अपोलो सर्कस के अलावा 23 सर्कसों से छीना हाथी रखने का अधिकार, जानिए क्यों
देशभर में वाराणसी का अपोलो सर्कस ही बचा है, जिसे आवेदन करने पर एक हाथी रखने का अधिकार मिल गया है। अपोलो सर्कस के पास एक हथिनी है।
नई दिल्ली [ वीके शुक्ला ] । अब सर्कस में हाथी होने की बात किताबों में सिमटने जा रही है। सर्कस में हाथी नहीं दिखाई देंगे। केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण (सीजेडए) ने 23 सर्कस की मान्यता रद कर दी है, जिसके तहत अब इनसे हाथी रखने का अधिकार छिन गया है।
देशभर में वाराणसी का अपोलो सर्कस ही बचा है, जिसे आवेदन करने पर एक हाथी रखने का अधिकार मिल गया है। अपोलो सर्कस के पास एक हथिनी है। इसके अलावा मामला अदालत में विचाराधीन होने के चलते गे्रट गोल्डन सर्कस के पास दो हथिनी हैं।
सभी सर्कसों से अन्य जानवर पहले ही हटा लिए गए थे। हाथी ही बचे थे। बेहतर बर्ताव नहीं होने से सीजेडए ने 23 सर्कस की मान्यता रद कर दी है। पिछले दो साल के दौरान अलग-अलग समय पर की गईं जांच में ये सर्कस नियमों की अवहेलना करते पाए गए।
हाथियों को न ही बेहतर वातावरण में रखा जा रहा था और न ही इन्हें भरपेट भोजन मिलता था। हाथियों की नियमित मार्निंग वॉक भी नहीं हो रही थी। भोजन में निर्धारित जामुन व नीम की टहनियों की मात्रा नहीं मिली।
एक हाथी को रखने के लिए 48 वर्ग मीटर का कच्चा तालाब होना चाहिए, लेकिन वह भी नहीं मिला। कई जगह जांच में हाथियों के पैर लोहे की चैन से आपस में बंधे हुए मिले। साथ ही उनकी नियमित जांच व बीमार होने पर इलाज का रिकॉर्ड भी नहीें मिला।
इन सर्कसों को हाथी रखने से रोका
ग्रेट रॉयल, सम्राट, रैंबो, राजमहल, राजकमल, नटराज, कोहिनूर, जम्बो, जमुना, ग्रेट संगम, ग्रेट रेमैन, ग्रेट जेमिनी, ग्रेट बांबे, जैमिनी, ग्रेट अपोलो, फेमस, एशियन जेमिनी, अमर, एंपायर, मूनलाइट, रिनो, वेस्टन व ओलंपिक सर्कस की मान्यता रद कर दी है।
सर्कस में बचे है हाथी
अब सिर्फ दो सर्कस में हाथी बचे हैं। इसमें वाराणसी का अपोलो सर्कस शामिल है, जबकि मामला अदालत में होने के कारण कानपुर के ग्र्रेट गोल्डन सर्कस में हाथी बचे हैं।
क्या है नियम
वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्स 1972 के सेक्शन 38 एच के अनुसार, सर्कस में जानवरों को रखने की अनुमति है। मगर इसके लिए मान्यता देने का अधिकार सीजेडए को है। सीजेडए के आदेश हैं कि हाथी रखने के लिए 13 तरह के नियमों का पालन करना होगा।
राष्ट्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण के सदस्य सचिव डॉ.डी एन सिंह ने कहा कि सर्कस में हाथियों के साथ ठीक व्यवहार नहीं किया जा रहा था। उन्हें ठीक से नहीं रखा जा रहा था। निरीक्षण के दौरान सर्कस नियमों की अवहेलना करते पाए गए। इसलिए हाथी रखने के लिए दी गई मान्यता रद की गई है।