पिता की ही नहीं नाना की भी राजनीतिक विरासत आगे बढ़ाने चाहते थे रोहित शेखर
अपने पिता के साथ ही अपने नाना की राजनीतिक विरासत को भी रोहित शेखर आगे बढ़ाना चाहते थे। उनके भीतर काबिलियत थी। ये कहना है रोहित के मामा का।
गुरुग्राम [आदित्य राज]। अपने पिता के साथ ही अपने नाना की राजनीतिक विरासत को भी रोहित शेखर आगे बढ़ाना चाहते थे। उनके भीतर काबिलियत थी। वह बहुत ही जल्द राजनीति में काफी बेहतर कर सकते थे। एक ही पल में सारी उम्मीदें खत्म हो गईं। वर्षों तक उन्होंने सम्मान पाने के लिए संघर्ष किया। अब जीवन में बेहतर से बेहतर करने का माहौल तैयार हुआ था तो अर्थी सज गई। ये बातें करते-करते रोहित शेखर के मामा डॉ. तरुण कुमार तरुण का गला रुंध जाता है।
दैनिक जागरण से बातचीत में सेक्टर-9ए निवासी डॉ. तरुण ने बताया कि उनके पिता और रोहित शेखर के नाना प्रो. शेर सिंह संयुक्त पंजाब सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे। केंद्र की मोरारजी देसाई सरकार में रक्षा राज्यमंत्री रहे। इंदिरा गांधी की सरकार में कृषि, संचार सहित कई मंत्रालयों में राज्यमंत्री रहे।
रोहित के पिता नारायण दत्त तिवारी उत्तर प्रदेश के तीन बार और उत्तराखंड के एक बार मुख्यमंत्री रहे। राज्यपाल से लेकर केंद्र में मंत्री रहे। दोनों की विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी रोहित पर थी। वे इस दिशा में प्रयासरत थे। अच्छे वक्ता थे। अपनी बातों को बहुत ही बेहतर तरीके से लोगों के सामने रखते थे। इससे उम्मीद थी कि वे राजनीति में काफी बेहतर करेंगे।
टूटने वाले इंसान नहीं थे रोहित
जिस तरह से उन्होंने सम्मान के लिए संघर्ष किया था, इससे साफ था कि वह किसी भी स्तर पर टूटने वाले इंसान नहीं थे। नारायण दत्त तिवारी का बेटा होने का अधिकार व सम्मान पाने के लिए वर्षों संघर्ष किया। वह हमेशा कहा करते थे कि चाहे कुछ भी हो जाए अपना अधिकार व सम्मान हासिल करके ही रहेंगे। दृढ़ संकल्प से ही उन्होंने अपना अधिकार और सम्मान हासिल किया। अब जब कि राजनीति के क्षेत्र में बेहतर करने की सभी उनसे उम्मीद कर रहे थे, तो दुनिया से ही चले गए।
दोषी पर सख्त कार्रवाई करने की मांग
तरुण कुमार ने कहा कि रोहित की मौत से दोनों परिवार की ऐसी क्षति हुई है, जिसकी भरपाई संभव नहीं है। उनकी मौत के साथ ही परिवार के मान-सम्मान पर आंच आई है। अब दिल्ली पुलिस जल्द से जल्द जांच पूरी कर सच्चाई सामने लाए। यदि कोई दोषी है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। जीवन के सबसे संकट भरे दौर से परिवार गुजर रहा है।