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Inspirational Story: पढ़िए सुरक्षा और भरोसे वाली सखा की सवारी की कहानी, दो पीएम कर चुके हैं तारीफ

आज ये बेटियां स्वालंबन की मिसाल बन चुकी हैं। वर्ष 2008 में शुरू हुई सखा कैब कंपनी में आठ साल पहले जुड़ीं अंजना वर्मा कहती हैं कि काफी संघर्षों के बाद आज मैं यहां वरिष्ठ कैब चालक के साथ एक प्रशिक्षक भी हूं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 06:55 PM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 07:00 PM (IST)
आधी आबादी के जिसे आप बतौर कैब चालक देखते हैं।

नई दिल्ली [मनीषा गर्ग]। यूं तो बेटियां पायलट बन रही हैं, लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं। फिर भी ऐसी आंखों के उज्ज्वल सपने भी हैं, जिन्हें पूरा करने को प्रेरक पिता भी मिले और उसके विपरीत रूढ़ी बेडिय़ों से बंधे जीवन साथी भी। हम बात कर रहे हैं आधी आबादी के उस स्वरूप की जिसे आप बतौर कैब चालक देखते हैं। इनके उपक्रम की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन के पूर्व पीएम डेविड कैमरन भी सराहना करते हैं। कैब ड्राइविंग को बतौर पेशे के लिए चयन करने के पीछे भी एक कहानी है। कैब का स्टेयरिंग थामे यात्रियों को सुरक्षित सफर पर पहुंचाने वाली हर महिला मिसाल है। किसी ने परिवार का साथ पाया है तो किसी को चुनौती के आगे सब छोड़ना भी पड़ा।

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2008 में शुरू हुई  थी सखा कैब

आज ये बेटियां स्वालंबन की मिसाल बन चुकी हैं। वर्ष 2008 में शुरू हुई सखा कैब कंपनी में आठ साल पहले जुड़ीं अंजना वर्मा कहती हैं कि काफी संघर्षों के बाद आज मैं यहां वरिष्ठ कैब चालक के साथ एक प्रशिक्षक भी हूं। अक्सर अखबारों में पढ़ती रही हूं कि महिलाओं के साथ कैब में भी गलत काम हुआ। कैब चालक ने लूट लिया या घिनौनी हरकत करने की कोशिश की। जब मैंने कैब चलाने के बारे में सोचा तो यह फैसला लेना मेरे लिए काफी मुश्किल था। मुझे समाज की बेड़ियों  को तोड़ते हुए कुछ अलग करना था, इसलिए आगे बढ़ी।

छुप-छुप कर सीखी कैब चलाने

परिवार में पति से छुपते-छुपाते कैब चलानी सीखी थी। पर जब पति को इस बात को पता चला तो उन्होंने मुझे मारा-पीटा और बच्चों समेत घर से निकाल दिया। मैं आगरा में अपनी मां के घर जाकर रहने लगी। मैं ठान चुकी थी कि मुझे कैब चलानी है और बच्चों को मां के पास छोड़कर, दिल्ली लौटी और अपने कोर्स को पूरा किया। हालांकि पति को इस बात की जानकारी नहीं थी। कुछ समय के बाद जब उन्हें पता चला कि मैंने अपनी उड़ान को जारी रखा है तब भी उन्होंने मुझे समझाने का काफी प्रयास किया पर मैं नहीं मानी। आज मैं पति से अलग अकेले परिवार का भरण पोषण करती हूं।

पीएम ने बढ़ाया हौसला

अंजना वर्मा बताती हैं कि वर्ष 2016 में दंगल फिल्म का प्रचार करने आमिर खान दिल्ली आए थे। इसी दौरान वे सखा कैब से ही अकबर रोड पर आयोजित एक शादी समारोह में शरीक हुए थे, जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी शिरकत की थी। तब आमिर खान ने मुझे प्रधानमंत्री से मिलवाया था। बकौल अंजना पीएम ने मेरा हौसला बढ़ाया और कहा कि आप देश की उन तमाम महिलाओं के लिए मिसाल हैं जो खुले आसमान में उड़ नहीं पाई हैं। उन्होंने कहा था कि मुझमें इतनी काबिलियत है कि आज मैं कैब चला रही हूं और कल मैं हवाई जहाज उड़ाऊंगी। ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की भी आमिर खान ने सखा कैब की महिला चालक चांदनी से मुलाकात कराई थी। उस दौरान डेविड कैमरन ने भी महिला चालकों का उत्साहवर्धन करते हुए उपहार भी दिया था।

डर के आगे बड़े सपनों की उड़ान है

कैब चालक गीता ने बताया कि सखा कैब से जुड़ने का फैसला लेने में मुझे तीन वर्ष का समय लगा। क्योंकि, इस काम में स्वावलंबन के साथ चुनौती भी हैं। अक्सर लोग कहते हैं लड़कियों के हाथ में स्टेयरिंग है, वो कहां ठीक से ड्राइव कर सकती हैं। मगर आधी आबादी इस परिधि में सिमटकर नहीं रही। आज मेरे परिवार को मुझ पर गर्व है और मैं परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम हूं।

कुछ ऐसी है बबली की कहानी

2017 से बतौर कैब चालक की भूमिका निभा रहीं बबली बताती हैं कि इस फैसले में परिवार के सभी लोगों का पूरा सहयोग रहा, लेकिन पिताजी ने खासा उत्साहवर्धन किया। नौकरी के इन चार वर्षों में कई तरह के अनुभव प्राप्त हुए। शुरुआत में रात की ड्यूटी के समय कई बार असामाजिक तत्वों द्वारा की गई टिप्पणी ने मन में डर पैदा किया, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं है। लोगों की फिजूल टिप्पणियों को दरकिनार कर मैंने आगे बढ़ना सीख लिया है। अब मेरी इच्छा है कि बस चालक बनूं। इसके लिए प्रयास जारी है।

सुरक्षा के हैं चाक-चौबंद इंतजाम

सखा कैब की संचालक मीनू वडेरा कहती हैं कि महिला चालकों की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए प्रत्येक कैब में पैनिक बटन लगा हुआ है। यदि महिला चालक किसी भी समस्या में है तो वे इस पैनिक बटन को तुरंत दबा दें। 15 मिनट के भीतर कोई न कोई उनकी मदद को तत्पर रहेगा। प्रत्येक कैब को ट्रैक किया जाता है। इसके अलावा महिला चालकों के लिए 24 घंटे एप बनाया गया है ताकि जब जरूरत है वे उस पर संपर्क कर सकें।

कुछ इस तरह हुई थी शुरुआत

वर्ष 2008 से सखा कैब की शुरुआत की थी। इसी के साथ आजाद फाउंडेशन की भी नींव रखी, जहां महिलाओं को कार चलाने, आत्मविश्वास जगाने, आत्मसुरक्षा, कार सर्विसिंग के गुर सिखाए गए। आज दिल्ली, जयपुर, इंदौर व बंगाल में सखा कैब उपलब्ध है। दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर हमारा काउंटर है। दिल्ली की बात करें तो फिलहाल 35 कैब और 45 महिला चालक हैं, जबकि 15 निजी संस्थान व कंपनियों में भी महिलाएं बतौर चालक कार्यरत हैं।


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