Move to Jagran APP

Delhi school Open News: दिल्ली में स्कूल खोलने को लेकर पढ़िये एक्सपर्ट की राय

ज्यादातर देशों में स्कूल व कालेज खुले हुए हैं। स्कूलों को अब बंद रखना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना है। उत्तर प्रदेश बिहार व हरियाणा में स्कूल खोल दिए गए हैं। दिल्ली में भी स्कूल खोल देने चाहिए। कोरोना अब डेढ़ साल पुराना वायरस हो चुका है।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 23 Aug 2021 08:32 AM (IST)Updated: Mon, 23 Aug 2021 10:05 AM (IST)
Delhi school Open News: दिल्ली में स्कूल खोलने को लेकर पढ़िये एक्सपर्ट की राय

नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर में भारी नुकसान के बाद अब राजधानी में संक्रमण दर घटकर 0.05 फीसद से भी कम हो गई है। टीकाकरण की रफ्तार भी बढ़ी है। 18 साल से अधिक उम्र के 58 फीसद आबादी को कम से कम एक डोज टीका व 23 फीसद से ज्यादा आबादी को दोनों डोज टीका लग चुका है। इन सबके बीच अब भी स्कूल बंद हैं। बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल भी चल रहा है। यह टीका बच्चों के लिए कितना सुरक्षित है, दिल्ली में तीसरी लहर आने की संभावनाओं, एक बार संक्रमित लोगों में दोबारा संक्रमण के जोखिम और मौजूदा समय स्कूल व कालेज खोले अनुकूल है या नहीं, इन तमाम मुद्दों पर एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डा. संजय राय से रणविजय सिंह ने बातचीत की। उनके नेतृत्व में ही एम्स में बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। पेश है उनसे बातचीत का प्रमुख अंश:-

loksabha election banner

कोरोना का संक्रमण काफी कम हो गया है, तीसरी लहर आने की कितनी संभावनाएं हैं, खासतौर पर दिल्ली में?

- महामारी की कोई भी लहर आने के पीछे वैज्ञानिक कारण होता है। लहर कब आएगी, कब नहीं आएगी, यह इस बात पर निर्भर है कि कितनी आबादी संक्रमण से बची हुई है जिसे संक्रमण हो सकता है। अभी तक भारत सहित दुनियाभर के आंकड़े देखकर ऐसा लगता है कि जिसे एक बार संक्रमण हो गया वह लंबे समय तक कोरोना से सुरक्षित है। ऐसे लोगों के दोबारा संक्रमित होने का खतरा बहुत कम है। दिल्ली और इसके आसपास काफी संख्या में लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। किसी भी लहर को रोकने में प्राकृतिक संक्रमण ही सक्षम है। टीका लहर के प्रभाव (बीमारी की गंभीरता व मौत) को रोकने में सक्षम है। यही वजह है कि यूनाइटेड किंगडम में अधिक संक्रमण होने के बावजूद अभी मौत ज्यादा नहीं हो रही है। वहीं अमेरिका में करीब 50 फीसद टीकाकरण होने के बावजूद करीब डेढ़ लाख मामले आ रहे हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के सीरो सर्वे के अनुसार केरल में 44 फीसद लोगों में ही कोरोना के खिलाफ एंटीबाडी बनी है। जबकि देश में करीब 68 फीसद लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबाडी बन चुकी है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार व दिल्ली-एनसीआर में बड़ी आबादी प्राकृतिक रूप से संक्रमित हो चुकी है। इस वजह से ही इन क्षेत्रों में संक्रमण कम हुआ है। संक्रमण इस वजह से कम नहीं हुआ है कि यहां लोग बहुत नियमों का पालन कर रहे हैं। असल बात यह है कि ज्यादातर लोग संक्रमित हो चुके हैं। इसलिए दोबारा संक्रमित होने का खतरा नहीं है।

क्या दिल्ली में भी स्कूल खोले जाने चाहिए व स्कूलों में किस तरह की व्यवस्था हो?

- ज्यादातर देशों में स्कूल व कालेज खुले हुए हैं। स्कूलों को अब बंद रखना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना है। उत्तर प्रदेश, बिहार व हरियाणा में स्कूल खोल दिए गए हैं। दिल्ली में भी स्कूल खोल देने चाहिए। कोरोना अब डेढ़ साल पुराना वायरस हो चुका है। अब आंकड़ों व वैज्ञानिक आधार पर फैसला लेना चाहिए। सिर्फ संभावनाओं के आधार पर स्कूल व कालेज बंद नहीं रखना चाहिए। बच्चों को कोरोना का संक्रमण होता है, लेकिन बीमारी गंभीर नहीं होती। स्कूल बंद करके भी हमने ज्यादातर बच्चों को संक्रमित कर दिया है। दिल्ली-एनसीआर में करीब 70 फीसद बच्चे संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं। इसलिए ज्यादातर बच्चों में प्राकृतिक रूप से कोरोना के खिलाफ बचाव की क्षमता विकसित हो गई है।

स्कूल खुलने पर किस तरह की व्यवस्था होनी चाहिए?

- एक डर यह था कि स्कूल खुलने पर बच्चों से कोरोना का संक्रमण घर के अन्य सदस्यों को हो सकता है। एक तो दिल्ली में करीब तीन चौथाई लोग संक्रमित हो चुके हैं। दूसरी बात यह है कि काफी संख्या में लोगों को टीका भी लग गया है। इसलिए स्कूल खुलने पर बच्चों से घर में संक्रमण आने का ज्यादा खतरा नहीं दिखता। दिल्ली में हर्ड इम्युनिटी आ गई है। इस वजह से ही दिल्ली में संक्रमण नियंत्रित हुआ है। इसलिए इस बात की संभावना बहुत कम है कि कोई बड़ी लहर दिल्ली में आएगी। लेकिन वायरस पर लंबे समय तक निगरानी की जरूरी है। ताकि यह मालूम रहे कि कोई नया स्ट्रेन तो नहीं आ रहा है। साथ ही स्कूलों में शारीरिक दूरी के साथ छात्रों के बैठाया जाए।

क्या अब तक ऐसा साक्ष्य सामने आया है, जिससे पता चले कि एक बार संक्रमण होने पर कितने समय तक बचाव हो सकेगा?

कुछ ऐसे साक्ष्य सामने आए हैं जिससे हो सकता है कि लंबे समय तक या जीवन भर भी कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधकता बरकरार रहे। सार्स-एक व मर्स वायरस से संक्रमित लोगों में दो-तीन साल तक रोग प्रतिरोधक क्षमता बरकरार रहती है। कोरोना से पहले संक्रमित हुए लोगों में अब तक (डेढ़ साल) बचाव है। इसलिए ऐसा लग रह है कि लंबे समय तक बचाव हो सकेगा।

तो क्या टीके का प्रभाव भी लंबे समय तक बरकरार रहेगा?

- दरअसल, संक्रमण होने पर वायरस एक सप्ताह तक शरीर के अंदर अपनी संख्या बढ़ाते रहता है। इसलिए प्रतिरोधक क्षमता भी उसके अनुरूप विकसित होती है। टीके का प्रभाव भी काफी समय तक बरकरार रहना चाहिए।

किस उम्र के बच्चों को पहले टीका देने की जरूरत है?

- किसी भी टीका और दवा से कितना फायदा और नुकसान होता है, पहले उसका मूल्यांकन होता है। वयस्कों में कोरोना से करीब डेढ़ फीसद मौत होती है। इस वजह से एक लाख कोरोना संक्रमित वयस्क लोगों में से करीब डेढ़ हजार मरीजों की मौत हो जाती है। टीकाकरण से करीब 80 फीसद मौत को कम किया जा सकता है। यह किसी भी टीके के लिए बड़ी उपलब्धि है। अभी तक के साक्ष्य के अनुसार कोरोना से 10 लाख बच्चों में से दो की मौत होती है। इसलिए किसी भी उम्र के बच्चों को टीका देने से पहले यह देखा जाना चाहिए कि उससे कितना फायदा होगा। फायदा होने पर बच्चों को टीका जरूरत देना चाहिए।

आप कोवैक्सीन के ट्रायल में शामिल रहे हैं, अब तक के ट्रायल में बच्चों के लिए यह टीका कितना सुरक्षित है?

- दो से 18 साल की उम्र के बच्चों को तीन आयु वर्ग में बांटकर यह ट्रायल किया गया है। पहले 12 से 18 साल के किशोरों को टीका देकर यह देख लिया गया कि टीका सुरक्षित है, नियामक एजेंसी भी संतुष्ट हो गई। इसके बाद छह से 12 साल के बच्चों पर टीके की सुरक्षा परखने के बाद ही दो से छह साल की उम्र के बच्चों को टीका दिया गया। जल्द ही रिपोर्ट आएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.