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IPS Rakesh Asthana : पढ़ें- राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ याचिका को खारिज करते हुए HC ने क्या कहा

दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ कहा कि नियुक्ति में कोई अनियमितता अवैधता या दुर्बलता नहीं है। मुख्य पीठ ने कहा कि अस्थाना की नियुक्ति में अपनाई गई प्रक्रिया लगभग एक दशक से अधिक समय से अपनाई जा रही है।

By Jp YadavEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 09:10 AM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 09:10 AM (IST)
IPS Rakesh Asthana : पढ़ें- राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ याचिका को खारिज करते हुए HC ने क्या कहा
IPS Rakesh Asthana : पढ़ें- राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ याचिका को खारिज करते हुए HC ने क्या कहा

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। गुजरात कैडर के 1984 बैच के आइपीएस राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के तौर पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। इस मौके पर अपनी टिप्पणी में दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ कहा कि नियुक्ति में कोई अनियमितता, अवैधता या दुर्बलता नहीं है। मुख्य पीठ ने कहा कि अस्थाना की नियुक्ति में अपनाई गई प्रक्रिया लगभग एक दशक से अधिक समय से अपनाई जा रही है।

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पीठ ने यह भी कहा कि वर्ष 2006 से दिल्ली में आठ पूर्व पुलिस आयुक्तों की नियुक्ति उसी प्रक्रिया के तहत की गई, जिसके तहत अस्थाना की नियुक्ति हुई। उक्त नियुक्तियों पर न तो संघ लोक सेवा आयोग ने कभी भी कोई आपत्ति की और न ही किसी अन्य पक्ष से की गई। अदालत ने स्पष्ट किया कि देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली की विशिष्टता है। यहां पर अन्य सुरक्षा बल के अलावा एक अनुभवी अधिकारी की नियुक्ति की आवश्यकता थी। अदालत ने माना कि केंद्र के पास अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति देने और सेवानिवृत्ति की तारीख से परे सेवा के विस्तार की अनुमति देने की शक्ति है। याचिकाकर्ता सदरे आलम ने अस्थाना की नियुक्ति करने के संबंध में गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी थी।

याचिका की सामग्री की कापी पेस्ट की प्रथा ठीक नहीं

याचिका खारिज करते हुए पीठ ने याचिका की सामग्री को कापी पेस्ट करने की प्रथा की निंदा की। पीठ ने कहा कि इस मामले को वह आगे नहीं बढ़ाना चाहती । इसके साथ ही याचिकाकर्ता सदरे आलम को भविष्य में इस तरह के अभ्यास में शामिल होने से बचने की सलाह दी। सीपीआइएल के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी थी कि हाई कोर्ट के समक्ष दाखिल याचिका उनके द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दाखिल याचिका की हूबहू कापी है। उन्होंने इसे कानून की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग बताया था। वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इसकी निंदा करते हुए सख्त कार्रवाई की बात की थी। हालांकि, सदरे आलम के अधिवक्ता ने आरोपों से इन्कार किया था।


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