संघ को समझने की कोशिश करें मुस्लिम समाज, गलतफहमियां दूर करने के लिए करीब आएंः डा. कृष्ण गोपाल
डा. कृष्णगोपाल ने संघ के संस्थापक व प्रथम सरसंघचालक डा.केशव बलिराम हेडगेवार के साथ ही संघ के लक्ष्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अनुशासित संस्कारों के साथ देश प्रेम करने वाले लोगों को खड़ा करना संघ का लक्ष्य है।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। मुस्लिम समाज में खुद को लेकर भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) एक बार फिर आगे बढ़ा है। संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल ने मुस्लिम समाज के लोगों से संघ को समझने की कोशिश करने का आग्रह करते हुए कहा कि उनके मन में जो गलतफहमियां है। उसे दूर करने के लिए वह समीप आएं। संवाद शुरू होना चाहिए। इसके लिए हम आमंत्रित करते हैं। उन्होंने कहा कि दूर से देखना और कहीं सुनी बातों पर विश्वास करना सही नहीं है। जो भी सवाल होंगे, हम सभी का जवाब देंगे। हम तर्कों और विमर्शों के साथ प्रश्नों और विरोध करने वालों का आदर करते हैं। हम नदी के प्रवाह की तरह बहने वालों लोगों में से हैं।
उन्होंने कहा कि हम देश की 135 करोड़ से अधिक लोगों को एक मानते हैं। हम इसमें किसी प्रकार के विभाजन को उचित नहीं मानते हैं। हम एक जन, एक परिवार व एक देश हैं। अगर इनमें से कुछ लाेगों के मन में संदेहास्पद बातें हैं तो उससे एकजुट देश और एकात्म भारत खड़ा नहीं हो सकता है। वह इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में सरसंघचालक मोहन भागवत की पुस्तक "भविष्य का भारत' के उर्दू संस्करण "मुस्तकबिल का भारत' के लोकापर्ण अवसर पर जुटे मुस्लिम समाज के लोगों को संबोधित कर रहे थे।
बता दें कि यह पुस्तक सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा वर्ष 2018 में विज्ञान भवन में दिए गए तीन दिवसीय व्याख्यान पर आधारित हैं। इसका उर्दू अनुवाद राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद (एनसीपीयूएल) के निदेशक डा अकील अहमद ने किया है।
एनसीपीयूएल शिक्षा मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय है। इस अवसर पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के मार्गदर्शक व संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार व इंडिया इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के अध्यक्ष सिराजुद्दीन कुरैशी समेत कई मुस्लिम शिक्षाविद, सुधारक और जागरूक लोग मौजूद रहे। उनके संबोधन में कई बार तालियां बजी।
अनुशासित, संस्कारवान देशप्रेमी खड़ा करना संघ का लक्ष्य
डा. कृष्णगोपाल ने संघ के संस्थापक व प्रथम सरसंघचालक डा.केशव बलिराम हेडगेवार के साथ ही संघ के लक्ष्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अनुशासित, संस्कारों के साथ देश प्रेम करने वाले लोगों को खड़ा करना संघ का लक्ष्य है। अपने हजारों साल पुराने गौरव को याद करते हुए हमें विश्व में अग्रणी स्थान बनाना है। यह कुछ लोगोें से नहीं हो सकता है। इसके लिए लाखों लाख लोग चाहिए। संघ इसी भावना के साथ एक-एक व्यक्ति के स्वभाव व संकल्प को बदलने में जुटा है। उन्होंने कहा कि संघ जोड़ने पर विश्वास करता है। कोरोना काल में संघ के स्वयंसेवक हजारों मुस्लिम बस्तियों में पहुंचे और सेवा की।
पश्चिम की अवधारणों से तय नहीं कर सकते हिंदू
उन्होंने हिंदुत्व को स्पष्ट करते हुए कहा कि "हिंदू कौन' के सवाल को पश्चिम की बनाई अवधारणों से नहीं देखा जा सकता है। यह हजारों धर्म, पंथ व संप्रदाय का प्लेटफार्म है। यह पूजा पद्धति से तय नहीं होगा। पूजा करने वाले और नहीं करने वाले सभी हिंदू हैं। हिंदू और हिंदुत्व का जन्म किसने किया यह कोई नहीं बता सकता। हिंदुत्व किसी एक व्यक्ति ने नहीं बल्कि हजारों लाेगों के योगदान से खड़ा हुआ है। बुद्ध, महावीर, रसखान व रहीम जैसे न जाने कितने लोगों का योगदान है। यह प्रवाह है तालाब नहीं है। यह निरंतरता है। यह एक सत्य की खोज में लगा रहता है।
इसे किसी एक दायरे में नहीं बांधा जा सकता है। यह एकात्म का बोध कराता है बांटता नहीं है। इसलिए धर्म, संप्रदाय, भाषा, बोली, खानपान, क्षेत्र, जलवायु समेत अन्य विविधताओं में एकत्व का बोध कराता है। बांटता नहीं है। यह विविधताएं आनन्द के लिए है। यह विरोधाभाष से संघर्ष नहीं समन्वय ढूंढता है। त्याग, कृतज्ञता, आदर, सम्मान व समन्वय इसके तत्व है।