पढ़िये हाईकोर्ट ने किस मामले में कहा कि आर्थिक अपराध लोकतंत्र के ताने-बाने को पूरी तरह से ध्वस्त करने के साथ ही खतरनाक
आर्थिक अपराध लोकतंत्र के ताने-बाने को पूरी तरह से ध्वस्त करने के साथ ही राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है। न्यायमूर्ति अनु मल्होत्र की पीठ ने कहा कि लोगों को धोखा देकर किए जाने वाला आर्थिक अपराध राष्ट्र के अधिकार व हित के लिए ठीक नहीं है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। लोगों की गाढ़ी कमाई के लाखों रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोपित उमेश वर्मा की जमानत याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि आर्थिक अपराध लोकतंत्र के ताने-बाने को पूरी तरह से ध्वस्त करने के साथ ही राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है। न्यायमूर्ति अनु मल्होत्र की पीठ ने कहा कि लोगों को धोखा देकर किए जाने वाला आर्थिक अपराध राष्ट्र के अधिकार व हित के लिए ठीक नहीं है।
पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ताओं ने प्लूटो एक्सचेंज में अपनी गाढ़ी कमाई का निवेश किया, लेकिन आरोपित निवेशकों का रिटर्न दिए बगैर कनाट प्लेस स्थित अपना कार्यालय बंद करके दुबई चला गया। पीठ ने कहा कि इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि सोने का व्यापार करने के बावजूद भी उसने निवेशकों का पैसा वापस नहीं किया। आरोपित ने 2.25 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है।
पीठ ने कहा कि रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआइ) द्वारा छह अप्रैल 2018 को जारी किए गए आदेश के बावजूद भी आवेदक ने निवेशकों से निवेश लेना जारी रखा। आदेश था कि आरबीआइ वचरुअल करेंसी की सेवा में डील नहीं करेगा और न ही ऐसी सेवा देने वाली किसी इकाई या व्यक्ति से डील करेगा।
यह है मामला
जोगेंदर कुमार की शिकायत पर मामला दर्ज हुआ था। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडल्ब्यू) ने स्थिति रिपोर्ट पेश करके अदालत को बताया कि क्रिप्टो-करेंसी व्यापार के नाम पर लोगों ने प्लूटो एक्सचेंज में अपना पैसा लगाया। इस मामले में पुलिस को 47 शिकायत मिल चुकी है। जमानत मिलने पर आरोपित सुबूतों से छेड़छाड़ करने के साथ ही गवाहों को प्रभावित कर सकता है। आरोपित ने चिकित्सा आधार पर दो महीने के लिए जमानत देने की मांग की थी, जबकि जेल प्रशासन ने रिपोर्ट दाखिल करके बताया कि आरोपित की स्थिति स्टेबल है।