लाइफस्टाइल : सिंगल हैं तो दिल्ली-NCR में भूल जाइए किराए का घर, जानें क्या है पूरा मामला
एनसीआर में आने वाले 80 प्रतिशत सिंगल लोगों को इस समस्या से दो चार होना पड़ रहा है।
गुरुग्राम (प्रियंका दुबे मेहता)। आज कल बड़ी उम्र तक सिंगल रहना एक स्टाइल स्टेटमेंट बन गया है। युवा अच्छी जॉब, बेहतर सैलरी पैकेज की तलाश में बड़ी उम्र तक शादी नहीं करते। लेकिन अपनी हाईटेक सुख सुविधा का पूरा ध्यान रखते हैं। इसके बावजूद भी उन्हें सिर छिपाने को किराये के घर के लिए भटकना पड़ता है। यह समस्या उन सबकी है, जिसके पास ज्ञान व प्रोफेशनल डिग्री है, लेकिन सिंगल हैं।
एक सर्वे के मुताबिक एनसीआर के तकरीबन 80 फीसद सिंगल युवाओं को किराए का घर मिलने में परेशानी होती है। इसमें अधिकतर वे लोग शामिल हैं, जो गांवों व दूर दराज के शहरों से आकर दिल्ली एनसीआर में नौकरी करते हैं और सिंगल हैं। इन लोगों को मकान मालिक घर किराए पर देने में हिचकते हैं।
आपराधिक घटनाओं से पनपा अविश्वास
दिल्ली निवासी आरसी सिंह का फ्लैट गुरुग्राम के सेक्टर 57 में है। उनका कहना है कि उन्होंने यह बोर्ड लगा दिया है कि फ्लैट केवल परिवारों को ही किराए पर दिया जाएगा। फ्लैट मालिक विवेक मिश्रा का कहना है कि तकरीबन छह सात साल पहले का ट्रेंड बिल्कुल अलग था।
पहले लोग किराया लेने के चक्कर में बिना पूछताछ किए किराए पर दे देते थे, लेकिन कई तरह की घटनाओं के बाद मालिक चौकन्ने हुए और सिंगल लोगों को किराए पर फ्लैट देने बंद कर दिया। उद्योग विहार स्थित मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत सलोनी सिंह का कहना है कि उन्हें पहले तो फ्लैट आसानी से मिल गया था, लेकिन जब उन्होंने बाद में दूसरे फ्लैट की तलाश शुरू की तो उन्हें बहुत मुश्किल आई।
गुरुग्राम की मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत अनिरुद्ध राय का कहना है कि उन्हें महीनों लग गए लेकिन किराए पर घर नहीं मिला। अंत में उन्हें सफलता तब मिली जब उन्होंने अपने आपको शादीशुदा बताना शुरू किया। एक संस्था ट्रैक टू रियलिटी के एक सर्वे की रिपोर्ट को मानें तो अब एनसीआर में आने वाले 80 प्रतिशत सिंगल लोगों को इस समस्या से दो चार होना पड़ रहा है।
मैं शुरुआत में यहां आई तो कोई दिक्कत नहीं थी। अब चीजें बहुत बदल गई हैं। अब मेरे दोस्त बाहर से यहां आ रहे हैं तो उन्हें फ्लैट या किराए का घर ढूंढने में बहुत दिक्कत आ रही है। मेरे कुछ दोस्तों को घर से अपने परिवार से किसी को बुलाना पड़ रहा है। - ज्योति तोमर, डीएलएफ
गुरुग्राम इस ट्रेंड के पीछे मकान मालिकों की यह सोच है कि सिंगल लोग अपने तरीके से जिंदगी जीते हैं। खाना-पीना पार्टी जैसी चीजें कहीं न कहीं इस स्तर तक बढ़ जाती हैं कि कब चीजें क्राइम का रूप ले लें, पता नहीं चलता। लोगों को सुरक्षा को लेकर भी खतरा रहता है कि बाहर से आए सिंगल्स की नौकरी कब कहीं और लग जाए और वे मकान छोड़कर बिना बताए चले जाएं। उनकी यह सोच सही भी है क्योंकि आजकल फ्लैट कल्चर में समाज में बहुत खुलापन आ गया है। ऐसे में इसपर रोक लगाना बहुत जरूरी था। - तेजस्विनी सिन्हा, न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट