एम्स ट्रामा सेंटर में हादसा पीड़ितों का उपचार दोबारा शुरू करने का अनुरोध जायज
एम्स वैसे भी दिल्ली का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित अस्पताल है। यहां के ट्रामा सेंटर में भी देश भर में सर्वाधिक 264 बेड हैं लेकिन यहां कोरोना सेंटर बना होने के कारण अब आए दिन समस्या खड़ी हो रही है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Delhi based All India Institute of Medical Sciences) की रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) द्वारा ट्रामा सेंटर में हादसा पीड़ितों का उपचार दोबारा शुरू करने का अनुरोध जायज व वक्त की मांग है। इसके लिए एम्स निदेशक को पत्र भी लिखा गया है और कहा गया है कि कोरोना मरीजों का उपचार करने के लिए पिछले साल 28 मार्च को ट्रामा सेंटर को अस्पताल की ओपीडी में स्थानांतरित किया गया था। तभी से यह व्यवस्था चली आ रही है, जबकि वर्तमान में कोरोना संक्रमण पूर्णतया नियंत्रण में चल रहा है और हादसा पीडि़तों की संख्या बढ़ रही है। इससे उनका इलाज प्रभावित हो रहा है और पहले की तुलना में 20 से 30 फीसद मरीज कम देखे जा रहे हैं। इसमें कोई दो मत नहीं कि अस्थायी व्यवस्था को हालात बदलते ही खत्म कर देना चाहिए।
एम्स वैसे भी दिल्ली का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित अस्पताल है। यहां के ट्रामा सेंटर में भी देश भर में सर्वाधिक 264 बेड हैं, लेकिन यहां कोरोना सेंटर बना होने के कारण अब आए दिन समस्या खड़ी हो रही है। पिछले करीब एक माह से तो कोरोना के सिर्फ 25 से 35 मरीज भर्ती ही रहते हैं, बाकी बेड खाली पड़े रहते हैं।
निस्संदेह इस स्थिति में यहां से कोराना सेंटर खत्म करके ट्रामा सेंटर की सेवाएं पुन: बहाल की जानी चाहिए। यह नहीं भूलना चाहिए कि यह देश में अपनी तरह का अग्रणी सेंटर है। इससे पूरे दिल्ली एनसीआर में हादसा पीड़ितों के इलाज की सुविधा बेहतर हुई है।
जब यहां कोई हादसा पीड़ित उपचार के लिए लाया जाता है तो उसके परिजनों को पूरा विश्वास होता है कि यहां तो उसे जीवनदान मिल ही जाएगा। लेकिन अगर वहां किसी को भर्ती भी न किया जा सके तो उसे उस हालत में कहीं ओर ले जाना दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा, इसलिए एम्स प्रशासन को चाहिए कि कोरोना सेंटर को खत्म या कहीं और स्थानांतरित कर यहां जल्द से जल्द ट्रामा सेंटर फिर से शुरू करे।