर जमानत दे दी है। 

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वहीं, इससे पहले रतनलाल की गिरफ्तारी के विरोध में शुक्रवार रात को छात्रों का प्रदर्शन हुआ। दरअसल, ज्ञानवापी मामले को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोपित डीयू प्रोफेसर रतन लाल को दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार देर रात गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद देर रात छात्रों ने भी इस पर विरोध-प्रदर्शन किया था।

सामाजिक कार्यकर्ता की शिकायत पर हुई गिरफ्तारी

दिल्ली के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता शिवम भल्ला ने दिल्ली पुलिस को दी शिकायत में कहा था कि काशी के ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट किया था। इस पर उत्तरी जिला साइबर सेल को प्रोफेसर रतन लाल के खिलाफ मंगलवार को ही मामला दर्ज कर लिया था। बताया जा रहा है कि दिल्ली पुलिस ने शिकायत के मद्देनजर प्रोफेसर के खिलाफ तकनीकी साक्ष्य जुटाए और शुक्रवार रात उन्हें मौरिस नगर से गिरफ्तार कर लिया।

वहीं, प्रोफेसर रतन लाल की गिरफ्तारी के विरोध में शुक्रवार देर रात स्टूडेंट्स फेडरेशन आफ इंडिया (एसएफआइ) और आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने डीयू में इतिहास के प्रोफेसर रतन लाल की गिरफ्तारी के खिलाफ साइबर पीएस, उत्तरी जिले के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और सड़क जाम की।  प्रोफेसर रतन लाल के वकील ने इस गिरफ्तारी को नाजायज बताया है।

गिरफ्तारी को लेकर प्रो. रतन लाल के वकील महमूद प्राचा ने कहा कि प्रो. रतन लाल के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया था। प्राथमिकी और शिकायत में एक भी जगह इस बात का जिक्र नहीं है जिसे संज्ञेय अपराध कहा जाए। इसके बावजूद, आईपीसी की धारा 153ए और 295ए के तहत गिरफ्तारी नहीं की जा सकती। पुलिस के पास इसका अधिकार नहीं है। यह गिरफ्तारी भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है और अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3 का उल्लंघन है। हम उनकी बेगुनाही साबित करेंगे। इस गिरफ्तारी का और विरोध होना चाहिए।


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