AIIMS में लगी भीषण आग के दौरान टला बड़ा हादसा, वरना ढह जाती पूरी बिल्डिंग; जानिए- क्यों
अगर आग ग्राउंड फ्लोर तक आग पहुंच जाती तो भीषण ब्लास्ट हो सकता था। ट्रांसफॉर्मर में अत्यधिक ज्वलनशील तेल होता है। इतने बड़े ट्रांसफॉर्मर के फटने से पूरी बिल्डिंग ढह सकती थी।
नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। Fire in All India Institute of Medical Sciences: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में शनिवार शाम लगी आग को तकरीबन छह घंटे में 11 बजे रात को काबू पाया जा सका। इस बीच चौंकाने वाली बात सामने आई है कि शनिवार शाम को जिस बिल्डिंग में आग लगी थी, उसके ग्राउंड फ्लोर पर 11000 किलोवाट का विद्युत सबस्टेशन है। कई ट्रांसफार्मर्स भी यहां पर रखे हैं। अगर यहां तक आग पहुंच जाती तो भीषण ब्लास्ट हो सकता था। ट्रांसफॉर्मर में अत्यधिक ज्वलनशील तेल होता है। इतने बड़े ट्रांसफॉर्मर के फटने से पूरी बिल्डिंग ढह सकती थी।
जहां पर आग लगी है वहां एक बार में सिर्फ एक ही हाईड्रोलिक मशीन जा सकती है, इसलिए एक तरफ जब तक आग बुझती है, तब तक ये दूसरी तरफ भड़क जाती है। मशीन दूसरी ओर जाती है तब तक फिर पहली ओर आग भड़क जाती है। दरअसल, इस मशीन को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने में करीब 15 मिनट लग जाता है। यही वजह थी कि दमकल कर्मचारियों को आग बुझाने में दिक्कत पेश आई।
यहां पर बता दें कि शनिवार शाम करीब साढ़े चार बजे भीषण आग लग जाने से हड़कंप मच गया। आग कुछ ही देर में पहली, तीसरी, चौथी व पांचवीं मंजिल तक पहुंच गई। अस्पताल की बिजली सेवा बंद कर दी गई है। मौके पर एनडीआरएफ की टीम भी पहुंच गई। हालांकि, एनडीआरएफ की टीम एहतियातन बुलाई गई थी।
बताया जा रहा है कि डॉक्टरों और अन्य स्टाफ समेत करीब 50 लोगों ने बाहर भागकर जान बचाई। वहीं, इमरजेंसी लैब वाली इमारत में धुआं फैलने के कारण वहां भर्ती करीब 55 मरीजों को दूसरी जगह स्थानांतरित किया गया।
आग से करोड़ों के नुकसान का अनुमान जताया गया है। बता दें कि एम्स परिसर में मुख्य अस्पताल के बराबर में टीचिग ब्लॉक की पांच मंजिला इमारत है। इस इमारत में लैब मेडिसिन और इमरजेंसी लैब डिपार्टमेंट के साथ ही कई प्रोफेसरों के ऑफिस बने हुए हैं। सैंपल कलेक्ट करने के लिए डीप-फ्रीजर भी रखे हुए हैं। यहीं एक्स-रे भी होता है। शाम करीब साढ़े चार बजे दूसरी मंजिल पर माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में आग लग गई। कुछ ही देर में आग बढ़ती चली गई।