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दिल्ली-NCR में ही क्यों कम हुई बारिश? जल्द सामने आ सकते हैं कई चौंकाने वाले राज

बारिश के लिए कम दबाव का क्षेत्र बनना जरूरी है। यह बंगाल की खाड़ी से बनता है और देश के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचता है। दिल्ली तक इस बार इसका प्रभाव काफी कम रहा है।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 10:39 PM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 10:10 AM (IST)
दिल्ली-NCR में ही क्यों कम हुई बारिश? जल्द सामने आ सकते हैं कई चौंकाने वाले राज
दिल्ली-NCR में ही क्यों कम हुई बारिश? जल्द सामने आ सकते हैं कई चौंकाने वाले राज

नई दिल्ली, जेएनएन। सितंबर माह का उत्तरार्ध शुरू हो गया है, लेकिन न तो उमस कम हो रही है और न ही तापमान। बादल अक्सर छाते हैं, मगर या तो बिन बरसे फिर बूंदाबांदी करके ही चले जाते हैं। आने वाले दिनों में भी तेज बारिश के आसार नहीं लग रहे जबकि मानसून की विदाई का समय आ गया है। ऐसे में कैसा रहेगा अब मौसम, गर्मी से कब तक मिलेगी राहत और सर्दी की कब तक हो सकती है दस्तक इत्यादि सवालों पर संजीव गुप्ता ने प्रादेशिक मौसम विज्ञान विभाग के प्रभारी कुलदीप श्रीवास्तव से लंबी बातचीत की। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के मुख्य अंश :-

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क्या मानसून की विदाई हो गई है?
अभी नहीं। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में मानसून की गतिविधियां अभी चल रही हैं। दिल्ली में भी तेज बारिश की तो खैर अब कोई संभावना नजर नहीं आ रही, लेकिन हल्की बारिश आगे भी हो सकती है। ऐसे में माह के अंत तक ही सभी संबंधित एजेंसियों से सलाह करके मानसून की विदाई पर कोई निर्णय लिया जाएगा।

तब क्या वजह है कि दिल्ली में इस बार 34 तक कम बारिश हुई है?
दरअसल, बारिश के लिए कम दबाव का क्षेत्र बनना जरूरी है। यह बंगाल की खाड़ी से बनता है और देश के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचता है। दिल्ली तक इस बार इसका प्रभाव काफी कम रहा है। इसी तरह मानसून की रेखा भी राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं दक्षिणी उत्तर प्रदेश की तरफ तो पहुंची, लेकिन दिल्ली को छूकर निकल गई, इसीलिए दिल्ली में मानसून की बारिश इस बार कम रही है।

इस स्थिति के लिए दिल्ली के स्थानीय कारक किस हद तक जिम्मेदार हैं?
देखिए, स्थानीय कारकों का भी प्रभाव तो पड़ता ही है। फिर वह चाहे दिल्ली का कम होता हरित क्षेत्र हो या यहां का अत्यधिक प्रदूषण। दिल्ली में कंक्रीट का जंगल भी बहुत फैल गया है। इससे धरती की प्यास नहीं बुझ पाती। भूजल का स्तर भी बेहतर ढंग से रिचार्ज नहीं हो पाता।

मौसम के बदलने की उम्मीद कब तक है?
हाल फिलहाल तो इसकी कोई उम्मीद नहीं लग रही। अभी पूर्वी हवाएं चल रही हैं। इससे उमस भरी गर्मी बनी रहेगी। मौसम में बदलाव की संभावना अक्टूबर माह के उत्तरार्ध तक ही की जानी चाहिए। इससे पहले नहीं। तब हवा की दिशा उत्तर पश्चिमी या पश्चिमी हो जाएगी। इन हवाओं में ठंडक एवं नमी दोनों होती है। इन्हीं के प्रभाव से तापमान में कमी आनी शुरू होगी।

सर्दियों की दस्तक को लेकर क्या पूर्वानुमान है?
अभी इस बारे में कुछ भी कह पाना मुश्किल होगा। फिलहाल तो पूरी तरह से मानसून ही खत्म नहीं हुआ है। हवाओं की दिशा बदलने में भी समय है। लिहाजा, सर्दियों के आगमन पर बाद में ही कुछ कहा जा सकेगा।

इस बार दीवाली थोड़ा जल्दी आ रही है। उस दौरान मौसम कैसा रहेगा?
अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में हवाएं काफी हद उत्तर पश्चिमी या पश्चिमी हो जाएंगी। जैसाकि मैंने पहले बताया कि इन हवाओं में ठंडक और नमी दोनों रहती है। हालांकि दिल्ली एनसीआर के मौसम पर बड़ा प्रभाव हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर की मौसमी परिस्थितियाें का भी पड़ता है।

कहने का मतलब यह कि दीवाली के आसपास इस बार भी प्रदूषण गहराएगा?
प्रदूषण के लिए सिर्फ मौसम को जिम्मेदार नहीं कहा जा सकता। जिस समय हवा में नमी बढ़ी हुई होती है, अगर उस दौरान पराली जलाई जाएगी या खुले में कचरा जलाया जाएगा या फिर दूसरे ऐसे काम किए जाएंगे, जिनसे प्रदूषण का स्तर बढ़ता हो तो उससे प्रदूषण गहराएगा ही।

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