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दिल्ली में नहीं है साइको किलर्स की कमी, जानें- चलती फिरती मौत की कहानी

16 दिसंबर 2012 की उस भयानक रात कौन भूल सकता है, वो रात जब दिल्ली के दामन पर बदनुमा दाग लगा था और 'निर्भया' की चीख पूरी दुनिया में सुनाई दी थी।

By Amit MishraEdited By: Published: Tue, 02 Jan 2018 08:54 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jan 2018 09:39 PM (IST)
दिल्ली में नहीं है साइको किलर्स की कमी, जानें- चलती फिरती मौत की कहानी

नई दिल्ली [जेएनएन]। बिना कारण कोई किसी की हत्या कैसे कर सकता है। कत्ल के बाद कत्ल, क्रूरता की हद को पार कर जाना, आखिर कौन सी ऐसी वजहें होती हैं जिसके कारण एक इंसान दूसरों की जान लेने पर अमादा हो जाता है। किसी को मारने से पहले एक पल भी न सोचना और न ही खुद की परवाह करना। इसी तरह की वारदातें जब सामने आती हैं तो पूरा समाज हिल जाता है।

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इस तरह के अपराध आम हैं

लगातार क्रूरता की हद को पार कर हत्या की वारदातों को अंजाम देने वाले शख्स को साइको किलर या फिर सीरियल किलर कहा जाता है। ये वारदातें दिलों को दहला देती हैं, थर्रा देती हैं। ऐसी ही कुछ वारदातों और सीरियल किलर्स के बारे में हम आपको बताएंगे। हम आपको यह भी बताएंगे कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में साइको किलर्स की कोई कमी नहीं है। यहां इस तरह के अपराध आम हैं।

कौन भूल सकता है वो काली रात 

देश की राजधानी दिल्ली अपराध से सुरक्षित नहीं है। दावों के बावजूद देश के तमाम महानगरों व बड़े शहरों की तुलना में यहां गंभीर अपराध की स्थिति बद से बदतर है। अपराधियों के मन में पुलिस का खौफ नहीं है। सरेआम महिला को निर्वस्त्र घुमाया जाना, बुजुर्ग दंपती की बेरहमी से हत्या या फिर मामूली कहासुनी में किसी की जान ले लेना इस शहर की तासीर बयां करता है। 16 दिसंबर 2012 की उस भयानक रात कौन भूल सकता है, वो रात जब दिल्ली के दामन पर बदनुमा दाग लगा था और 'निर्भया' की चीख पूरी दुनिया में सुनाई दी थी। इस तरह की आपराधिक वारदातों को मानसिक विकार से जोड़कर क्यों न देखा जाए और यह क्यों न कहा जाए कि दिल्ली की हर गली में साइकों किलर घूम रहे हैं।

अपराध में दिल्ली नंबर वन

महिलाओं के खिलाफ अपराध में दिल्ली नंबर वन है। इसकी पुष्टि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट भी करती है। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली महिलाओं के लिए है सबसे असुरक्षित है। आंकड़ों के मुताबिक देश के 19 बड़े शहरों व महानगरों की तुलना में साल 2016 में दिल्ली में दुष्कर्म की 1996, मुंबई में 712, पुणे में 354 व जयपुर में 330 दुष्कर्म की वारदातें हुईं। सामूहिक दुष्कर्म के मामले में भी दिल्ली में सबसे अधिक 79 वारदातें हुईं। दूसरे नंबर पर मुंबई में सामूहिक दुष्कर्म की 14 वारदातें हुईं।

बंधक बनाकर कई दिनों तक दुष्कर्म करने की घटना भी केवल दिल्ली व अहमदाबाद में हुई। इन दोनों शहरों में बंधक बनाकर दुष्कर्म करने की एक-एक घटनाएं हुईं। दुष्कर्म के प्रयास के मामले में भी देश के 19 बड़े शहरों व महानगरों में सबसे अधिक 29 वारदातें दिल्ली में हुईं। गाजियाबाद का स्थान दूसरे नंबर पर है। एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध में लगातार वृद्धि हो रही है। साल 2016 में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के कुल 3969 मामले दर्ज हुए थे।

मौत की मशीन

यहां हमने आपको दिल्ली में हो रहे अपराध और उस मानसिक विकार के बारे में बताया जिसकी वजह से आम लोगों की सुरक्षा को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। अब हम आपको उन साइको किलर या फिर यूं कहिए कि सीरियल किलर के बारे में बताएंगे जिनके बारे में कहा जाता है कि ये चलती फिरती मौत की मशीन थे।

2015 में सामने आया हैरान करने वाला मामला

साल था 2015 और दिल्ली में एक के बाद एक लड़कियां गायब हो रही थीं। कोई दुष्कर्म के बाद कत्ल की वारदातों को अंजाम दे रहा था। पुलिस को शक था कि सभी मामले एक-दूसरे से अलग हैं, ऐसे ही एक मामले में पुलिस ने रविंद्र को गिरफ्तार किया तो सामने आई ऐसी सच्चाई जिसने पुलिस को भी हिला दिया। रविंद्र ने बताया कि करीब 30 लड़कियों और बच्चों को उसने अपनी हवस का शिकार बनाया और फिर मार डाला।

आर्थिक राजधानी में दहशत

60 के दशक में रमन राघव नाम की मुंबई में इस कदर दहशत थी कि कोई भी बेखौफ होकर फुटपाथ पर सोने की सोच नहीं सकता था। हत्या रात में होती थी, पुलिस परेशान थी। रमन राघव ने करीब तीन साल के अंतराल में फुटपाथ के पास सोने वाले 40 से अधिक लोगों की बरहमी से हत्या कर दी। यह संख्या रमन ने गिरफ्तारी के बाद खुद पुलिस के बताई थी। बुजुर्ग, युवा, औरत या बच्‍चे, फुटपाथ पर कोई भी सोता दिख जाए, तो वह इस मनोरोगी का आसान शिकार होता था।

प्रदर्शन के लिए लोगों का कत्ल

राघव की दहशत उस समय इस कदर थी कि हर रात सैकड़ों की संख्‍या में पुलिसकर्मियों को पेट्रोलिंग की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी। स्‍केच के आधार पर इस कातिल की पहचान हुई और उसे पकड़ा गया। पूछताछ के दौरान यह सामने आया कि यह विकृत मानसिकता से ग्रसित मनोरोगी है और महज अपनी ताकत के प्रदर्शन के लिए लोगों का कत्ल करता था। निचली अदालत में चली लंबी बहस के बाद रमन को मौत की सजा हुई।

उम्रकैद में बदल गई सजा

हाईकोर्ट ने तीन मनोवैज्ञानिकों की टीम बनाकर यह तय करने को कहा कि राघव मानसिक रूप से ठीक हालत में है या नहीं। मनोवैज्ञानिकों की टीम ने उससे लंबी बातचीत के बाद निष्‍कर्ष निकाला कि वह मानसिक रूप से बीमार है। उसने कई ऐसी बातें कीं जो सामान्य आदमी नहीं कर सकता। ऐसे में उसकी सजा कम कर उम्रकैद में तब्दील कर दी गई। राघव की 1995 में बीमारी से मौत हो गई।

टीचर जो मौत बांटता था

साइनाइड मोहन कर्नाटक का वो स्कूल टीचर था जो मौत बांटता था। ये लड़कियों को अपना शिकार बनाता था। लड़की जिस धर्म की होती थी ये खुद को उसी धर्म का बताता था। कभी नौकरी तो कभी कोई अन्य लालच देकर लड़कियों को अपने जाल में फंसाता था और उनके साथ शारीरिक संबंध बनाता था और फिर गर्भ निरोधक गोली बता कर साइनाइड की गोली खिला देता था। कहा जाता है कि करीब 20 लड़कियों को इसने अपना शिकार बनाया था।

यह राज कभी खुला ही नहीं

1989 में 9 लोगों का कत्ल बेहद बेरहमी से हुआ था। बड़े पत्थर से लोगों का सिर कुचल कर ये हत्याएं की गई थीं। मुबई पुलिस परेशान थी, उसके पास कोई सुराग नहीं था। ये हत्यारा गरीब लोगों को, फुटपाथ पर सोने वालों को अपना निशाना बनाता था। पुलिस कभी नहीं पता कर पाई कि ये हत्याएं एक शख्स ने कीं या अलग-अलग लोगों ने। यह राज कभी खुला ही नहीं।

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