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खुद का स्‍वदेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एेप विकसित करेगा संघ, चीन और अमेरिका को देगा टक्कर

संघ की कोशिश है कि इस एेप में सर्वर का भी कम से कम इस्तेमाल हो ताकि डाटा चोरी व सुरक्षा संबंधी दिक्कतें न हों। इसके लिए संघ खुद का सर्वर भी मुहैया कराएगा।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 26 Apr 2020 08:41 AM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2020 08:46 AM (IST)
खुद का स्‍वदेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एेप विकसित करेगा संघ, चीन और अमेरिका को देगा टक्कर
खुद का स्‍वदेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एेप विकसित करेगा संघ, चीन और अमेरिका को देगा टक्कर

नई दिल्ली (नेमिष हेमंत)। अमेरिकन-चीनी ऐप जूम पर सवाल उठने के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने स्वदेशी ऐप लाने की तैयारी की है। संघ की कोशिश है कि इस ऐप में सर्वर का भी कम से कम इस्तेमाल हो ताकि डाटा चोरी व सुरक्षा संबंधी दिक्कतें न हों। इसके लिए संघ खुद का सर्वर भी मुहैया कराएगा।

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देशभर के स्‍टार्टअप और छात्राें से सहभागिता की अपील

संघ के आनुषांगिक संगठन भारतीय शिक्षण मंडल (बीएसएम) की इकाई रिसर्च फॉर रिसर्जेस (आरएफआर) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रोपड़ के साथ राष्ट्रीय प्रतियोगिता शुरू की है। इसमें देशभर के स्टार्टअप और छात्रों से सहभागिता की अपील की गई है। स्वदेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप बनाने वालों को पांच लाख रुपये का नकद पुरस्कार और आइआइटी रोपड़ में इंटर्नशिप का मौका मिलेगा।

जूम ऐप को देगा टक्‍कर

लॉकडाउन के बाद संघ की सारी गतिविधियां जूम समेत अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप पर आ गई हैं, जो सभी विदेशी हैं। इन ऐप का इस्तेमाल देशभर की कंपनियों तथा शिक्षण कार्यो में हो रहा है। आरएफआर के सह संयोजक विश्वजीत ने बताया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप की जरूरत लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी रहेगी। इसलिए स्वदेशी ऐप की ओर गंभीरता से कदम आगे बढ़ाया गया है।

15 मई तक है आवेदन  की तिथि

15 मई तक आवेदन जमा करना है जबकि ऐप का वीटा वर्जन 31 मई तक जमा करना है। वह कहते हैं, हम चाहते हैं कि कम से कम 50 मोबाइल फोन एक साथ जुड़ने की सुविधा हो। मोबाइल से मोबाइल ऐप डेटा पूलिंग की सुविधा हो और सर्वर की आवश्यकता कम से कम हो। खास बात यह है कि इसे बीएसएम के नागपुर स्थित सर्वर से जोड़ा जाएगा।

लोगों की सेवा में दिन रात लगे हैं तीन लाख से अधिक स्वयंसेवक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 3 लाख 809 स्वयंसेवक पूरे देश में सेवा कार्य में लगे हैं। देश के 55, 725 स्थानों पर संघ द्वारा अब तक 2 करोड़ 16 लाख 82 हजार 540 लोगों को खाने का पैकेट बांटे गए हैं। सबसे अधिक सेवा कार्य उत्तर प्रदेश में 7,013, मध्यप्रदेश में 5,781, गुजरात में 4,561, महाराष्ट्र व गोवा में 4,460 स्थानों पर हो रहा है। अभी तक 33 लाख 75 हजार, 664 जरूरतमंदों तक राशन किट पहुंचाए गए हैं। अब तक के संघ के इस सबसे बड़े सेवा अभियान में 3 लाख 76 हजार 234 प्रवासी मजदूरों को भी सहायता पहुंचाई गई है। यही नहीं, स्वयंसेवकों द्वारा दूसरों की जान बचाने के लिए 13, 562 यूनिट रक्तदान किया गया है। इसी तरह कोरोना से बचाव के लिए 29 लाख 52 हजार 217 मास्क बांटे गए हैं। मजदूरों और बेघरों के रहने के लिए 10 हजार 577 अस्थायी आवास की व्यवस्था की गई है। इसी तरह 77,545 घुमंतू लोगों को भी मदद पहुंचाई गई है।


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