Move to Jagran APP

राम मंदिर पर फैसला आने से पहले संघ इस तैयारी में जुटा, जानिए क्या है प्लान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चाहता है कि फैसला जो भी आए देश का सामाजिक-धार्मिक सौहार्द नहीं बिगड़ना चाहिए।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 11:55 PM (IST)Updated: Sat, 02 Nov 2019 06:55 AM (IST)
राम मंदिर पर फैसला आने से पहले संघ इस तैयारी में जुटा, जानिए क्या है प्लान
राम मंदिर पर फैसला आने से पहले संघ इस तैयारी में जुटा, जानिए क्या है प्लान

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। इस माह के मध्य तक राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है। इस मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चाहता है कि फैसला जो भी आए, देश का सामाजिक-धार्मिक सौहार्द नहीं बिगड़ना चाहिए। इसके लिए हिंदू पक्ष से संयमित रहने का आग्रह करने के साथ ही विभिन्न धर्म के प्रमुख लोगों से मुलाकात का क्रम जारी रखेगा। इसमें संघ के करीबी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच जैसे संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी, जो हिंदू-मुस्लिम धार्मिक सद्भाव कायम रखने में प्रयासरत हैं। आने वाले दिनों में सर संघचालक मोहन भागवत का दूसरे धर्म के गुरुओं से मुलाकात का क्रम बढ़ सकता है। अगस्त के अंतिम सप्ताह में भागवत ने दिल्ली में ही जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी से मुलाकात की थी।

loksabha election banner

संघ बरत रहा सतर्कता

राम मंदिर पर फैसला ऐसे समय में आ रहा है जब जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद पाकिस्तान देश का माहौल खराब करने की साजिश में जुटा है। इसलिए संघ पहले से सतर्कता बरत रहा है। छतरपुर में संघ परिवार की तीन दिन तक चली मैराथन बैठक में राम मंदिर मुद्दा पर चर्चा का केंद्र रहा। बैठक में सर संघचालक मोहन भागवत, सरकार्यवाह भय्या जी जोशी, सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल व मनमोहन वैद्य, केंद्रीय गृह मंत्री व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महामंत्री बीएल संतोष, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे, कार्याध्यक्ष आलोक कुमार समेत सभी आनुषांगिक संगठनों के शीर्ष पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। बैठक में संघ परिवार ने स्पष्ट किया है कि वह एनआरसी पूरे देश में चाहती है, ताकि घुसपैठियों की पहचान हो सके।

फैसला पक्ष में आने को लेकर आशान्वित है संघ

संभावना है कि 17 नवंबर से पहले राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट से फैसला आ जाएगा। संघ परिवार फैसला अपने पक्ष में आने को लेकर आशान्वित है। फिर भी उसे इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का ध्यान है, जिसने मंदिर की जमीन को तीन बराबर भागों में बांटने का आदेश दिया था, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में आया है। संघ के मुताबिक फैसला जो भी आए पर यह हार-जीत का प्रश्न नहीं है। इसे सभी को खुले मन से स्वीकार करना चाहिए। इसलिए फैसला पक्ष में आने के बाद न जश्न मनाने जैसी बात होनी चाहिए और पक्ष में न आने के बाद विरोध भी नहीं होना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.